पेटलावद। श्री भैरवनाथ मवेशी मेले में लगने वाले झूलो की आवश्यक जांच और नियमानुसार झूले लगाए जाने को लेकर वार्ड क्रमांक 08 से पार्षद ममता गुजराती द्वारा एसडीएम ओर सीएमओ के नाम आवेदन सोपा है। वही कलेक्टर ओर एसपी को भी प्रतिलिपि भेजी गई है। जिसमे बताया कि मेले आने वाले आमजन की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि झूले-चकरी की जांच की जाए और नियमानुसार झूले चकरी लगवाए जाएं।
इन बिंदुओं पर रखी मांग –
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पेटलावद में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी श्री भैरवनाथ मवेशी मेला लगाने जा रहा है, जिसकी तैयारियां की जा रही है। मेले में बड़ी संख्या में झूले चकरी लगाए जाते है। ओर मेले में हजारों की संख्या में नगर सहित क्षेत्र से लोग झूले चकरी व व्यजनों का लुफ़्त उठाने आते है।
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श्री भैरवनाथ मवेशी मेले में राजस्थान, गुजरात सहित इंदौर क्षेत्र से झूला-चकरी व्यवसाय करने वाले अपने झूले लेकर आते हैं और मेले में झूले चकरी लगाते हैं। जिन पर हजारों लोग विश्वास कर झूले चकरी में बैठते हैं, आमजन की सुरक्षा की दृष्टि से यह आवश्यक है कि झूली चकरियो की गहनता से जांच की जाए और सुरक्षा मानकों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए।
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झूला लगाने से पहले स्थानीय जिला प्रशासन, नगर पालिका या मेला आयोजन समिति से लिखित अनुमति अनिवार्य रूप से ली जाए। बिना लाइसेंस के झूले लगाना अवैध माना जाता है ऐसे में बिना लाइसेंस झूले नही लगाने दिए जाएं।
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मेले आने वाले आमजन की सुरक्षा को देखते हुए सार्वजनिक देयता बीमा (Public Liability Insurance) झूलो का आवश्यक रूप से देखा जाए और नही होने की स्थिति में बिना बीमा वाले झूलो को मेले ना लगाने दिया जाए। ताकि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को मुआवजा दिया जा सके।
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सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें अक्सर ढिलाई बरती जाती है, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं। इस हेतु झूले की स्थापना के बाद, स्थानीय अधिकारियों या तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा नियमित सुरक्षा जांच और निरीक्षण किया जाए ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना की संभावना समाप्त की जा सके।
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मेले में लगने वाले झूले की नींव और पूरी संरचना मजबूत और स्थिर होनी चाहिए। क्योकि पेटलावद में जंहा मेला आयोजित होता है। पूरा ग्राउंड कमजोर होकर कृषि भूमि है। ऐसे में जब झूले लगाए जाए तब नींव मजबूत रखी जाकर आवश्यक सीमेंट, सरिया, गिट्टी, रेत से निर्माण कर झूले चकरी लगाए जाएं
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झूले का तकनीकी प्रमाणन आवश्यक है। झूले का निर्माण विशेष उपकरण सुरक्षा पर्यवेक्षण विनियमों (Special Equipment Safety Supervision Regulations) के अनुसार होना चाहिए और एक योग्य निर्माता से प्रमाण पत्र प्राप्त होना चाहिए। क्योकि झूले में बैठेने वाले हजारों लोगो के जीवन का सवाल है।
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नियमानुसार आपातकालीन स्थिति में झूले में आग बुझाने के यंत्र और प्राथमिक चिकित्सा किट सहित आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
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मेले के दौरान झूले का संचालन केवल प्रशिक्षित और अनुभवी व्यक्तियों द्वारा ही किया जाना चाहिए। क्योकि देखा जाता है कि मेले मे झूलो का संचालन करने वाले लोग अक्सर नशे के आदि होते है और नशे में ही झूले का संचालन करते है ऐसे में बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है।
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मेले में झूले स्थापित करते हुए समय यह आवश्यक रूप से देखा जाए कि झूले के चारों ओर एक सुरक्षित दूरी निर्धारित होनी चाहिए ताकि दर्शकों को चलती मशीनरी से दूर रखा जा सके। ओर सुरक्षा के साथ झूलो का संचालन किया जा सके।
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झूले संचालन के दौरान झूले के पास स्पष्ट रूप से सुरक्षा निर्देश, उम्र/ऊंचाई प्रतिबंध और स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियाँ प्रदर्शित की जानी चाहिए। स्थानीय भाषा, अंग्रेजी और हिंदी में जो स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
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मेले में लगने वाले झूलो का नियमित रखरखाव किया जाना चाहिए और किसी भी खराबी को तुरंत ठीक किया जाना चाहिए। ताकि आमजन को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नही करना पड़े।
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मेले में झूलो के साथ बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से महिला-पुरुष आते हैं। जिनका पुलिस वेरीफिकेशन ओर जानकारी भी आवश्यक है। क्योंकि मेले में विवाद की स्थितिया निर्मित होती है और ऐसी स्थिति में अगर कोई वारदात को अंजाम देता है तो पुलिस वेरिफिकेशन ओर जानकारी के आधार पर उसे पकड़ा जा सकता है।
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मेले में प्लॉट पर कई वर्षों से लोगों ने कब्जे कर रखे हैं। जबकि वह मेले में दुकान नहीं लगते हैं। और मोटे रुपए लेकर अपने अवैध रूप से कब्जे किए गए प्लाट पर अन्य व्यापारियों को दुकान लगाने की स्वयं ही परमिशन देते हैं। ऐसे लोगों का चयन किया जाए और उन पर उचित कार्रवाई की जाए। इनमें कई परिषद के कर्मचारी भी शामिल है।
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मेले के दौरान व्यापारियों द्वारा खानपान व्यंजनों की भी बड़ी संख्या में दुकानें लगाई जाती है। ऐसे में आवश्यक रूप से खाद्य पदार्थों की भी जांच की जाए ताकि यहां आने वाले लोगों को किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी भी परेशानी का सामना न करना पड़े और सभी को सुरक्षित व्यंजन उपलब्ध हो सके। 16. मेले के संचालन की अवधि में नगर परिषद सीएमओ द्वारा मेला निरीक्षण किया जाए। और खुद सीएमओ द्वारा मेले में आवश्यक रूप से मौजूद रहकर मेले की व्यवस्थाओं को देखा जाए। क्योंकि पूर्व मैं देखा गया है कि मेले में आने वाले लोग काफी परेशान हुए थे। ना समय पर झूले लगा पाए थे और ना ही मिले में लाइट की व्यवस्थाएं हो पाई थी।