शिक्षा के मंदिर में बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ ! 

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शान ठाकुर, पेटलावद 

सरकार के द्वारा स्कूली बच्चों के लिए तमाम योजनाएं चलाकर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का दावा किया जा रहा है और शासकीय स्कूलों के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च भी किए जा रहे हैं। जिससे बच्चों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध हो सके। किंतु पश्चिमी मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले के पेटलावद क्षेत्र में आज भी मासूम आदिवासी बच्चों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें शिक्षा देने के बजाय उनसे स्कूल में बर्तन धुलवाए जा रहे हैं। 

दरसअल पेटलावद विकास खण्ड अंतर्गत आने वाले ग्राम उनालूपाडा के शासकीय प्राथमिक विद्यालय (संकुल केंद्र सारंगी) में शिक्षकों की मनमानी का ऐसा मामला सामने आया है। जहां छोटे मासूम बच्चों के भविष्य के साथ कहीं ना कहीं खिलवाड़ किया जा रहा है। जिन मासूम बच्चों के हाथों में शिक्षा की किताबें होना थी उन हाथों में बर्तन थालियां नजर आई है। मासूम और छोटे बच्चे मध्यान्ह भोजन पश्चात स्कूल के समीप स्थित एक हेडपंप पर थालियां धोते हुए दिखाई दिए, वही स्कूल के शिक्षक अपनी मौज में स्कूल भवन में ही बैठे थे। हेडपंप के आसपास बारिश की वजह से झाड़ियां हो रही है। ऐसे में बच्चों की कहीं ना कहीं जान भी खतरे में है। क्योंकि जीव जंतु भी खुले घूम रहे हैं बच्चों के साथ कोई अप्रिय घटना भी हो सकती है। 

हालांकि इन सभी चीजों से शिक्षकों को कोई मतलब नहीं है। सरकार के द्वारा मध्यान्ह भोजन देने वाले समूह या स्कूलों को ही यह जिम्मेदारी दी गई है कि भोजन पश्चात बच्चों के बर्तन को सफाई से धुलवाया जाए एवं साफ करवाया जाए। किंतु शासकीय स्कूलों में जिम्मेदार नियमों को ताख पर रखकर काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में छोटे मासूम बच्चे आधी-अधूरी धुली थालियो (बर्तन) में ही भोजन कर रहे हैं। सही ढंग से बर्तन साफ नही होने के कारण बर्तनों में गंदगी जमा रहती है, जिससे बच्चों में बीमारियां होने का खतरा भी बना हुआ है। 

‘देखना होगा कि प्रशासन इस खबर के बाद स्थिति को सुधारने के लिए कोई पहल करता है या फिर इसी तरह मासूम बच्चो के साथ खिलवाड़ किया जाएगा।

की जाएगी कार्यवाही 

स्कूल में बच्चो से बर्तन साफ नही करवाये जा सकते है। यह गलत। आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। संबंधित के खिलाफ जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी – श्रीमती रेखागिरी, बीआरसी, पेटलावद।

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