विद्यार्थी विनम्रता, सेवा, सहयोग, सौहार्द, सहनशील होंगे तो देश सदैव आगे रहेगा : मुनिश्री

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
मूल्यपरक शिक्षा से ही राष्ट्र का उत्थान संभव है जिस समाज और राष्ट्र में शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान पर आधारित होती है। वह राष्ट्र नैतिकता, आध्यात्मिक और चरित्रशीलता की दृष्टि से सम्पन्न राष्ट्र नहीं हो सकता। आज सर्वाधिक अपेक्षा शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यों की स्थापना हो। जीवन के मूल तत्वों का समावेश का नाम ही मूल्य है। उन मूल्यों के प्रति समाज और राष्ट्र को जागरुक होना होगा, जिस राष्ट्र के विद्यार्थियों में विनम्रता, सेवा, सहयोग, सौहार्द, सहनशीलता होगी वह सदा प्रगति के पायदानों पर सदैव बढ़ता रहेगा और न केवल परिवार और विद्यालय संस्थान अपितु भारत का नाम संसार में रोशन कर सकेगा। अत: शिक्षकों, अभिभावकों का परम कर्तव्य है कि वे विद्यार्थियों कङ्क्ष जीवन मूल्यों की शिक्षा दे। उक्त विचार आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री पृथ्वीराज जसोल ने पोगे्रसिव एकेडमी में विद्यार्थियों और शिक्षकों के मध्य कहे। मुनिश्री चैतन्य कुमार अपन ने कहा- ज्ञान पंचमी का दिन मां सरस्वती की आराधना का सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। विद्यार्थी सरस्वती की आराधना करें, ज्ञान जीवन को संवारने की श्रेष्ठ प्रक्रिया है, शिक्षा जीवन के अभ्यूदय की दिशा है। सही दिशा जीवन की दशा को बदल देती है, जिस विद्यार्थी ने अपनी दिशा का सम्यक नियोजन कर लिया वह निश्चित रूप से विकास की ओर आरोहण कर सकता है, किन्तु आज का विद्यार्थी अपना अधिकांश समय मोबाइल, फैसबुक, इंटरनेट, गेम्स में खो देता है, जिससे उसकी पढ़ाई बाधित होती है, विद्यार्थी अपना लक्ष्य अध्ययन एवं उच्च संस्कारों से सम्पन्न बनने की दिशा में तय करे और जीवन का यथेष्ठ लाभ लेने का मार्ग बनाए। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य एसके सिंह ने स्वागत अभिनंदन किया। संचालक एससी व्यास, तेरापंथी सभा के अध्यब झमकलाल भंडारी ने समाज की ओर से स्वागत किया। पवन भंडारी ने मुनिद्वय का परिचय दिया। अनिल शर्मा को झमकलाल भंडारी, सोहन भंडारी, सुभाष निमजा ने जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान साहित्य भेंट कर सम्मानित किया.। तपस मिश्रा ने आभार माना संचालन शिबक विपिन गांधी ने किया। विद्यालय के बालकों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया.

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