लावारिस हालात में पेटलावद में मिला था दो माह का लावारिश बच्चा…अब अमेरिका के दंपति ने लिया गोद

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शान ठाकुर, पेटलावद

पेटलावद शासकीय अस्पताल में छह महीने पहले लावारिस मिले मासूम नीलेश (परिवर्तित नाम) को अब एक अमेरिकी दंपति ने गोद ले लिया है।

छह महीने पहले पेटलावद (झाबुआ) के सरकारी अस्पताल में लावारिस हालत में मिले नाबालिग नीलेश (परिवर्तित नाम) को आखिरकार एक नया परिवार मिल गया है। बुधवार को मासूम ने अपने नए माता-पिता के साथ अपना जन्मदिन मनाया। इस दंपति ने न केवल बच्चे को अपनाया है, बल्कि उसे एक नया जीवन और सुरक्षित भविष्य भी प्रदान किया है। पासपोर्ट की औपचारिकताएं पूरी होते ही यह परिवार अमेरिका रवाना होगा, जहां बच्चे को माता-पिता का भरपूर स्नेह और देखभाल मिलेगी।

होठ कटे थे इस लिए छोड़ दिया

यह बच्चा क्लेफ्ट पैलेट (कटे तालू) और क्लेफ्ट लिप (कटे होंठ) जैसी जन्मजात स्वास्थ्य समस्या के साथ पैदा हुआ था। जन्म के दो महीने बाद ही उसके जैविक माता-पिता ने उसे पेटलावद के सरकारी अस्पताल में लावारिस छोड़ दिया। इसके बाद बाल कल्याण समिति ने उसे इंदौर की संजीवनी सेवा संगम संस्था को सौंप दिया, जहां उसका इलाज किया गया। संस्था ने न केवल उसका समुचित उपचार करवाया, बल्कि उसे स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज उसी संस्था के प्रयासों से इस मासूम को एक नया परिवार मिल पाया है।

माता-पिता को खोजा लेकिन प्रयास रहे विफल 

संस्था द्वारा लंबे समय तक बच्चे के जैविक माता-पिता को खोजने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। झाबुआ जिले की बाल कल्याण समिति ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संजीवनी सेवा संगम संस्था को बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी। संस्था में कार्यरत महिला केयरटेकर्स ने उसे अपनी संतान की तरह पाला और उसे हर प्रकार की सुविधा और देखभाल प्रदान की। इस दौरान बच्चे की अच्छी परवरिश के साथ-साथ उसके मानसिक और शारीरिक विकास का भी विशेष ध्यान रखा गया।

भारत से अब सीधे अमेरिका की होगी उड़ान

संस्था के अथक प्रयासों के कारण अब यह बच्चा एक अमेरिकी दंपति के परिवार का हिस्सा बनने जा रहा है। दंपति बच्चे के साथ अमेरिका के लिए रवाना होगे। वहां उसे प्यार, सुरक्षा और बेहतर अवसर मिलेंगे, जिससे उसका जीवन संवर सकेगा। यह कहानी समाज में परित्यक्त बच्चों के पुनर्वास की एक प्रेरणादायक मिसाल है, जो दर्शाती है कि यदि सही देखभाल और अवसर मिले तो कोई भी बच्चा उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकता है। झाबुआ बाल कल्याण समिति के सदस्य चंचल भंडारी ने बताया कि पूर्व समिति के माध्यम से बच्चे को इंदौर भेजा गया था। पूरी कार्यवाई गोपनीय तरीके से की जाती है। फिलहाल बच्चा कहा से ओर कैसे मिला यह स्पष्ठ नही किया जा सकता है।

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