ये कैसी शिक्षा: 154 स्कूलो में 1 और 27 स्कूलो में एक भी पढ़ाने वाला नही..

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एक नजर में:
कुल स्कूल विकासखण्ड में- 574
प्राथमिक स्कूल- 436
माध्यमिक स्कूल- 106
हाई स्कूल- 19
हायर सेकेंडरी स्कूल- 11
माडल स्कूल- 1
कन्या परिसर- 1
सलमान शैख़@ झाबुआ Live
पेटलावद। नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है, लेकिन समस्याए वहीं पुरानी ही है। स्कूलों में शिक्षको की कमी व अन्य समस्याएं बनी हुई है। शिक्षको की कमी के कारण स्कूल चलो अभियान से लेकर नया शिक्षा सत्र बेमानी बनकर रह गया है। जिसका खामियाजा प्राथमिक, माध्यमिक, हाई और हायर सेकेण्डरी में पढऩे वाले छात्र-छात्राओ को भुगतना पड़ रहा है। हमने पड़ताल में जानकारी पाई कि शिक्षको की कमी के चलते इस बार भी पढ़ाई प्रभावित होगी। हाल यह है कि पूरा अभियान कहीं कहीं एक भी नही और कहीं कहीं मात्र एक शिक्षक के भरोसे है।
ग्रामीण क्षैत्रो में हालत खराब-
ग्रामीण क्षैत्रो की बात की जाए तो लगभग हर जगह स्थिति बेहद खराब है। शिक्षको की कमी से शाला संचालन प्रभावित हो रहा है। अनेक जगहो पर स्कूले नियमित संचालित नही हो रही है। शिक्षा के अधिकारी अधिनियम के तहत प्रत्येक स्कूल में न्यूनतम 2 शिक्षक होना ही चाहिए, लेकिन विकासखण्ड में 27 स्कूले ऐसी है जहां एक भी शिक्षक नही है। वहीं 154 स्कूले ऐसी है जहां मात्र 1 शिक्षक के भरोसे सबकुछ चल रहा है। इससे पढ़ाई का स्तर क्या होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इस कमजोर नींव पर भविष्य में खड़ी होने वाली इमारत की मजबूती का आकलन हर कोई कर सकता है।
इसलिए हो रही कमी-
पेटलावद विकासखण्ड में यह स्थिति लगातार शिक्षको के रिटायर्ड होने के कारण बन रही है। रिटायर्ड शिक्षको के स्थान पर नए शिक्षको की भर्ती नही की जा रही है। दूसरी ओर शिक्षा विभा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में जुटा है। शिक्षको की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे हो पाएगा यह सवाल बना हुआ है। दूसरी ओर शिक्षा विभाग शिक्षको के खाली पदो को भरने की कार्रवाई अब तक शुरू नही कर पाया है। इससे शासकीय शालाओ में पढ़ाई के स्तर में सुधार नही आ पा रहा है। अव्यवस्था और भर्राशाही के चलते नए नियम निर्देश भी पढ़ाई का स्तर सुधारने में कामयाब नही हो रही है। शिक्षा विभाग लगातार प्राथमिक, माध्यमिक, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलो की संख्या बढ़ा रहा है, लेकिन शिक्षको की संख्या उतनी ही बनी हुई है। इससे नए के साथ पुराने स्कूलो में पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
शिक्षक विहीन स्कूले-
विकासखण्ड में यूजी ईजीसी मायारूण्डी (बोड़ायता), एनएमएस गामड़ी, यूजी ईजीसी भामती (डाबड़ी), जीपीएस तारखेड़ी, पीएस गामड़ी, एमएस देवली, बालक आश्रम देवली, पीएस नरसिंहपूरा, पीएस लालारूण्डी, यूजी ईजीसी कायाराल (बेकल्दा), पीएस बेड़दा, ईजीसी कुंडिया, सेटेलाइट स्कूल सेमल (भीलकोटड़ा), वरण्य काचरोटिया, बीपीएस रूपगढ़, पीएस जांबूपाड़ा, पीएस हनुमन्त्या, पीएस चवरिया, एनएमएस चवरिया, पीएस नहारपुरा, बीपीएस करड़ावद, एनपीएस तालीपाड़ा, पीएस जुनवानिया, सेटेलाइट स्कूल नवापाड़ा, एनएमएस गोविंदपाड़ा और यूजी ईजीसी पत्थरपाड़ा (छोटा बोलासा) को मिलाकर कुल 27 स्कूले है जो शिक्षक विहीन है। इन स्कूलो की स्थिति बेहद खराब है। पढ़ाई के अलावा अन्य जानकारी जुटाने में भी यहां अधिकारियो को दिक्कत आ रही है। सवाल है कि नकल पर सख्ती करने वाली सरकार क्या शिक्षा की गुणवत्ता सुधार पाएगी ताकि छात्र-छात्राओ को पढ़ाई न छोडऩा पड़े।
इनका कहना है-
इस संबंध में बीआरसी एसआर रायपुरिया ने बताया अतिथि शिक्षको के आवेदन मंगवाए गए है। जल्द ही अतिथि शिक्षक नियुक्त कर कमी पूरी की जाएगी।

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