यह कैसी कर्जमाफी ? अपनी ही प्याज की उपज का दाम नही निकाल पा रहा कृषक ; बैंक बोली पहले कर्जा चुकाओ

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सलमान शैख़@ पेटलावद
भारत से लेकर विश्व तक में सुचारू अर्थ-व्यवस्था बैंकों से ही बनती है जब तक कोई लोग बैंकों से लेन देन नहीं करता तब तक वह सामाजिक जरूरी सामान नहीं खरीद सकता है।इसी व्यवस्था का दुरुपयोग बैंक में बैठे अधिकारी व कर्मचारी खाताधारकों के साथ करने में लगे हुए हैं। बैंक परिसर में यह अधिकारी अपनी एक तरह की तानाशाही चला रहे हैं। न हीं बैंक समय पर खोलते हैं और ना ही बैंक समय पर बंद हो रहे हैं। बैंकों में अधिकारियों के ऐसे तानाशाही रवैये से खाताधारक पूरी तरह परेशान बने हुए हैं।
ताजा मामला शहर के कानवन मार्ग पर स्थित बैंक आफ बडौदा शाखा में प्रकाश में आया है। दरअसल, ग्राम कोदली की रहने वाली रामकन्या पाटीदार अपने पुत्र विजय पाटीदार के साथ अपने बचत खाते में जमा हुए प्याज के रुपये निकालने पहुंची थी, लेकिन बैंक अधिकारियों ने इसलिए वह पैसे रोक दिए कि उसने जो केसीसी लोन ले रखा था उसकी पलटी नहीं की थी। अब भला इन कर्मचारियों को किसने इसका अधिकार दे दिया कि वह बचत खाते पर रोक लगा दे और खाताधारक को प्रताड़ित करे।
कब बेचे थे प्याज, कब हुए पैसे जमा-
पुत्रा विजय पाटीदार ने बताया 6 अप्रेल को उन्होंने व्यापारी को 100 क्विंटल प्याज बेचे थे, जिसके बाद 25 अप्रेल को माताजी के बचत खाते में पैसे जमा हुए थे, 750 रुपये प्रति क्विंटल प्याज के भाव के हिसाब से कुल 74 हजार रूपये की राशि खाते में आई थी। वहीं जो केसीसी 2012 में ली थी उसकी पलटी भी करी थी, लेकिन इस बार पलटी नही कर पाए, क्योंकि जो उपज होना थी वह नही हो पाई थी।
अब खड़ा हो गया संकट, कहां से दे साथी को पैसे-
बैंककर्मियों की इस तानाशाही रवैये के कारण उस महिला के सामने संकट खड़ा हो गया है कि वह अपने साथी जिसने उसके साथ प्याज बेची थी उसे रुपए कहां चला कर दे। अब इन बैंक अधिकारी और कर्मचारियों की भ्रष्ट कार्यप्रणाली के रवैये से आमजन इन दिनों परेशान बने हुए हैं। जहां बैंक अधिकारी व कर्मचारी खाताधारकों को बेफिजूल में परेशान करने में लगे हुए हैं।
खाताधारक महिला का आरोप है कि जब वह बैंक परिसर में पैसा निकालने एवं बैंक संबंधित अन्य कार्य के लिए गई तो बैंक अधिकारियों ने उसे अपना अपमानित कर बैंक से जाने का कह दिया। उक्त कर्मचारी ने महिला को यह तक कह दिया कि अगर खाता नहीं चलता है तो खाता बंद कर दे, जिससे खाताधारक महिला को परेशानी और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। इन बैंक कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासन सख्ती से पेश आएं ताकि बैंक की अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जा सके।
मैं अभी बाहर हूँ, शाखा पहुंचकर ही पूरा मामला बता सकता हूँ-
इन सम्बन्ध में हमने बैंक के शाखा प्रबंधक श्रीवास्तव से चर्चा करनी चाही, तो उन्होंने बताया कि वह अभी बाहर है, इस मामले में क्या हुआ है यह शाखा आकर ही बता सकता हूँ, वैसे बचत खाते से रुपये नही रोके जा सकते है। मैं आकर इस मामले को दिखवाता हूँ।

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