मीडिया ही अच्छे कामों की सुगंध को फैला सकता है राजनीति, प्रशासन में यह शक्ति नदारद : सुंदरसूरीश्वरजी

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हरीश राठौड़, पेटलावद
इस समय देश और समाज गंभीर चारित्रिक संकट से गुजर रहा है यदि हम शील और संस्कार को बचाने के लिए तैयारी नहीं की तो हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी। यह काम मीडियाकर्मियों, राजनेताओं और बुद्धिजिवियों को करना है। उपरोक्त बात 300 से ज्यादा उत्कृष्ट साहित्यिक पुस्तकों के रचियता,पद्यभूषण से सम्मानित, द गोल्डन बुक अवॉर्ड विजेता आचार्य श्रीमज विजय रत्न सुंदरसूरीश्वरजी ने पत्रकारवार्ता के दौरान कही। आचार्यश्री ने कहा कि गिरावट समाज के हर क्षेत्र में है लेकिन यह क्यों है इस पर विचार करना चाहिए। यह इसलिए की हमने खुशहाली के बजाए धन को चुना है। भारत धनवान देशों की सूची में 6वे स्थान पर है जबकि हेप्पीनेस इंडेक्स में 122वें नंबर पर है। यह तथ्य बताते है कि हमने खुशहाली प्राप्त करने के बजाए धन एकत्र करने पर ज्यादा काम किया है, समस्या की मूल जड़ यहीं है। एक प्रश्न के उत्तर में आचार्य प्रवर ने कहा कि देश का युवा का बड़ा वर्ग आज डिप्रेशन और एंगर से पीडि़त है. यह इसलिए कि हमने सकारात्मक ढग़ से सोचना ही बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि मंैने कुछ वर्षो पूर्व भारत में यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव के खिलाफ बड़ा संघर्ष किया। इसके लिए हर बड़े राजनेता से व्यक्तिगत मुलाकात की, संसद को संबोधित करते हुए. जहां यौन शिक्षा लागू उन देशों के आंकडे और तथ्य प्रस्तुत किए. और उस प्रस्ताव के कानूनी स्वरूप को रद्द करवाया। उन्होंने कहा कि भारत में यौन शिक्षा लागू करवाने के पीछे बहुराष्ट्रीय कंपनिया है जो कंडोम और एड्स दवाओं के बाजार को बढ़ावा देना चाहती है। उन्होंने कहा कि यौन शिक्षा के उस पाठ्यक्रम को सभ्य परिवार अपने बच्चों के साथ बैठ कर नहीं पढ़ सकता है। यदि यह पाठ्यक्रम लागू होता तो देश में तबाही मच जाती है। जिनांतरीत खाद्य सामग्री यानी जीएम फूड जीएम बीज के मुद्दे पर आचार्य श्री ने कहा कि यह भी बहुराष्ट्रीय कंपनी की बड़ी साजिश है। हम अपने बच्चों को जहर खिला रहे है। खेतों में जहर के बीज बो रहे है और कीटनाशक के जहर से फसलों को सिंच रहे है तो फिर देश का युवा स्वस्थ कैसे होगा। यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों का फॉर्मूला है कि पहले बर्बादी का सामना बेचो फिर उसे ठीक करने के साधन बेचो, वर्तमान समय में जैविक कृषि ही देश के किसान और किसानी को बचा सकती है।
धर्मांतरण पर पूछे गए सवाल पर गुरूवर ने कहा कि पहले हमें संस्कारों के गिरते हुए स्तर पर सोचना पड़े फिर हम धर्म के बारे में बात कर सकेंगे अभी तो शील और संस्कार का संकट है और यह संकट मर्यादा लांघने के कारण और बढ़ रहा है जैसे सीता ने लक्ष्मण रेखा लांघी तो उनका हरण हो गया। आज समाज में हर वर्ग अपनी सीमा रेखा लांघ रहा है। उन्होंने डान ब्रेडमेन के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि आप व्हाइड बॉल को नहीं छेड़ोंगे तो सुरक्षित रहोंगे, आज तो हर आदमी व्हाइड बाल खेलने की जुगत में है। उन्होंने कहा कि अधिक धन, तत्काल धन और हर कीमत पर धन यह मनुष्य की प्रवृत्ति हो गई है, यहीं तनाव का कारण है। उन्होंने कहा कि इस समाज में चार स्तंभ प्रमुख है. शिक्षा, सत्ता, मीडिया और संत। इन चारों में मीडिया सबसे शक्तिशाली है। क्योंकि बुराई या अच्छाई को फैलाने का वहीं एक माध्यम है। मैं मीडिया के प्रति बहुत आशावादी हूं। यदि वह संकल्प कर ले तो यह देश बुराई को हरा सकेगा।
उन्होंने कहा कि बलात्कार की घटना में सूचना देते समय यदि बलात्कार के आरोपी के पिता या अभिभावक का नाम नहीं छापा जाए तो यह अच्छा कदम होगा क्योंकि कोई पिता अपने बच्चों को गलत संस्कार नहीं देता।
उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ वर्षों में हमें सोचना पड़ेगा कि हमने बीते 150 सालों कितनी रानी लक्ष्मीबाई और कितनी विश्व सुंदयिां पैदा की है। आप समझ जाएंगे की समाज का फोकस किस तरफ है. हमारी बच्चियां जो कपड़े पहनती है उसमें आत्म गउरव पैदा करने की शक्ति नहीं बल्कि आत्मग्लानी पैदा करने की शक्ति है। उन्होंने सरकार की धर्मार्थ ट्रस्टों की संपति और आय पर टैक्स वसूले जाने की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि गौमांस का निर्यात करते है उन्हें सरकार अनुदान देती है वहीं जो धार्मिक संस्थान गौ हत्या का विरोध करते है उन पर सरकार टैक्स के कोड़े चलाती है। सरकार एक तरफ द्वितीय विश्व युद्ध हजारों लोगों को मारने के लिए जिम्मेदार रसायन से निर्मित खाद पर 1 लाख करोड़ की सब्सिडी दी वहीं मांस के विरोध करने वाले धार्मिक प्रतिष्ठानों पर भारी टैक्स लगा दिया।
उन्होंने कहा कि राजनेताओं के पास संकल्प शक्ति का अभाव है प्रशासन के पास दृष्टिकोण का अभाव है और मीडिया अच्छे से ज्यादा सच्चे को प्राथमिकता देता है। यदि मीडिया अच्छे को प्राथमिकता देना प्रारंभ करे तो तस्वीर बदल सकती है। पत्रकार वार्ता में पद्भूषण संतश्री ने कहा कि मीडिया को अच्छे समाचारों के प्रति अक्रामक रवैया अपनाना चाहिए। मीडिया ही अच्छे कामों की सुगंध को फैला सकता है। राजनीति, प्रशासन और समाज के किसी दूसरे वर्ग में यह शक्ति नहीं है। इस मौके पर समस्त पत्रकारगण व समाज के वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे।

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