मां बाप का आशीर्वाद जिनके साथ होता है, वह जीव कभी ठोकरे नहीं खाता

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
मातृ दिवस और पितृ दिवस मनाने से कुछ नहीं होता है जिंदगी में मां बाप का आदर करना बड़ी बात है। उनके सुख दुख में सहभागी बनिए जिन्हें मां बाप के चरण रज मिल जाते है उनके भाग्य हमेशा के लिए खुल जाते है मां बाप का आशीर्वाद जिनके साथ होता है, वह जीव कभी ठोकरे नहीं खाता है। उक्त प्रेरक उद्गार स्थानक भवन में विराजित महासती मनोज्ञाश्री ने पर्युषण पर्व के तीसरे दिन धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मां खुद रोती है पर बच्चों रोने नहीं देती, इसलिए मां ने जो खुशियां हमें दी है उससे अधिक खुशियां उन्हें दीजिए। घर में रहने वाली मां को बोझ समझकर वृद्धाश्रम में भेजने वाला बेटा खुद धरती पर बोझ होता है। पूत कपूत हो सकता है पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती क्योंकि माता का दिल कोमल और वात्सल्यमय होता है। जिंदगी में हम सभी चीजें भूले मगर मां बाप के उपकार को कभी नहीं भूले, उन्हें खुशियां देकर हम अपना फर्ज निभाएं। महासतीजी के सानिध्य में धर्म आराधनाओं का दौर जारी है। जैन सोशल ग्रुप द्वारा आयोजित महापुरूषों के जीवन पर आधारित धार्मिक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में आर्या मुरार व इशा मुरार प्रथम, विदुषी भंडारी द्वितीय, खुशी पटवा, अन्वेषा जैन तृतीय रही। नवयुवक मंडल द्वारा आयोजित ज्ञान वृद्धि प्रतियोगिता में मधु मेहता प्रथम एवं रिंकल बरबेटा द्वितीय रही। धर्मसभा में संजना भंडारी ने 22 उपवास के प्रत्याख्यान लिए एवं एकासन का मास खमण करने वाली पुष्पा बाफना का संघ की ओर से बहुमान किया गया। संचालन राजेंद्र कटकानी ने किया।

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