झाबुआ लाइव के झकनावदा से जितेंद्र राठोड की रिपोर्ट ॥
मनरेगा कागजी सफलता ओर जमीनी विफलता ने इलाके मे “मजदूरों” को सपरिवार पलायन पर मजबुर होना पड रहा है झकनावदा ओर उसके आसपास के दो दर्जन से अधिक गांवो के लोग इन दिनो गुजरात ओर मालवा के विभिन्न शहरो की ओर रोजगार की तलाश मे जा रहे है । आलम यह है कि अगले एक सप्ताह मे गांव के गांव खाली होने के कगार पर है । इलाके से गुजरने वाली यात्री बसे ओर जीपे खचाखच ऊपर-नीचे भरी हुई जा रही है ।
नही मिल रहा काम-ओर मजदूरी
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यु तो मनरेगा को रोजगार देने वाली योजना माना जाता है लेकिन इस योजना मे काम मिलना लोगो को बंद हो गया है ओर जिन मजदूरों ने पहले इस योजना मे काम किया उनको महीनों बीत जाने के बाद भी काम नही मिल रहा ऐसे मे पलायन ही मजबूरी है झाबुआ लाइव को इलाके भुरीघाटी, सेमलिया, टोडी धतुरिया, तारखेडी, बोलासा, पिठडी, आदि के मजदूरों ने मनरेगा का मजदूरी भुगतान ना मिलने की शिकायत की है । श्रमिक अनसिह को एक साल से मजदूरी नही मिली अब वह सुरत जा रहा है ।
व्यापार भी प्रभावित
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भारी पलायन के चलते इलाके के गांव के गांव खाली हो जाने के चलते व्यापारी भी परेशान है व्यापारी शांतिलाल कासवा कहते है कमजोर फसल ओर मनरेगा की विफलता ने धंधे की कमर तोड दी है व्यापारियो का मानना है कि जब क्रय शक्ति नही होगी तो कैसे व्यापार होगा ।
यह बोले जिम्मेदार
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मजदूरों के भारी पलायन पर पेटलावद जनपद पंचायत के सीईओ वीरेंद्र सिह रावत कहते है कि मनरेगा मे राशि ऊपर से ही नही आ रही है अगर आयेगी तो भुगतान कर देंगे ।