भैरवनाथ मवेशी मेले में कवियों ने बांधा समां, राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवियों ने खूब दाद बटोरी

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
मैं सूर्य चंद्र की गति का निर्धारण करता हूं मैं दशरथ नंदन मर्यादा पुरषोत्तम राम मुझे गर्व है मै हिंदू हूूं, जैसी वीर रस की कविताओं ने पंपावती नदी के तट पर नगर परिषद द्वारा भैरवनाथ मवेशी मेले में आयोजित कवि सम्मेलन में कवि मुकेश ने हजारों श्रोताओं की तालियां और दाद बटोरी। वीर रस की ओजस्वी वाणी से मुकेश मोलवा ने उरी में सैनिकों पर हुए हमले, पर भगवान से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि एक सैनिक भी जाग गया होता तो दुश्मन के छक्के छुडा देता। नगर के धार्मिक स्थानों को अपनी कविता की पंक्तियों में स्थान देकर नगरवासियों का दिल जीत लिया।
मां पद्मावती सच्चें अर्थों में मेरे देश की परिभाषा है.
पद्मावती फिल्म पर चल रहे विवाद के उपर कविता सुनाते हुए उन्होंने रानी पद्मावती और दासियों के जोहर के बारे में सुनाया और कहा कि मां पद्मावती सच्चें अर्थो में मेरे देश की परिभाषा है। इसके साथ ही ओवेसी, जेएनयू के गलत बयानों पर सटीक टिप्पणियां करते हुए पूरे सदन का दाद बटोरी। कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि एसडीएम हर्षल पंचोली और नप अध्यक्ष मनोहर भटेवरा ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इसके पश्चात अतिथियों का स्वागत और नप के पार्षदों द्वारा कवियों का स्वागत किया गया। कवि सम्मेलन के शुभारंभ में मां सरस्वती की वंदना नैनीताल से गौरी मिश्रा ने की। इसके पश्चात प्रथम कवि के रूप में हास्य कवि मुन्ना बेटरी मंदसौर ने अपनी चुटकुलों और अलग ही अंदाज से श्रोताओं को गुदगुदाया। इसके पश्चात नामली की कवियत्री सुमित्रा ने श्रंगार रस की कविताओं पर दाद बटोरी।
पत्रकार संघ ने किया नागरिक अभिनंदन-
इस मउके पर तहसील पत्रकार संघ द्वारा राष्ट्रीय कवि मुकेश मुलवा का नागरिक अभिनंदन करते हुए उन्हें शॉल-श्रीफल-साफा-प्रतीक चिन्ह और अभिनंदन पत्र भेंट किया। वरिष्ठ पत्रकार हरेंद्र शुक्ला, संघ के अध्यक्ष मोहन पडिय़ार, वीरेंद्र भट्ट, मनोज पुरोहित, हरिश राठौड़, लोकू परिहार, निलेश सोनी, जितेंद्र विश्वकर्मा, निर्मल व्यास, लोकेंद्र चाणोदिया, जगदीश प्रजापत ने सम्मान किया। इसके साथ ही नैनीताल से आई कवियत्री गौरी मिश्रा ने भी श्रंगार के गीत और गजलों के छंद की वर्षा की। प्रतापगढ़ राजस्थान के पेरोडी गायक पार्थ नवीन ने पेरोडियों के माध्यम से राम रहीम, आंतकवाद, देश की अन्य समस्याओं पर पेरोडी प्रस्तुत की।
तुम्हारें प्यार के किस्सें मेरी कविता सुनाती है.
राजस्थान जयपुर से आई श्रंगार की कवियत्री दीपीका माही ने कार्यक्रम को अलग ही रंग दिया जिसमें पहली बार ससुराल गई नई नवेली बहू की आप बीती सुनाई और मुहब्बते के नगमें गा कर सभी का मन मोह लिया। विशेष रूप से तुम्हारे प्यार के किस्सें मेरी कविता सुनाती है- तुम्हारी याद में पायल विरह के गीत गाती है पर श्रोताओं ने तालियों का अंबार लगा दिया।
शांति से आया तूफान
हास्य और व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर शांति तूफान ने जब रात्रि 2 बजे के लगभग अपना काव्य पाठ आरंभ किया तो उन्होंने हास्य के साथ आज की परिस्थितियों पर भी प्रेरणादायक व्यंग किए। शांति तूफान को कविताओं की दुनिया के समाधान का कवि कहा जाता है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से हास्य में कई समाधान सुझाए, जिसमें कश्मीर समस्या का हल बताते हुए कहा कि कश्मीर का नाम ही बदलों दो तो कश्मीर समस्या ही खत्म हो जाए और उधार ले कर वापस नहीं देना है तो उधार मांगने वाले को कहों की तुमने मुझे उधार दिया मैं तुम्हें नकद क्यों दू।
वहीं स्वच्छता पर भी कई कटु व्यंग प्रस्तुत किए. जिसमें बताया की भारत में एक विशेषता है जिस काम से आदमी को रोकते है वह उस काम को ज्यादा करता है। इसलिए उल्टा कहिए अपने आप आदमी में सुधार होगा। इस प्रकार लगभग 1 घंटे तक हास्य व्यंग के हजारों दृश्य श्रोताओं के सामने रख कर खूब वाह वाही लूटी। वहीं मंच संचालक और वरिष्ठ कवि शशिकांत यादव ने राष्ट्र का गौरव बढ़ाने वाली कविताओं का पाठ करते हुए सुबह 4 बजे तक काव्य पाठ किया और श्रोताओं की दाद बटोरी। कवि सम्मेलन में मेला समिति के अध्यब डॉ.अशोक शर्मा, ममता प्रवीण पंवार, प्रकाश मुलेवा, शांति मेड़ा, मंजु अनिल मुलेवा, कमलेश चौधरी, मोहन मेडा, जगदीश जाटव, माया राजू सतोगिया, शंभुडी हरचंद्र डामर, कीर्तिश चाणोदिया आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र कटकानी और मंडल अध्यक्ष किर्तीश चाणोदिया ने किया। अंत में आभार नप उपाध्यक्ष माया राजू सतोगिया ने माना।

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