भावंतर योजना की शुरुआत के साथ ही मंडी में हुई बंपर खरीदी

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– सोयाबीन की आवक से मंडी की रौनक बढ़ी.

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
भावांतर योजना की शुरूआत के साथ ही पेटलावद मंडी में उपज खरीदी की प्रारंभ हुई बाजार में कहीं पर कृषि उपज नहीं बेची जा रही है। मंडी में ही उपज खरीदी जा रही है, जिसके चलते 11 बजे से लेकर शाम तक मंडी में चहल पहल देखी जा रही है। सभी प्रकार की फसलों का क्रय विक्रय नीलामी के माध्यम से किया जा रहा है। जिससे किसानों को लाभ हो रहा है किंतु इस प्रक्रिया को लेकर छोटे व्यापारियों और छोटे किसानों में असंतोष की स्थिति है, जो किसान नकद फसल के रूप में अपनी उपज को बेचना चाहता है उसे लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। क्योंकि 5 किलो से 25 किलो अनाज लेकर मंडी पहुंचना किसान को भारी लग रहा है। वहीं छोटे व्यापारियों की भी आवक पर रोक लग गई है, जो कि थोड़ा-थोड़ा माल दिन भर में खरीद कर शाम को बड़े व्यापारी को बेचते थे। मंडी अधिनियम के तहत भी सिर बोझ माल को बाजार में बेचा जा सकता है किंतु सख्ती के चलते सभी किसानों को मंडी में अपना माल बेचने जाना पड़ रहा है यहां तक की अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी व्यापारियों और किसान परेशान हो रहे हैं। इस संबंध में करवड़ के व्यापारियों ने मंडी सचिव को एक पत्र लिख कर छोटे माल की खरीदी पर रोक हटाने की मांग भी की है।
भावांतर योजना की तुलाई पेटलावद में-
वहीं जिस किसान का भावांतर योजना में पंजीयन हुआ है उसे अपना कृषि उपज पेटलावद मंडी में ही लेकर आना पड़ रही है. क्योंकि बेत्र में केवल एक मात्र पेटलावद मंडी को भावातंर योजना के तहत खरीदी हेतु तय किया गया है जिस कारण क्षेत्र की दो उप मंडिया बामनिया और सारंगी के किसानों को भी भावांतर योजना का लाभ लेने के लिए 20 किमी का आना जाना कर पेटलावद मंडी में कृषि उपज बेचना पड़ रही है।
क्रियाशील करने की मांग-
इस संबंध में पेटलावद मंडी सचिव एमएस खान ने जिला कलेक्टर को एक पत्र लिख कर मांग की है कि पेटलावद क्षेत्र की बामनिया और सारंगी उपमंडी को भावांतर योजना के तहत माल खरीदी के लिए क्रियाशील किया जाए ताकि इस क्षेत्र के किसानों को पेटलावद नहीं आना पड़े और पेटलावद मंडी पर अधिक दबाव नहीं पड़े जिसके लिए अनुमति हेतु भोपाल से कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि एक या दो दिन में उपमंडी में भावांतर योजना की उपज भी ले सकेंगे। मुख्य रूप से भावांतर योजना में पंजीबद्ध 10 हजार किसानों में से बामनिया और सारंगी क्षेत्र के लगभग 3 हजार किसानों ने भावांतर योजना में पंजीयन करवाया। यदि ये किसान पेटलावद मंडी के बजाए सारंगी और बामनिया में विभाजित होते हैं, तो इससे पेटलावद मंडी पर भी दबाव कम रहेगा।
किसान निराश.
इस बार सोयाबीन के कम उत्पादन और अभी चल रहे भावों से किसान निराश है। क्योंकि बुधवार को भी 2500 से 2600 रूपए तक सोयाबीन बिका है इसमें कई किसानों का कहना है कि हमें हमारी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। भावांतर योजना में भी मात्र 200 से 250 रूपए का लाभ होगा, इससे हमारी उपज फिर भी मात्र 2800 रूपए तक में बेची माने तो भी सोयाबीन में किसानों को कम से कम 3500 रूपए का भाव चाहिए तब कहीं जाकर खर्चा निकलता है और इस बार कम उत्पादन के कारण और भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
भुगतान को लेकर परेशान-
भुगतान को लेकर कई किसान परेशान हो रहे है उन्हें कहा गया कि आरटीजीएस के माध्यम से आपके खातों में भुगतान होगा। मुख्यमंत्री की अपील के बाद भी व्यापारी नगद भुगतान करने को राजी नहीं हो रहा है। व्यापारियों का कहना है कि हम नकद भुगतान करे और दिन भर में अधिक भुगतान हो जाए तो इनकम टैक्स में कैसे इस समस्या का हल निकालेगें। जब तक इंकम टैक्स विभाग कोई उचित निर्देश नहीं देता है नगद भुगतान नहीं करेंगे। ऐसा ही एक किसान ग्राम केशरपुरा का लालु हिरजी जिसने 23 अक्टूबर को अपनी फसल 13 क्विंटल सोयाबीन जिसका 35 हजार रूपए हुए उसे कहा गया खाते में पैसा आ जाएगा आज तक पैसा नहीं आया किसान को गेहूं की बुवाई करनी है इसलिए रोजना बैंक में खाता चेक करने जाता है।
इस संबंध में मंडी सचिव एमएस खान से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि मंडी नियमों के तहत खरीदी करवाई जा रही है। सके साथ ही मंडी में किसानों को सभी सुविधा प्रदान की जा रही है। वहीं इनके उपज का भुगतान भी 50 हजार तक नकद और इससे अधिक आरटीजीएस के माध्यम से सीधे खातों में करवाया जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता चेनालाल गेहलोत का कहना है कि मंडी में उपज की खरीदी बिक्री से किसानों को लाभ ही होगा, कुछ समय परेशानियां आ सकती है किंतु आगे चलकर किसानों की रफत में बन जाएगा कि मंडी में ही माल बेचा जाए तब किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी तथा किसान लूट खसोट से भी बच सकेगा। इसलिए अभी किसानों को मंडी को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करना चाहिए.

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