भगवान शिव के लिए काल का कोई मान नही है, वे महाकाल है: पंडित प्रफुल्ल शुक्ला

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Salman Shaikh@ Petlawad
भगवान शिव का कोई उत्पादक नही है। उनका पालनकर्ता और संहारक कोई नही है। वे एक होकर भी अनेकता को प्राप्त होते है और अनेक होकर भी एकता को प्राप्त होते है। संपूर्ण जगत शिवमय है। शिव ही कर्ता, भर्ता, हरता एवं साक्षी तथा निर्गुण है। वे दूसरों के लिए काल गणना के मान है परंतु उनके लिए काल का कोई मान नही है। वे महाकाल है और महाकाली उनकी आश्रित है।
यह बाते पंडित प्र्रफुल्ल हरिकृष्ण शु़क्ला ने कहीं। वे गुरूवार को निलकंठेश्वर महादेव मंदिर पर 15 दिवसीय शिव महापुराण कथा के समापन के अवसर पर बोल रहे थे।
आपने कहा भगवान शिव वेदो के प्राकट्यकर्ता है तथा वेदो के स्वामी है। शिव ने ही श्री विष्णु को सनातन वेद, अनेक वर्ण, अनेक मात्रा तथा अपना ध्यान एवं पूजन दिया है। श्रृष्टि के पूर्व में भी वे थे, मध्य में भी वे थे एवं अंत में भी वे ही रहेंगे। बाकि सभी देवता काल अनुसार आते-जाते रहते है।
पंडित शुक्ला ने कहा महापुराण में कहा गया है माता पार्वती ने भी स्वयं शिव को पाने के लिए उनकी ही भक्ति की थी। उनसे बड़ा दयालु और भोला कोई नहीं हुआ। ब्रह, विष्णु व शिव सर्वयुग में पूजनीय हैं। इन तीनो का वास बिल्व पत्र में होगा है, इसलिए सावन माह में इसका बड़ा महत्व है। सावन में शिव की पूजा करने से वे प्रसन्न होते है और भक्तो की मनोकामना पूरी करते है। शिव की भक्ति से आत्मशांति मिलती है।
निकाला गया समापन जूलूस-
शिव महापुराण का श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरूष एकत्र हुए। 15 दिनो तक श्रद्धालुओ ने शिव महापुराण कथा श्रवण कर धर्मलाभ कमाया। अंतिम दिन कथा के समापन के बाद मंदिर में महाआरती हुई। इसके पश्चात् नगर के प्रमुख मार्गो से समापन जूलूस भी निकला गया। जिसमें महिलाएं भगवान के भजन करते हुए चल रही थी। भक्तगण शिव महापुराण को ढोल के साथ अनुशासन से शोभायात्रा के रूप में लेकर पंडित प्रफुल्ल शुक्ला के निवास स्थान पर लाए। जहां विधिवत पूजा-अर्चना कर शिव महापुराण की आरती उतारी। इस अवसर पर पंडित हरिकृष्ण शुक्ला, प्रफुल्ल शुक्ला,  राजू सतोगिया,  संजय उपाध्याय आदि मौजूद थे।

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