बैंकों ने गेहूं खरीदे लेकिन भुगतान के लिए भटक रहे किसान

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पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
क्षेत्र में बैकिंग व्यवस्था को लेकर किसान परेशान है। गेहूं तुलाई के बाद उनके खाते में पैसे नहीं पहुंच रहे है, यदि पैसे पहुंच रहे है तो बैंकों के पास पैसे नहीं है आखिर किसान करे तो क्या करे जिसे लेकर कई किसान परेशान है। बैंक जब खाते में पैसे डलवाने होते है तो किसानों पर दबाव बनाते है किंतु जब किसानों का पैसा देना होता है तो उन्हें कई चक्कर लगाए जाते है। पेटलावद के किसान लक्ष्मणलाल राठौड़ ने विपणन संस्था में अपना गेहूं 27 अप्रैल को तुलवाया जिसके 98 हजार रूपए उनके खाते में आज दिनांक तक नहीं पहुंचे। वे पैसों के लिए परेशान हो रहे है लगभग तीन दिनों से लगातार बैंक के चक्कर लगा रहे हैं। करड़ावद के एक किसान के 13 अप्रैल को गेहूं तुले थे किंतु आज तक उनके खाते में पैसे नहीं पहुंचे। इस प्रकार के एक या दो केस नहीं है सैकड़ों किसान परेशान हो रहे है। कई किसानों ने तो बैंक भरने के लिए इधर उधर से उधार पैसे लिए और गेहूं का पेमेंट आने पर भुगतान की बात कहीं किंतु महीने भर से परेशान होने के बाद भी उनका पेमेंट नहीं मिल रहा है। वहीं जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में स्थिति यह है कि लिस्ट अधिक होने से भुगतान में देरी बताई जा रही है। बैंकों में केश पेमेंट नहीं है, जिस कारण से भी किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन सब परिस्थितियों के चलते किसानों को अपनी उपज का समय पर पैसा नहीं मिल रहा है, जिस कारण से उन्हें बाजार में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की समस्या का समाधान कोई करने को तैयार नहीं है. उधर विपणन संस्था वाले कहते है हमारे द्वारा भुगतान कर दिया गया है किंतु किसान के खाते में पैसा नहीं पहुंच रहा है, जिसके लिए किसान परेशान है।

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