‘बदलती है सोच बदलते है सितारे न दिशा, बदलो न दशा बदलो केवल अपनी सोच को बदल लो’ : धीरज मुनिजी

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
मन वचन एवं काया का संयम रखकर व्यक्ति सुखी बनता है एवं तप से जुडक़र आत्म कल्याण का रास्ता खुलता है सैकड़ो वर्षो के संचित कर्म भी तप आराधना से टूट सकते है। तत्काल जो पाप को मिटा दे उसी को तप कहते है और जो आत्मा को निर्मल बनाने के लिए तप करते है उनकी अनुमोदना होती है। उक्त प्रेरक उदगार प्रेमसागर गार्डन में श्रमण संघीय उप प्रवर्तक प्रदीप मुनिजी ने सुभद्रा देवी मेहता के वर्षीतप के अभिनंदन के लिए आयोजित गुणानुवाद सभा में व्यक्त किए। तपस्वी धीरज मुनिजी ने कहा कि धर्म उत्कृष्ट मंगल रूप है अहिंसा संयम और तपमय जीवन वन्दनीय एवं पूजनीय होता है। उप प्रवर्तक सुभाष मुनिजी ने कहा कि ‘बदलती है सोच बदलते है सितारे न दिशा बदलो न दशा बदलो केवल अपनी सोच को बदल लो’ तो छोटी सी धर्म आराधना भी आत्म उत्थान का कारन बन जाएगी, जिसकी दृष्टि में दोष है वह कभी परमात्मा की दिशा में गमन नही कर सकता है दृष्टि बदलो तो सृष्टि बदलेगी। तप रूपी ज्वाला में भाव भरने से संचित कर्मो की निर्जरा हो जाती है। दिन दुखी एवं असहायों की सेवा सबसे बड़ा तप है।गुणानुवाद सभा में भवरलाल बाफना एवं गरिमा ने स्तवन प्रस्तुत किया। तेरापंथ समाज के अध्यक्ष झमक लाल भंडारी ने तपस्वी की अनुमोदना की। श्रीसंघ पेटलावद के अध्यक्ष नरेंद्र कटकानी, कोषाध्यक्ष नरेंद्र भंडारी, सचिव जीतेन्द्र कटकानी, पूर्व अध्यक्ष शांतिलाल चाणोदिया, स्वाध्यायी नीरज मूणत ने सुभद्रा देवी मेहता का अभिनंदन श्रीसंघ की और से किया। तप में सहायक सुभद्रा देवी मेहता के पति अशोक मेहता का भी बहुमान किया गया। गुरु भगवन्तों के प्रवचन 28 अप्रैल को भी स्थानक भवन पर प्रात: 9 बजे होंगे। कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र कटकानी ने किया। कार्यक्रम के अंत में स्वामी वात्सल्य का लाभ अशोक मेहता परिवार ने लिया।

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