पेटलावद के कोरोना वारियर का हुआ गुजरात के दाहोद में सम्मान

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी की चपेट में जूझ रहा है। भारत भी पुरे विश्व के साथ इस महामारी के सामने लड़ रहा है। ऐसी विषम परिस्थितियों में कोरोना के विरुद्ध जंग में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से भागीदार रहे कोरोना योद्धा जैसे प्रोफ़ेसर अरुण कटारा और उनकी पत्नी श्रीमती शीला कटारा पेटलावद जिन्होंने स्थानीय भीली भाषा मे कोरोना जागरूकता गीत के माध्यम से मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान सहित सम्पूर्ण आदिवासी अंचल में कोरोना के प्रति जनजागृति फैलाने में महती भूमिका निभाई थी। आदिवासी परिवार दाहोद और आदिवासी युवा ट्रस्ट दाहोद के संयुक्त तत्वावधान में ऐसे सच्चे कोरोना वारियर का मराठी सेकंडरी स्कूल परिसर दाहोद गुजरात में आयोजित सम्मान समारोह में जानेमाने आदिवासी भीली भाषा के जानकार, कवि, गीतकार प्रोफेसर अरुण कटारा को आदिवासी संस्कृति परम्परा के अनुसार आदिवासी ताज पहनाकर, तथा दोनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मान स्मारिका भेंट की तथा गुलदस्ता देकर सम्मानित किया। समारोह में भीली भाषा संस्कृति लोकगीत की भूमिका पर लघु संगोष्टि को संबोधित करते हुए प्रो कटारा ने प्रचलित भीली लोक गीतों की प्रस्तुति और व्याख्या कर उपस्थित प्रबुद्ध जनों को कभी भावविभोर तो कभी मंत्रमुग्ध कर दिया। बी बी वाहोनिया ने विशेष उद्द्बोधन दिया। संचालन नरेंद्र भाई पारगी ने किया तथा आभार शैलेश भाई भाबोर ने माना। प्रोफ़ेसर अरुण कटारा और श्रीमती शीला कटारा के इस योगदान पर दाहोद कलेक्टर श्री खराड़ी द्वारा समस्त समाज जन एवं प्रशासन की ओर से विशेष साधुवाद देते हुए शुभकामनाएं दी।

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