नगर परिषद में दैनिक वैतनभोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण में फर्जीवाड़ा, नियमों की अनदेखी कर कर दी 23 नियुक्तियां, लगाए पक्षपात के आरोप

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सलमान शेख,पेटलावद
नगर परिषद पेटलावद में दैनिक वैतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्तियों में हुआ फर्जीबाड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है। जानकारी के अनुसार पेटलावद नगर परिषद में सभी 23 नियुक्तियों में शासन के नियम-कायदों की अनदेखी की गई है। ऐसी कई फर्जी नियुक्तियो के मामले नपं में सामने आ चुके, लेकिन हाल ही में दैनिक वैतनभोगी कर्मचारियों की नियमितिकरण में भी गड़बड़ी सामने आई है। जिसमें यह बात सामने आई कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की भर्ती गुपचुप तरीके से कर ली गई है। जिसमें 12 अन्य शाखाओ के कर्मचारियों के अलावा 11 सफाई कर्मचारी शामिल हैं। इस मामले में जिला चयन समिति भी सवालो के घेरे में आ खड़ी हुई है, क्योंकि सबसे पहले ऐसे कर्मचारियों का चयन जिला चयन समिति करती है और उसके बाद पीआईसी में प्रस्ताव को अनुमोदित किया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार भर्ती में पैसों के लेनदेन की बात सामने आ रही है।

क्या है पूरा मामला:
दरअसल, नगर परिषद पेटलावद में दैनिक वैतनभोगी कर्मचारियो के नियमितिकरण में नियमों की ताक पर रखकर भर्ती की गई। जिसमें जो कई वर्षो से कार्यरत कर्मचारी है उनका नियमितिकरण नही करने के बजाय जो उनके बाद कार्यरत कर्मचारी आए थे उन्हें नियमित कर दिया गया है, जो कि एक बड़े घोटाले को उजागर कर रहा है। परिषद द्वारा दैनिक वेतन भोगी अधिनियम 2013 कर उल्लंघन किया गया।

कुल 77 अस्थाई और 28 स्थाई कर्मचारी नपं है कार्यरत:
बता दे कि नगर परिषद पेटलावद में कुल 77 अस्थाई और 28 स्थाई कर्मचारी कार्यरत है। जिसमें कोई 20 सालो से, तो 10 सालो से, तो कोई 5 सालो से नपं में अपने सेवाएं दे रहे है। अब बड़ा सवाल यह है कि जिन 23 कर्मचारियो जिसमें 11 सफाईकर्मी और 12 अन्य कर्मचारियो का नियमितिकरण किया गया क्या वे कर्मचारी वाकई उसके हकदार थे या फिर सबकुछ लेनदेन से हुआ है।

एक सफाई कामगार भटकता रहा अपने नियमितिकरण की मांग को लेकर:
आज शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से नपं कार्यालय में गुपचुप तरीके से एक सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें सभी 23 कर्मचारियो जिन्हें स्थाई किया गया था उन्हें नियुक्ति पत्र एसडीएम आईएएस हर्षल पंचोली द्वारा दिए गए, लेकिन इस भीड़ में एक ऐसा सफाई कर्मचारी भी था, जो पिछले कई वर्षो से अपनी नियमितिकरण की राह देख रहा है, लेकिन आज तक उसके हाथ में नियमितिकरण का लेटर नही आया। कारण यह है कि वह गरीब है और वह अधिकारियो, जनप्रतिनिधियो की जेब गरम नही कर सकता है, जिसने इनकी जेब गरम कर दी उसकी नियुक्ति पक्की समझो।
सम्मेलन के बाहर हमारी मुलाकात कन्नु पिता रामा चावरिया निवासी पेटलावद से हुई, वह एक साधारण मांगपत्र लेकर अधिकारियो को देने के लिए भटक रहा था, सम्मेलन खत्म होने के बाद कन्नु ने अपनी समस्या एसडीएम श्री पंचोली के समक्ष रखी, उसने एसडीएम को बताया कि वह पिछले 12 वर्षो से नपं में सफाई कामगार का कार्य कर रहा है, लेकिन उसके बाद जो कर्मचारी काम पर लगे है उन्हें नियमित कर दिया गया, लेकिन उन्हें आज तक नियमित नही किया। उन्होने एसडीएम को यह भी बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही है और उनकी पत्नि सुगनबाई जो की लकवाग्रस्त है, जिसकी देखभाल भी उन्हें करनी पड़ती है, ऐसी स्थिति में उनका नियमितिकरण होना अतिआवश्यक था, लेकिन नपं में लेनदेन के बिना कुछ भी संभव नही है। यह तो एक कन्नु की कहानी है, जिस पर अब आगे क्या होगा यह तो भगवान ही जाने, लेकिन ऐसे कई कर्मचारी है जो पिछले कई वर्षो से अपनी नियमितिकरण की राह जोत रहे है।

क्या है कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया:
वैसे तो शासन के द्वारा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियुक्तियां शासन द्वारा पूर्णत: प्रतिबंधित हैं लेकिन अनिवार्य सेवाओं जैसे सफाई, जलप्रदाय, स्ट्रीट लाइट पर तकनीकी योग्यता के अनुसार सर्वप्रथम परिषद द्वारा पीआईसी में प्रस्ताव डालकर अनिवार्य सेवाओं के लिए पद की मांग की जाती है फिर इसे परिषद की बैठक में अनुमोदन लिया जाता है। इसके बाद सक्षम अधिकारी से स्वीकृति ली जाती है, फिर पदों के लिए विज्ञापन निकाल कर निर्धारित योग्यता के अनुसार भर्ती की जाती है। लेकिन यहां पर हुई भर्ती प्रक्रिया में इन नियमों का कोई पालन नहीं किया गया।

 विधायक को रखा गया कार्यक्रम से दूर:
बता दे कि इस कार्यक्रम में एसडीएम ओर नपं अध्यक्ष सहित पार्षद मौजूद थे, लेकिन विधायक को इससे दूर रखा गया, जिस पर कांग्रेसी नेताओं ने सवाल खड़े करे कि आखिर क्यों विधायक को कार्यक्रम से दूर रखा गया, जबकि प्रोटोकॉल के अनुसार विधायक की उपस्थिति होना अनिवार्य थी।

नियमितिकरण में नही हुआ फर्जीवाड़ा:
– जहां तक है नियमों पालन किया गया होगा, क्योकि यह नियुक्तियां जिला चयन समिति पहले इनका चयन करती है उसके बाद पीआईसी में प्रस्ताव को अनुमोदन लिया जाता है, जिससे फर्जीवाड़ा होना कहीं से कहीं तक संभव नही है।  
– सुरेशचंद्र त्रिवेदी, सीएमओ 
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विधायक ने व्यक्त की नाराजगी-
नपं में जो आयोजन हुआ उसमें प्रोटोकॉल का ध्यान नही रखा गया। विधायक को इसमें बुलाया जाना चाहिए था। कर्मचारीयों का जो नियमितिकरण के लिए मेरे द्वारा ही पहल की गई थी। – वालसिंह मैडा, विधायक पेटलावद

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