नंदर माता मंदिर में मन्नतधारियों का लगा तांता

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जीवनलाल राठौड़, पेटलावद.
आस्था, विश्वास, तप, त्याग और तपस्या के पर्व नवरात्रि में माता के मंदिरों में भक्तों का तांता लग रहा है। क्षेत्र में माता के इसे कई मंदिर है जो आस्था और विश्वास का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते है जिसमें क्षेत्र का नंदर माता का मंदिर भी मशहूर है, यहां भक्तों ही हर मनोकामना पूरी होती है, जहां भक्त माता को श्रद्धा से चांदी के जेवर चढ़ाते है, यहां माता की मूर्ति पर चांदी का जेवर का ढेर लगा रहता है जिन्हें बच्चे नहीं हो रहे या कोई बड़ी परेशानी है उसकी मन्नत यहां लेने से जल्द ही काम पूरा होता है।

सागौन का जंगल है-
माताजी के मंदिर की पहाड़ी पर चारों तरफ सागौन का घना जंगल है जहां की लकड़ी भी चोरी कर कोई नहीं ले जा सकता है और कोई ले भी नहीं जाता है। इसका उपयोग यहीं पर किया जाता है। मंदिर में वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्रि में विशेष भीड़ रहती है। इस मंदिर पर आदिवासी समाज की विशेष आस्था है। इसके साथ ही अब देखने में आ रहा है अन्य समाज के लोग भी बडी संख्या में दर्शन करने आते है। मनोकामना पूरी होने पर यहां मन्नत उतारी जाती है। नवरात्रि के दिनों में मन्नत उतारने का क्रम चलता है जिसमें बच्चों के झूले भी माता के मंदिर में बांध कर उनकी मन्नत पूरी की जाती है। इसके साथ ही अन्य कई मन्नते भी पूरी करते है।

मुणिया की बहू नहीं आती है.
यह माताजी की मंदिर आदिवासी के मुणिया की बहन बेटी का मंदिर माना जाता है जहां पर मुणिया समाज की बहु नहीं जाती है। मंदिर की पहाड़ी पर मुणिया समाज की बहू नहीं चढ़ती है। पुराने जमाने में माना जाता है कि मुणिया की बहु यदि मंदिर पर जाती है तो वह बीमार हो जाती है या उसे कोई तकलीफ हो जाती है। इसलिए मुणिया की बहु मंदिर पर नहीं जाती है।
दूर दूर से आते श्रद्वालु
नंदरमाता की आस्था का केंद्र बढ़ता ही जा रहा है यहां दूर दूर से दर्शनार्थी दर्शन करने के लिए आते है। पेटलावद क्षेत्र ही नहीं वरन गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी भक्तगण अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर यहां मन्नत उतारने आते है। नंदर माता मंदिर पर संतान प्राप्ति के बाद इस प्रकार झूले में बच्चें को झूला कर मन्नत उतारी जाती है।

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