राहुल राठौड़, जामली
देश में जहाँ हजारो मन्दिर धनवान हो रहे है । व भक्तों की कतार लग रही है लेकिन तहसील मुख्यालय से करीब 12 कि.मी. दूर ग्राम जामली का 150 वर्ष पुराना सिंह देवी मंदिर अपने जीर्णोद्वार की राह तक रहा है। किसी जमाने मे राजाओं ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, और वे यहाँ पूजा-अर्चना किया करते थे। इस मंदिर में स्थित माँ सिंह देवी के मूर्ती सम्पूर्ण मनोकामनाएँ पू्र्ण करने वाली है। मां के दर्शन मात्र से चित शांत होकर परम शांति को प्राप्त होता है। उक्त मंदिर खण्डहर मे तबदील होने जा रहा है। इसका मुख्य कारण भक्तों की उदासीनता है। अब तो यहाँ केवल पूजारी ही सुबह-शाम दीप धूप कर आता है। उस के बावजूद कुछ लोगो ने मिलकर अपने स्तर अनुसार मंदिर का जीर्णोद्वार का कार्य भी शुरू किया। इस नवरात्रि पर्व पर इन भक्तों ने एक समति बनाकर सभी ग्रामीणो से अनुरोध किया है कि आपस मे मिलजुल कर आगे आए और इस प्राचीन धरोहर को खण्डहर होने से बचाने की कोशिश करे।
अदभुत किस्सा है माँ के यहाँ प्रकट होने का
इस मंदिर के बारे मे जानकारी देते हुये बताया कि माँ स्वंम यहाँ प्रकट हुई थी। इस का किस्सा भी बड़ा अदभुत है। कई वर्ष पूर्व की बात है, जामली ठिकाने के महाराज बड़े धर्मप्रेमी व माँ जगदम्बे के परम भक्त थे। एक रात माँ ने सपने में आकर उन्हें अपनी मूर्ति जमीन में होने का आभास कराया व जमीन खोदकर मूर्ति निकाल कर मंदिर बनवाने की आज्ञा दी। महाराज ने वहा जाकर खुदाई करवाई तो सपने की बात सच हो गई माँ की मूर्ति जमीन से निकली। महाराज मूर्ति को जामली लाकर मंदिर बनवाना चाहते थे परन्तु जैसे-जैसे खुदाई होती गई मूर्ति अंदर धस्ती गई। इस प्रकार आधी मूर्ति जमीन के अंदर चली गई तब महाराज ने खुदाई रूकवा दी और बाद में वही पर मंदिर का निर्माण करवाया व नियमित दर्शन के लिए जाने लगे। कहते है माँ आज भी ३ रूपों में दिखाई देती है सुबह वो कन्या रुप मे तो दोपहर में युवती के रुप मे और रात को बुजुर्ग महिला के रुपमे दिखाई देती है। माँ के चमत्कार के अनेको किस्से मिल जायगे । माँ की कृपा पाने के लिए यहाँ दूर दूर से अनेको भक्त दर्शन करने आते है। माँ के नाम पर ही इस गाँव का नाम सिव्हदेवी मातापाड़ा पडा। यहाँ हनुमान, भेरूजी व तेजाजी महाराज के मंदिर भी स्थित है।
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