जिन्दगी तीन पेज की कितब, पहला-जन्म- दूसरा खाली व तीसरा पेज मृत्यु है, खाली पेज में अच्छा आचरण भरो : रत्नसुंदरसूरीश्वरजी

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हरीश राठौड़, पेटलावद
दुराचारी पिता के दो लडक़ों में से एक ने पतन का रास्ता अपनाया तो दूसरे ने उत्थान का रास्ता। उसी पिता के बुरे गुणों से सिखकर जीवन में उतारा श्रावक को अच्छे गुरू की आवश्यकता, खिलाड़ी को अच्छे कोच की आवश्यकता,बीमार को अच्छे डाक्टर की , कोर्ट केस में एक नंबर वकील की आवश्यकता पड़ती है। उसी प्रकार मनुष्य को जीवन जीने के लिए अच्छे डायरेक्शन की आवश्यकता पड़ती है। ये बात धर्मसभा के अंतिम दिन आचार्य श्रीमद् विजय रत्नसुंदरसूरीश्वरजी ने प्रेरक वचनों के साथ व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वकील की डिग्री लेना सहज है पर कोर्ट पर उतरना टेड़ी खीर है. अनुभवों व प्रेक्टिकल से ही नंबर एक वकील बन सकते हो। जिन्दगी की किताब तीन पेज की है प्रथम पेज जन्म दूसरा पेज खाली व तीसरा पेज मृत्यु है। खाली पेज में आप क्या करोगे। कैसा आचरण करोंगें का उल्लेख होगा। महाभारत के युद्ध में अर्जुन को भगवान कृष्ण का डायरेक्शन था। मोबाइल में गुगल का डायरेक्शन आदि से समझाया। धर्मसभा के प्रथम दिन आचार्य श्रीमद विजय रत्न सुंदरसूरीश्वरजी का समाजजनों ने कांबली भेंटकर अभिनंदन किया। प्रवचन लाभ बामनिया, खवासा, कुशलगढ़, थांदला, पेटलावद, सारंगी व रतलाम से श्रावक श्राविकाए पहुंची। धर्मसभा के आयोजन में अग्रणी प्रकाशचंद्र भंडारी, नगीनलाल भंडारी, राजमल भंडारी, ललित भरगट, रिंकू भंडारी व सकल जैन समाज रहा। गुरूवर आचार्य 17 व 18 जून को ग्राम करमदी जिला रतलाम में प्रवचन व्याख्यान देंगे। उन्होंने कहा कि अपने साथ किसी ने अच्छा व्यवहार किया है तो उससे कभी तर्क मत करना, जीवन में बुराईयों को अपने घर में,जीवन में, मन में कभी भी स्थान मत देना।

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