जिनको भगवान ने बनाया वही अब भगवान बन बैठे : पंडित कमलकिशोरजी

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
व्यक्ति पूजा से बचे और भगवान की पूजा में लगे, भक्त हनुमान ने भी अपना नाम बढा नहीं किया उन्होंने भी भगवानô राम की ही पूजा को महत्व दिया है जिनको भगवान ने बनाया है वह ही भगवान बन गए है जहां अपनी महिमा के कारण भगवान की महिमा कम नहीं होना चाहिए, मंदिरों में गुम्बज ऊंचे इसीलिए बनाए जाते है की भगवान का मंदिर सबसे ऊंचा रहे पर आज लोगों ने अपने घर ऊंचे बना लिए वैसे ही भगवान से बड़ा लोगों ने अपना नाम कर लिया हैठग तो अपना काम करता है किन्तु हमें ठगाना नहीं है। हम भगवान की बात कर सकते है भगवान हो नहीं सकते है। आज कल अफवाहे बहुत चलती है. जिनसे सावधान रहना है केवल भगवान का भरोसा करना है किसी दूसरे का नहीं। गुरू कोई व्यक्ति नहीं है गुरू तो शब्द है जो भगवान से मिलाते है। इसलिए व्यक्ति पूजा से बचे और भगवान की पूजा करे। उक्त विचार पं. कमल किशोरजी नागर ने कथा के छठवे दिन कहें। उन्होंने कहा व्यक्ति पूजा की बढ़ती मान्यता का विरोध करते हुए दिए। उन्होंने कहा की हनुमानजी ने भी अष्ट सिद्ध नव निधि के दाता है पर उन्होंने अपने लिए रामायण में कहा है कि प्रात लेई जो नाम हमारा तेही दिन ताही ने मिला आहारा। उन्होंने यह बात इसलिए कहीं की भगवान राम से अधिक उनकी मान्यता न हो जाए, इसे हमें समझना होगा और हनुमान जी से शिक्षा लेनी होगी।
योग का सरल रास्ता-
पं. जी ने योग का सरल रास्ता बताते हुए कहा कि भगवान को पाने के लिए आपको कोई कठिन योग नहीं करना है आपको केवल भगवान के प्रति निष्ठा, विश्वास और श्रद्धा रखनी है। आपके मन में यह भाव होना चाहिए की मंै तेरे द्वार पर आया हूं, अब तू ही जाने, भगवान की भक्ति में मन लगे या न लगे पर उसके द्वार पर जाना न छोडे यह भक्ति योग का सबसे सरल तरीका है।
नर से नारायण बन-
नर से नारायण हर कोई बन सकता है, हर 24 घंटे में एक बार एक क्षण के लिए आप नर से नारायण बने, यानी दान पुण्य करे, क्योंकि जो देता है वह भगवान यानी नारायण है, जब आप कोई भी वस्तु दान करते है तो उस क्षण आप नारायण बन जाते है। भगवान से हमेशा प्रार्थना करें की मेरा हाथ हमेशा दान देने के लिए ही रहे
निर्गुण और सगुणी भक्ति में अंतर-
निर्गुणी और सगुणी भक्ति केवल इतना अंतर की हम जिस प्रकार किसी का पता पूछते हुए उसके पास पहुंच जाते है ओर उस स्थान को पा लेते है उसके बाद उसका पता नहीं पूछते है, जब तक हम पता पूछ रहे है तब तक सगुणी भक्ति क्योंकि हम उसका नाम ले रहे है जब हमने उसे पा लिया और अब उसका नाम लेने की जरूरत नहीं है यानी निर्गुणी भक्ति। इस तरह जब दो से एक हो जाए तो भी सगुणी निर्गुणी में बदल जाती है, जैसे शादी के पूर्व लड़की लडके का नाम लेती है पर शादी के बाद उसका नाम नहीं लेती है क्योंकि वह उसका हो जाता है। एक जोड़ा बन जाता है दो के एक हो जाते है। इस प्रकार भक्त का भी भगवान में विलय हो जाना चाहिए।
भगवान का भरोसा रखे-
इस संसार में किसी का भरोसा न करे केवल भगवान का ही भरोसा करें क्योंकि जिसका भी भरोसा करोंगे वह साथ नहीं देगा। भगवान ही साथ देगा, भगवान पर इतना विश्वास हो कि नीज में नीज का बोध करा दे, हरे पाप हरि हर से मिला दे। भगवान के हाथ में जब तक रहोंगे कुछ नहीं होग जब मनुष्य के हाथ में आ जाओंगे तो भटकना पड़ेगा।
मनुष्य को सभी भगवान के भरोसे करना चाहिए-
गाडी में लगा हार्न इसलिए लगा है कि सामने वाला सचेत हो जाए, वैसे ही भगवान के भजन कथा रूपी हार्न सुनने से भक्त सचेत होकर भव पार हो जाएगा। भारती में स्वर्गीय होते है। भारत में जन्म ले कर जो भक्ति करें वह स्वर्ग में जाएगा। यह बात कहते हुए उन्होंने कहा की भारत में मृत्यु के मनुष्य के नाम के आगे स्वर्गीय लगाया जाता है किन्तु विदेशों में मृत्यु के बाद एक्सपायरी लगाया जाता है इसलिए भारत में मृत्यु के बाद स्वर्ग ही मिलता है।
जींस से दूर रहे-
नारियों को शिक्षा देते हुए कहा की जींस से दूर रहे है और साड़ी की परंपरा पर आए. हमे हमारे बच्चों को जींस की परपंरा से बचाना होगा तभी हमारा समाज सुधर सकेगा। भगवान साड़ी के पल्ले में रहता है और यदि साडी ही नहीं पहनोंगे तो पल्ला कहा रहेगा और पल्ला नहीं रहेगा तो भगवान को कैसे पाओंगे। इस समय द्रोपदी के चीरहरण वाला प्रसंग सुनाया जिसमें कहा की नारी ही की सारी है, सारी ही की नारी है। भगवान ने द्रङ्क्षपदी का चिरहरण होने से बचाया था और साड़ी का ढेर लगा दिया था। भगवान ने कहा था की जब कलयुग में साडी की कमी होगी तो उस समय यह साड़ी ही महिलाओं के स्वाभिमान को बचाएगी। कथा स्थल पर मंगलवार को सांसद कांतिलाल भूरिया, जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया, उपाध्यक्ष चंद्रवीरसिंह राठौर, पूर्व विधायक वालसिंह मेड़ा, सुरेश जैन आदि उपस्थित थे।
बुधवार को कथा का समापन-
बुधवार को कथा की पूर्णाहुति होगी, जिसमें 50 हजार से अधिक संख्या में भक्तों की उपस्थिति रहने की संभावना है। कथा की पूर्णाहुति में यज्ञ का भी आयोजन रखा गया है और महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा।

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