जायरीनों ने दरगाह पर चढ़ाए अकीदत के फूल, जुलूस का हुआ नगर के प्रमुख मार्गो पर स्वागत

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पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट- पंपावती नदी के किनारे स्थित हजरत शेर अली मस्त मस्तान ओढ़ी वाले दाता रेहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स सांप्रदायिक सौहार्द केरंग में रंगा नजर आया। मुस्लिम समाज केसाथ हिंदू समाज के लोगों ने भी हजरत केदरबार में आकर अपनी हाजरी दी और उनकेचोखट पर माथा टेका और अकीदत केफूल चढ़ाए। सांप्रदायिक सौहार्द्र और शांति केमाहौल में हजरत ओढ़ी वाले बाबा का सालाना उर्स महोत्सव चादर जुलूस केसाथ शुरू हुआ। जुलूस में मुस्लिम समाज में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला।
सुबह हुआ गुस्ल व संदल-
सुबह फजर की नमाज के बाद दरगाह पर हजरत को पारंपरिकरूप से गुस्ल और संदल दिया गया। संदल की खुश्बू से मजार दमक उठी। जायरिनों ने दाता के मजार पर सलाम पढ़ा। इसकेबाद फातेहा पढ़ी गई। शहर में संदल शरीफ और चादर जुलुस निकाला गया। इसमें हजरत केदीवाने सिर पर चादर, हार-फूल, फल व मिठाई लिए चल रहे थे। बैंड और ढोल-ताशो की धुन पर ओढ़ी वाले बाबा केजायरीन जमकर झूमे।
हाथ में तख्तियां और तिरंगा लेकर निकले समाजजन-
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जुलूस में सांप्रदायिक एकता का अनोखा नजारा देखने को मिला। एक ओर बच्चे जल है तो कल है… सभी धर्मो का यही संदेश पानी बचाओ बचेगा देश, जन जन का यही नारा, एकता की मिसाल देश हमारा…सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा जैसे लिखे नारो की तख्तीयां हाथ में लेकर चल रहे थे। उर्स कमेटी पेटलावद द्वारा की गई इस अनूठी पहल की नगरवासियों ने काफी उत्साह के साथ स्वागत करकर सराहना की।
बैंड मास्टर ने पेश किए बाबा की शान में कलाम:
बडऩगर से आए भारत बैंड केेमास्टर शेरू भाई ने हजरत शेर अली मस्तान ओढ़ी वाले दाता की शान में कलाम पेश किए। उनकेकलाम जनाबे बाबा पे हम अपना घर कुरबान करते है, ये सिना ठोक केलाखो में ये एलान करते है कि साथ बड़े-बड़े राजा गए दुनिया से दामन झाडक़र। ओढ़ी वाले बाबा देते है हमें छप्पड़ फाडक़र। ओढ़ी वाले बाबा की शान ही निराली है, होता है करम उनका दिल में यही ठानी है ने खूब दादा बटोरी। इसके बाद उनके कलाम मैं ‘तेरे इश्क में डूबा हूं इस कदर कि अब मैं मैं नहीं तू ही तू है’ ने खूब दाद बटोरी। मेहमानों ने नजरानों की झड़ी लगा दी।
कई सामाजिक संगठनो ने किया स्वागत-
जुलूस नगर के प्रमुख मार्गो से होकर गुजरा। कई सामाजिक संगठनों ने जुलूस का स्वागत किया। किसी ने ठंडा पानी पिलाया तो किसी ने आईस्क्रीम वितरित की, तो वहीं किसी ने फूल बरसाकर जुलूस में मौजूद समाजजनो का स्वागत किया।
आस्ताने ओलिया पर पेश की चादर-
जुलूस नगर केप्रमुख मार्गो से होकर गुजरा। इसके बाद ‘चलो आओ सरकार चादर मेें’ पढ़ते हुए चादर जुलूस आस्ताने ओलिया पर पहंंूचा। जहां चादर पेश की गई। दरूद शरीफ पढ़ी गई। उर्स में अकीदतमंदो के पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक चला। जुलूस में बुजुर्ग सूफी-संतो और मुस्लिम समुदाय के साथ हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं ने भी शिरकत फरमाकर दरगाह पर अकीदत के फूल चढ़ाकर अमनो-अमान की दुआएं मांगी।
रात ये पढ़ेंगे कलाम-
उर्स की दूसरी रात शुक्रवार को रात 9 बजे बाद शुरू होने वाले महफिले सिमां कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध कव्वाल मुकर्रम वारसी भोपाल (मप्र) व अली का लाडला हुसैन, मेरे पीर की गुलामी मेरे काम आ गई। कलाम से प्रसिद्ध कव्वाल अकरम असलम वारसी मुरादाबाद (उप्र) की कव्वाल पार्टियां कलाम पढ़ेंगे।
आस्ताने ओलिया पर होगा भंडारा-
6 मई को आस्ताने ओलिया पर शाकाहारी विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। हजरत ओढ़ी वाले दाता के उर्स मुबारक के मौके पर कोमी एकता कमेटी की भी भूमिका रहेगी। दादा शेर अली के उर्स मुबारक में मालवा के प्रसिद्ध सूफी संतो के अलावा आसपास केइलाको से भी सूफी संत लाल बादशाह, सय्यद अल्ताफ बाबा, बुलबुल साईं, भालू बाबा, कालू बाबा, जहूर बाबा, कलीम शाह बाबा, मुकेश नाथजी आदि यहां शिरकत करेंगे। जिनके लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। इसी के साथ कमेटी दूर-दूर से यहां पूहंचे जायरिनो के लिए भंडारे की व्यवस्था भी करेगी।

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