ग्रामीण किसानों को खपाया जा रहा नकली बीज-खाद विभाग उदासीन

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
बोवनी की सीजन प्रारंभ होते ही क्षेत्र में नकली खाद और बीज व्यवसायी सक्रिय होजाते है। किसानों को कई बार नकली खाद बीज के कारण काफी नुकसानी उठाना पड़ती है कई लोकल ब्रांड भी बाजार में चल रहे है जिनके उपर कोई जानकारी भी अंकित नहीं है। रुपए बचाने चक्कर में किसान इन लोकल ब्रांड के बीजों को भी खरीद लेता है किंतु बाद में उसे नुकसान उठाना पड़ता है, जिसके लिए कृषि विभाग को सक्रिय रह कर क्षेत्र में संचालित बीज विक्रय की दुकानों की सतत जांच करना चाहिए।
क्षेत्र में सैकड़ों लाइसेंस विहीन दुकाने
क्षेत्र में मात्र 60 लाइसेंसी बीज विक्रेता है किंतु पूरे क्षेत्र में घूम कर देखा जाए तो सैकड़ों बीज विक्रय की दुकानें संचालित हो रही है एक एक लाइसेंस पर दो-दो दुकाने संचालित की जा रही है तथा असली बीज की आड़ में बड़े व्यापारियों से सांठगांठ कर नकली बीज भी निकाला जा रहा है जिस पर न तो कोई बेच नंबर होता है न किसी प्रकार की कोई जानकारी होती है। आज कल एक नई वैरायटी डबल बीटी के नाम से भी चल रही है जिसमें अधिक उत्पादन का किसानों को लालच दिया जा रहा है जिसका नकली बीज भी बाजार में मिल रहा है। बामनिया स्टेशन पर गुजरात से आ रहे किसानों के पास से बीज की थैलियां देखी गई,जिनके उपर कोई जानकारी नहीं थी। किसानों से पूछने पर उन्होंने बताया कि गुजरात का बीज है डबल बीटी है इससे अधिक उत्पादन होगा, जबकि थैली की उपर कोई जानकारी नहीं थी। इस प्रकार से किसान कई बार गलत चंगुल में फंस कर अपनी साल भर की मेहनत बर्बाद कर देते है।
विभाग के पास बीज के नाम पर उंट के मुंह में जीरा-
कृषि विभाग के पास शासकीय बीज प्रदान करने के लिए सीमित मात्रा में बीज आता है जिस कारण मजबूरन किसानों को बाजार से ही बीज क्रय करना पड़ता है. इस बार भी मात्र 100 क्विंटल सङ्क्षयाबीन और 150 क्विंटल मक्का का बीज आया है जो कि ऊंट के मुंह में जीरे के सामन है। क्योंकि क्षेत्र में सोयाबीन का रकबा कम होने के बावजूद भी लगभग 16 हजार हेक्टयर में सोयाबीन बोया जाएगा। वहीं 12 हजार हेक्टयर में मक्का की फसल ली जाएगी। कृषि विभाग का अनुमान है कि इस बार 48 हजार हेक्टयर भूमि पर बोवनी होगी।
कपास की ओर रूझान ज्यादा-
लगातार सोयाबीन की फसल में भाव नहीं मिल पाने के कारण इस बार किसानों का रूझान एक बार फिर कपास की और हुआ है क्योंकि लगातार तीन वर्षों से देखा जा रहा है कि कपास के भाव अच्छे मिल रहे है जबकि सोयाबीन के भाव नहीं मिल पा रहे है. इस बार भी अभी तक सोयाबीन के अच्छे भाव नहीं आए जिसके चलते इस बार कृषि विभाग को भी आशा है कि कपास का रकबा बढ़ेगा और सोयाबीन के रकबे में कुछ गिरावट आएगी। माना जा रहा है. पिछले तीन वर्षों से कपास का रकबा 6 से 8 हजार हेक्टयर तक सीमित रहा था, जो कि इस बार लगभग 12 हजार हेक्टयर तक पहुंच जाएगा।
सरकार ने भाव निश्चित किए.
इस बार गुजरात बीटी काटन वाली किसानों को समस्या या अधिक भाव पर मिलने वाली समस्या नहीं रहेगी, क्योंकि सरकार ने गुजरात बीटी को मान्यता देते हुए इसका भाव भी निर्धारित कर दिया है. किंतु फिर भी किसानों को सचेत रहना होगा और शासन द्वारा निर्धारित भाव पर ही व्यापारी से माल ले तथा पक्का बील अवश्य ले। क्योंकि भविष्य में फसल को कोई नुकसान होता है तो उसकी पूरी जवाबदारी दुकानदार की रहे। इसके साथ ही कलेक्टर ने इस बार भाव पत्र दुकान के बाहर लगाने के निर्देश दिए है जो की बड़ी जगहों पर तो लगाए जा रहे है किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है जिस कारण किसानों से मनमाने दाम लेने की संभावनाएं बन रही है। इसके साथ ही खाद की ओर भी प्रशासन को ध्यान देना होगा क्योंकि नकली खाद विक्रेता भी ग्रामीण क्षेत्रों में डेरा जमा कर सस्तें भाव के चक्कर में ग्रामीणों को नकली खाद पकड़ा जाते है। इस प्रकार का मामला पिछले वर्ष भी आया था, जिसमें राजस्थान के युवक नकली खाद बेचते हुए सारंगी के समीप से पकड़े गए थे।
इस संबंध में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकार एलसी खपेड़ से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि अभी तक तो नकली बीज या खाद के संबंध में कोई शिकायत नहीं आई है। इस बार गुजरात बीटी को भी मान्यता दी जा चुकी है। इसके साथ ही सभी दुकानों के बाहर भाव सूची लगाई गई है। किसानों को जागृत रह कर पक्का बील ले कर ही माल खरीदा चाहिए। हम भी सतत निगाह रख रहे है। इस बार कपास की ओर रूझान ज्यादा है।

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