कहीं भाजपा की हार में भाजपा तो दोषी नहीं…! हमें तो अपनों ने लुटा गैरो में कहा दम था, कश्ती  डुबी जहाँ पानी कम था

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झाबुआ live डेस्क
विधानसभा चुनाव में अपनी करारी हार के लिये भाजपा प्रत्याशी निर्मला भूरिया स्वंय को आत्म आंकलन और चिंतन करना होगा। हार के कारणों को जानकर आने वाले समय में ऐसी गलतियों बिना दोहराए दोषियों से अब दूरी बनाकर मतदाताओं वास्तविक समर्थकों को पहचानना होगा।  ग्रामीणों क्षैत्रों व भाजपा कार्यकर्ताओं से ही आ रही प्रतिक्रिया के अनुसार दो-तीन नेताओं व अधिकारीयों के अलावा कभी किसी की नहीं सुनना ? आम कार्यकर्ताओं से विधायक के सीधे संपर्क नहीं होने देना ? समस्या लेकर आने वालों को आश्वासन देकर देख लेने की बात कहना ? भाजपा में वर्षों से रहे निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दूरकर कुछ एक लोगों की बातों में आकर महत्व नही देना ? सहित कई अनेकोनेक कारण निर्मला भूरिया की हार में शामिल है। जिन लोगों को अधिक महत्व पार्टी में दिया गया वहाॅ से भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले हार का मुॅह देखना पडा। इससे स्पष्ट है कि अपने घर में ही अपना विरोध था। बागी उम्मीदवार को मना लिया होता तो ये दिन नहीं देखना पडता।
ऐन चुनावों के पहले कई जगह चुनाव बहिष्कार के स्वर उठने लगे और इसका नतीजा यह रहा कि जहां मतदान का प्रतिशत अधिक होना था वहां मतदान कम रहा।
ऐसा ही वाक्या ग्राम बाछीखेड़ा में पंचायत भवन न बनना भाजपा के लिए मुसीबत बना।
ज्ञात हो कि भाजपा शासनकाल में पिछले पांच वर्षों में करोडो के कार्य पेटलावद विधानसभा में हुए लेकिन उसका सीधा लाभ आम मजदूरों को कम कुछ एक खास नेताओं व अधिकारियों को अधिक मिला। इन्ही सभी कारणों के बीच जिस क्षैत्र से विधायक व संगठन ने कार्यकर्ताओं को अधिक महत्व देकर बडे पदों से नवाजा वहाॅं से भाजपा को अच्छा खासा नुकसान उठाना पडा कहीं गलती से भाजपा को बढत मिली तो वो उॅट के मुॅह में जीरे के समान साबित हुई।
ऐसे कई बुथ है जहाॅ भाजपा के नेताओं का दबदबा हुआ करता था लेकिन वहाॅं कांग्रेस ने या निर्दलिय ने बाजी मारी हैं। पेटलावद विधानसभा में कई बुथो पर भाजपा के मंडल अध्यक्ष, अंत्योदय समिति, अजजा प्रकोष्ठ, जनपद सदस्य तथा भाजपा के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारीयों का गृह क्षेत्र हैं। ऐसे में इन नेताओं के भविष्य ओर भाजपा में इनकी भूमिका पर सवालिया निशान लगता हैं। इन स्थितियों से केवल यही पक्ति याद आती हैं।
हमें तो अपनों ने लुटा गैरो में कहा दम था,
कश्ती वहाॅं डुबी जहाॅं पानी कम था।।

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