उमरकोट के झकनावदा में दीक्षार्थी मोहक बेताला का अभिनंदन, 3 सितंबर को अहमदाबाद में लेंगे दीक्षा

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सरफराज खान, उमरकोट 

उमरकोट के समीप ग्राम पंचायत झकनावदा के तेरापंथ सभा भवन में महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी पंकज श्री जी के सानिध्य में दीक्षार्थी मोहक बेताला का अभिनंदन और मंगल भावना कार्यक्रम अत्यंत धूमधाम और उत्साह के साथ संपन्न हुआ।

साध्वी पंकज श्री जी ने उपस्थित जनसमुदाय को भगवती जैन दीक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तेरापंथ धर्म संघ में एक छत्र राज्य और गणतंत्र है, जहाँ एक आचार्य के नेतृत्व में शिष्य अनुशासन और मर्यादा के साथ अपनी साधना को पुष्ट बनाता है। उन्होंने बताया कि जैन दीक्षा कष्टों को सहने का एक कठिन मार्ग है, और सहिष्णुता व तितिक्षा से साधक अपनी आत्मा को पावन बनाता है। उन्होंने आगे कहा कि जो शिष्य सेवा, समर्पण, आज्ञा और व्यवस्था का अनुसरण करता है, वह संयमी जीवन को हिमालय जैसी ऊँचाई देता है।

दीक्षा और भावी जीवन की मंगलकामना

मुमुक्षु मोहक बेताला 3 सितंबर 2025 को अहमदाबाद के कोबा में गुरु महाश्रमण जी के कर-कमलों से दीक्षा ग्रहण करेंगे। साध्वी श्री जी ने उनके भावी जीवन की मंगलकामनाएं करते हुए फरमाया कि वे सदैव अप्रमत्त रहकर संघ और संघपति का गौरव बढ़ाते रहें तथा संयम की राहों में सदैव फूल सजाते रहें। साध्वी शारदा प्रभा जी ने अपने संयोजन के माध्यम से कहा कि वीतराग बनने के लिए दीक्षा का पथ अनिवार्य है और कोई वीर पुरुष ही दीक्षा ग्रहण करता है। उन्होंने बताया कि मुमुक्षु मोहक बेताला भगवान महावीर की वाणी का अनुसरण करने जा रहे हैं, जिनका कहना है कि “मुझे मेरी आत्मा को पावन व पवित्र बनाना है, कषायों का उपशमन ही मेरी परम शांति है।”

उपस्थित गणमान्य व्यक्ति और विचार

इस अवसर पर भुवनेश्वर से पधारे विवेक जी बेताला, माता विज्ञा बेताला और बहन सुश्री झंकार बेताला का झकनावदा के श्रावकों ने स्वागत किया। आशीष जी भांगू और प्रेक्षा कोठारी, झकनावदा तेरापंथ सभा मंत्री अजय बोहरा, तथा तेरापंथ सभा अध्यक्ष विजय बोहरा ने अपने विचार रखे और मुमुक्षु के प्रति शुभ मंगल कामनाएं व्यक्त कीं। महिला मंडल ने एक सुंदर गीतिका प्रस्तुत की और महिला मंडल मंत्री मोना कालिया ने वैरागी मोहक बेताला का अभिनंदन करते हुए अपने विचार साझा किए।

मुमुक्षु मोहक की माताजी विज्ञा बेताला ने वैरागी मोहक के जीवन के बारे में बताते हुए उसे संयम मार्ग पर बढ़ने का आशीर्वाद प्रदान किया। अंत में, मुमुक्षु मोहक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “यह जीवन क्षणभंगुर है, कब मौत का पैगाम आ जाए, इसे अति शीघ्र सार्थक कर लेना चाहिए।” उन्होंने साध्वी पंकज श्री जी को अपनी दादी महाराज बताते हुए आशीर्वाद मांगा कि वे सदैव संयम की फुलवारी को महकाते रहें।

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