इस बार चोर बोराली तालाब 15 जुन तो क्या 15 मई तक भी शायद ही बुझा पाए शहरवासियो की प्यास

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सलमान शैख़@ पेटलावद
जैसे-जैसे सूरज की तपिश बढ रही हैं ग्रामीण क्षैत्रों में जलसंकट की आसार गहराने लगे हैं। पुरातन जलस्त्रोतों के साथ नलकूपों का जल स्तर तेजी से नीचे खिसक रहा हैं। तालाबों की तलहटी अभी से नजर आने लगी हैं।
शहर के मुख्य जल स्त्रोत चोर बोराली के जलस्तर में भी तेजी से कमी आई है। पर्याप्त बारिश नही होने से इस बार गर्मी में चिंता की स्थिति बन सकती है। हालांकि यहां से सतत पानी आपूर्ति शहर में की जा रही है। आलम यह हैं कि जून तक भी शायद ही नगर को पेयजल के लिए पानी मिल पाएगा। दूसरी ओर नगर से 3 किमी दूर रूपगढ जलाशय भी पूरी तरह खाली हो गया हैं।
पेयजल के रिजर्व पानी की चोरी में यदि लापरवाही इसी तरह होती रही तो इस साल नगर की 20 हजार से ज्यादा की आबादी को पानी संकट से जूझना पड़ेगा। वर्षा ऋतु के अंत में सतत बारिश के चलते तालाबों में पानी की आवक हो गई थी, लेकिन जलस्तर में गिरावट की अब शुरूआत हो गई है। जो लगातार कम होता जा रहा है। जिससे यह माना जा रहा है कि 15 जुन तो ठीक 15 मई तक भी शायद ही तालाब से शहरवासियो की प्यास बुझ सकती है। इस बार तो निश्चित शहरवासियो को पानी के लिए हर दिन जूझना पड़ सकता है।
योजना से लाए पानी, लेकिन छोड़ा एक ही बार, वह भी हो गया चोरी:
माही परियोजना का पानी चोर बोराली तालाब में लाने के लिए अधिकारियों ने योजना बनाकर प्रयोग कर लिया। एक बार पानी भी आ गया, लेकिन इसके बाद पानी नहीं छोड़ा गया। अधिकारी भी अब अल्पवर्षा की वजह से दोबारा पानी देने से इनकार कर रहे हैं, लिहाजा इस बार भी नगर में पेयजल संकट होना तय है।
जनवरी माह के अत में खुद सांसद कांतिलाल भूरिया तथा विधायक वालसिंह मेड़ा ने इस योजना का शुभारंभ किया था। नगर में पेयजल संकट ना हो इसलिए चोर बोराली तालाब तक नहर के माध्यम से माही का पानी छोड़ा जाना था, इसके बाद नागरिकों सहित आसपास के किसानों को भी नहरों से पानी मिलने की संभावना दिखाई दी, लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि शुभारंभ के बाद से नहर में पानी छोड़ा ही नहीं गया। वर्तमान में तालाब में पानी का जल स्तर घट गया है। अगर समय रहते पानी नहीं पहुंचा तो नगर के बाशिंदे एक बार फिर पेयजल संकट से जूझने लगेंगे।
ग्रामीण क्षैत्रो में भी अभी से बन गई है दिक्कते, रूपगढ़ तालाब भी सूखा:
शहर के साथ ही ग्रामीण क्षैत्रो में भी दिक्कत बनी हुई है। आने वाले दिनो में होने वाले जल संकट की स्थिति अभी से दिखाई देने लगी है। नहरों से खेतों में पानी देने के बाद अचानक अप्रत्याशित रूप से तालाबों के जलस्तर में कमी आई हैं। शहर से लगे रूपगढ ओर अजब बोराली तालाब में तलहटे दिखने लगी हैं।
बड़ा सवाल: सिंचाई के लिए किसान पानी चोरी को मजबूर क्यों?
किसान परेशान है और वह कर्ज में भी डूबा रहता है। ऐसे में उसकी फसलें सिंचाई के अभाव में सूख रही हैं। आजादी के बाद से ही किसानों की इस समस्या का निदान नहीं हो सका। किसानों को सिंचाई के लिए अब भी पानी उपलब्ध नहीं है। वे इस मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो सके हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारों ने किसानों के हित में सिंचाई के लिए योजनाएं नहीं बनाई हों लेकिन इस तरह की योजनाओं का सही क्रियान्वयन ही नहीं हो पाता है। लालफीताशाही और अफसरशाही के कारण किसान आज भी सिंचाई के लिए इस तरह से पानी तालाबों और नदियों से लेने को मजबूर हैं।
गत वर्ष भी खरीदा 15 लाख का पानी-
नगर पंचायत द्वारा गत वर्ष भी गर्मी के दिनों में पानी खरीदकर पेयजल आपूर्ति की गई थी। करीब 15 लाख रुपए का पानी टैंकरों के माध्यम से क्रय करना पड़ा था। अगर माही का पानी नहीं आया तो गत वर्ष की तरह भी इस वर्ष जलसंकट होना तय है।
माही विभाग का इंकार, अब नही दिया जा सकेगा पानी:

– वर्षा कम होने व जलाशय में पानी कम होने के बावजूद हमने पेयजल के लिए पानी छोड़ा था। परंतु सिचाई के लिए किसानों ने बीच में रोक लिया। इस वर्ष पानी नहीं होने से पानी तालाब में नहीं दिया जा सकेगा।
– पीसी सांखला, कार्यपालन यंत्री, माही परीयोजना

सफल नही हो सकी माही परियोजना की योजना:
– माही परियोजना की योजना सफल नहीं हो सकी है। पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा। हमारा पूरा प्रयास होगा कि कैसे भी पेयजल की व्यवस्था करें। नागरिकों से सहयोग की अपील है।
– मनोहर भटेवरा, अध्यक्ष नगर पंचायत पेटलावद
15 जुन के बाद आएगी समस्या, तो करेंगे वैकल्पिक व्यवस्थाएं:
चोर बोराली तालाब में जलस्तर गिर रहा है। संभवत: 15 जुन तक तो शहरवासियो को समस्या नही आएगी और अगर आई भी तो अभी 1 दिन छोडक़र सप्लाय किया जा रहा है, तो उसे 2 दिन छोडक़र सप्लाय किया जाएगा। वहीं शहरवासियो की प्यास बुझाने की वैकल्पिक व्यवस्था भी की जाएगी। – सुरेशचंद्र त्रिवेदी, सीएमओ, नपं पेटलावद

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