आरोयुक्त पानी के लिए शहर में डाली जा रही पाइप लाइन से गड्ढों से सराबोर हुआ नगर

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सलमान शेख, झाबुआ LIVE… 
बस ऐसा ही कुछ आलम है, आजकल शहर की सडक़ों का आप अगर पेटलावद नगर के आंतरिक मार्गो की तरफ चलेंगे तो आपको यह महसूस होगा कि शहरवासियो को आरोयुक्त पानी देने के लिए डाली जा रही सिवेज लाईन के लिए कुछ जरूरत से ज्यादा ही चौड़े गड्डे कर दिए।
बता दे कि पिछले 6 महीनो पहले शहर में आरोयुक्त पानी देने के लिए 17 करोड़ के प्रोजेक्ट का हर वार्ड और गली-मोहल्लो में सिवरेज लाईन डालने का कार्य ठेकेदार द्वारा शुरू किया गया था। बारिश की वजह से कार्य को 3 माह तक विराम देना पड़ा था, लेकिन अब दौबारा ठेकेदार ने इस कार्य को शुरू कर दिया है। शहर की कॉलोनी सहित सभी सडक़ो को पाइप डालने के लिए पूरी तरह खोद दिया है। संबंधित कंपनी द्वारा पाइप डालने के बाद मिट्टी को बराबर नही दबाया जा रहा है। इससे इन मार्गो से निकलने वाले वाहन घंस रहे है। इसके बावजूद नगर परिषद के अधिकारी सिर्फ बयानो तक सीमित है। जमीनी स्तर पर पूरे शहर में कहीं भी सडक़ सुधार के काम नही करवाए जा रहे है। वहीं महिलाएं भी इससे काफी परेशान नजर आ रही है।
नागरिक बोले-कौन से जन्म का बदला ले रहे हो:
चारों तरफ मिट्टी के ढेर और खड्डे ऐसे पसरे हुए है जैसे गाड़ी चालक को हाथ खींच गिरा देंगे। परेशान नागरिको का परिषद से यही सवाल है कि आखिर कौन से जन्म का बदला ले रहे हो लोगों से? ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे को क्यों आग लगा रहे हैं? बेशर्मी की ऐसी हद हो चुकी है की यह काम बजाएं रात को करने के दिनदहाड़े खुलेआम बिना किसी ट्रैफिक की परवाह किए और लोगों की सुरक्षा की परवाह के किया जा रहा है। सडक़ की क्वालिटी से वैसे ही कोई बहुत लंबी-चौड़ी उम्मीद करना बेकार है। यहां तो सडक़ बन जाए वही बहुत बड़ी बात है। और फिर इन खड्डा खोदने वाली मशीनों को देख कर ही लोगों को अब तो जैसे चिढ़ सी होने लगी है।
रहवासियो के अनुसार सीवरेज पाइप लाइन भविष्य में जरूरी हो सकती है। इसका विरोध नही कर रहे, लेकिन जिस तरीके से सडक़ो की खुदाई हो रही है उसे सही तरीके से तुरंत भरा जाए। मिट्टी को सडक़ पर नही छोड़े। बाद में भले ही तय सतय पर सडक़ बनाए लेकिन सही तरीके से काम हो जिससे लोगो को तो परेशान नही होना पड़ेगा।
नही दिख रहे नेता-जनप्रतिनिधि:
बावजूद इतनी सारी तकलीफ के हमारे शहर के नेताओं को यह सब दिखाई नहीं देता उनको तो बस आसान काम थमा दो। उन्हें भी उसी में सुविधा लगने लगी है। कौन आंदोलन करें? कौन भीड़ इकठ्ठी करें ? कौन लोगों की तकलीफ पहुंचाए प्रशासन तक, इस बात से किसी को कोई लेना-देना नहीं है। बस एसडीएम कार्यालय के बाहर तंबू गाडक़र बिठा लो, थोड़ी देर चाय-वाय पी लो, गपशप कर लो फोटो खिंचवा लो मीडिया को बुलाकर खबरें छपवा लो और सुबह अखबारों की कटिंग बनाकर अपनी फाइल में चिपका लो और इतिहास में दर्ज हो जाओ। बस इतना ही चरित्र राह गया है आज के नेताओं का।
नेताओं की उदासीनता को देखकर ठेकेदार और प्रशासन इसकी आड़ में जम के चांदी काट रहे हैं। ऐसा लगता है कि जैसे कोई बजट आता है तो बिना सोचे समझे की कहां जरूरत है कहां नहीं सिर्फ ठेकेदार से कमीशन लेने के चक्कर में प्रशासन और विभाग टेंडर जारी कर देते हैं। गुणवत्ता गई भाड़ में। सर्दियों में तो यह सब बड़ा आराम से चल जाता है और लोगों को कुछ मालूम नहीं पड़ता जब बरसात सर पर होती है तो कई बार प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत का रंग बरसात का पानी बहा के ले जाता है। फिर भी दोष भारी वर्षा पर मढ़ दिया जाता है।
इस देश को 70 साल की आजादी में अगर कोई भी सरकार चलने के लिए सडक़ तक नहीं दे पाई तो फिर क्या मतलब है ऐसी आजादी और लोकतंत्र का ? क्यों जनता टैक्स पर टैक्स दिए जा रही है ? विभाग और ठेकेदारों से लोगो का कहना है कि अपना यह गंदा खेल बंद करें और कम से कम लोगों को चैन से सडक़ पर चलने दे नहीं तो वह दिन दूर नहीं है कि जनता उनके कर्मियों को पीटेगी।
ऐसा लगता है गांव में गाड़ी चला रहे है:
– मुझे बच्चो को स्कूल छोडऩे और लेने जाना पड़ता है, लेकिन सडक़ो को खोदने के कारण गाड़ी चलाना भी मुश्किल है। यहां की सडक़ो पर चलते है तो ऐसा लगता है कि हम गांव में पगडंडी पर गाड़ी चला रहे है।
– दिनेश पडियार, रहवासी वार्ड क्रमांक 4
खाना बनाना तक मुश्किल है:
– घर के सामने ही सडक़ खुदी होने के कारण मिट्टी फैली रहती है, तो उडक़र खाने-पीने के सामान में आती है। इस कारण खाना बनाना तक मुश्किल है।
– श्रीमती खुश्बु, ग्रहणी।
गाड़ी चलाना तो ठीक पैदल चलना भी मुश्किल:
– बच्चो को स्कूल छोडऩे कैसे जाएं। पाइप लाइन खोदने वालो ने सडक़ो की हालात ऐसी करके छोड़ दी है कि गाड़ी चलाना तो ठीक पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। इतने दिन बाद भी स्थिति जस की तस है। – पवन कटकानी, रहवासी वार्ड क्रमांक 12

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