अपनी लड़ाई में अतिथि विद्वान ने लगाया छात्र-छात्राओ का भविष्य दांव पर, 1 घंटे लेट शुरू हुई परीक्षा

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सलमान शैख़@ पेटलावद
मंगलवार को शासकीय महाविद्यालय में एक अतिथि विद्वान ने अपने विषय की परीक्षा किसी ओर परिक्षक से संचालित करने पर विवाद खड़ा कर दिया। अतिथि विद्वान का कहना था कि उसे इस बारे में कॉलेज प्रबंधन द्वारा सूचना देना लाजमी नही समझा और फर्जी तरीके से सूचना प्रेषित कर प्रायोगिक परीक्षा संचालित करवा ली गई। वहीं छात्र-छात्राओ ने इस मामले में एक आवेदन कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य को सौंपा जिसमें यह बताया गया कि उक्त अतिथि विद्वान की लापरवाही के चलते हम प्रायोगिक परीक्षा से वंचित रह जाते। ऐसा नही है कि इन्हें किसी ने सूचना नही दी, बल्कि सूचना के अलावा दूरभाष पर संपर्क पर किया गया, लेकिन इन्होने फोन नही उठाया।
दरअसल, मंगलवार को बीएससी संकाय के छठे सेमेस्टर के जंतु विज्ञान की प्रायोगिक परीक्षा 9 बजे से 12 बजे तक संचालित होना थी। सबकुछ ठीक चल रहा था, छात्र-छात्राएं समय पर पहुंच चुके थे, लेकिन उक्त विषय के अतिथि विद्वान निर्मल सेंगर वहां नही पहुंचे, जिसके कारण कॉलेज प्रबंधन को छात्र-छात्राओ के भविष्य को देखते हुए आंतरिक परीक्षक के रूप में महेश मालवीय की नियुक्ति कर परीक्षा संपन्न कराने की तैयारी शुरू की, लेकिन अचानक कुछ देर बाद निर्मल सेगर आ पहुंचे और उन्होनें कॉलेज में बखेड़ा खड़ा कर दिया।
मुझे न तो सूचना दी गई और फर्जी तरीके से संपन्न करवाई गई परीक्षा:
अतिथि विद्वान ने कॉलेज प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उन्हें न तो इसकी कोई सूचना दी और न ही परीक्षा के बारे में बताया गया। यह सरासर गलत है, जबकि जिस विषय मे जो प्रोफेसर रहता है उसे ही परीक्षा की सूचना निकालना और संपन्न कराने का अधिकार है, लेकिन प्रभारी प्राचार्य सुधा दीक्षित और प्रोफेसर डॉ कांतु डामोर ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से सूचना जारी कर इस परीक्षा को संचालित किया। इस मामले में उन्होनें उच्च शिक्षा विभाग के क्षैत्रीय कार्यालय इंदौर संभाग के अतिरिक्त संचालक को शिकायत की और बताया कि वह 10 बजकर 15 मिनट पर जब कॉलेज पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके विषय की प्रायोगिक परीक्षा संपन्न हो रही है। उन्होने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। जबकि उन्हें इसकी सूचना दी जाना चाहिए थी।
कॉलेज प्रबंधन का मत- हमने सूचना दी, लेकिन लेने से किया इनकार:
वहीं इस मामले में कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि उन्होने प्रायोगिक परीक्षा की सूचना अतिथि विद्वान को दी थी, लेकिन उन्होनें लेने से इनकार कर दिया। कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य और डॉ कांतु डामोर ने बताया कि यह अतिथि विद्वान बिना वजह से कॉलेज मे माहौल को खराब कर रहे है। यह 20 तारीख से छुट्टी पर थे, जिसके बाद इन्हें हमने मोाबइल पर चर्चा करनी चाही, लेकिन इन्होनें फोन नही उठाया, वहीं इसके बाद सूचना बनाकर इनके पास भेजी भी सही लेकिन इन्होनें लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद 22 मार्च को सूचना बोर्ड पर हमे मजबूरन विद्यार्थियो के भविष्य को धन में रखते हुए जंतु विज्ञान की प्रायोगिक परीक्षा मंगलवार को संपन्न कराने की सूचना प्रेषित करना पड़ी। इसके बाद भी हमने इन्हें बताना चाहा, लेकिन इन्होनें बच्चो के भविष्य को दांव पर लगाना सही समझा और कॉलेज पहुंचकर विवाद खड़ा करा जिसके कारण जो परीक्षा सुबह 9 बजे आयोजित होना थी वह 1 घंटे विलंब के शुरू हो पाई। अगर हम परीक्षा संपन्न नही कराते तो विद्यार्थियो के भविष्य खराब हो जाता, जिसकी जवाबदारी भी हमारी ही होती।
छात्र-छात्राओ ने दिया आवेदन, ऐसे लापरवाह अतिथि विद्वान को हटाया जाए:
इस मामले में एक ओर नया मोड़ तब आया जब खुद छठे सेमेस्टर के विद्यार्थियो ने प्राचार्य को आवेदन दे दिया कि हमें हमारे भविष्य की चिंता है। हम सुबह 9 बजे पहुंच चुके थे, लेकिन 10 बजे तक जंतु विज्ञान के सर निर्मल सेंगर के कोई अते-पते नही थे, इसके बाद सभी प्राचार्य से मिले। जब प्राचार्य ने इन्हें फोन लगाना चाहा तो इन्होने फोन नही उठाया, कॉलेज प्रबंधन की यही गलती थी कि वह इन्हें लिखित रूप से सूचना नही दे पाए, लेकिन मौखिक रूप से इन्हें 3 से 4 बार सूचना दे दी गई थी, इसके बाद भी इन्होनें इसमें अपनी रूचि नही दिखाई। उन्होनें मांग की कि ऐसे लापरवाही करने वाली अतिथि विद्वान को यहां से तत्काल हटाया जाए। आवेदन देने में राधेश्याम वसुुनिया, सुनिल भूरिया, राजू कटारा, प्रियंका खराड़ी, निशा डामोर, सुनिता मैड़ा, नर्मदा सिगाड़, श्रुति भट्ट, दिव्या परमार, मोनिका बबेरिया, साक्षी शुक्ला, भगवती सिंगाड़, दुगा सिगाड़, संजना आंजना, आरती पाटीदार, रचना चौधरी, किरण पाठक, महिमा चौधरी सहित करीब 30 से 40 छात्र-छात्राएं शामिल थे।

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