51 बच्चों को करवाया अन्नप्राशन

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झाबुआ लाइव के लिए मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट-
51 बच्चों का अन्नप्राशन स्थानीय कम्यूनिटी हॉल में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सहायक संचालक अजय चौहान मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों को तिलक लगाकर तथा पुष्पमाला पहनाकर किया गया। अन्नप्राशन के इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए चौहान ने कहा कि अन्नप्राशन संस्कार सप्तम संस्कार है। इस संस्कार में बालक को अन्न ग्रहण कराया जाता है। अब तक तो शिशु माता का दुग्धपान करके ही वृद्धि को प्राप्त होता था, अब आगे स्वयं अन्न ग्रहण करके ही शरीर को पुष्ट करना होगा, क्योंकि प्राकृतिक नियम सबके लिए यही है। अब बालक को परावलम्बी न रहकर धीरे-धीरे स्वावलम्बी बनना पड़ेगा। केवल यही नहीं, आगे चलकर अपना तथा अपने परिवार के सदस्यों के भी भरण-पोषण का दायित्व संभालना होगा। यही इस संस्कार का तात्पर्य है। परियोजना अधिकारी वर्षा चौहान ने माताओं से कहा कि शिशु को जब 7 माह की अवस्था में पेय पदार्थ, दूध आदि के अतिरिक्त प्रथम बार यज्ञ आदि करके अन्न खिलाना प्रारंभ किया जाता हैए तो यह कार्य अन्नप्रशन, संस्कार के नाम से जाना जाता है। इस संस्कार का उद्देश्य यह होता है शिशु सुसंस्कारी अन्न ग्रहण करे एवं माताओं को मां के दूध के साथ उपरी आहार भी दिया जाये तथा मां बच्चों को दो वर्ष तक दूध पिलाए। इस कार्यक्रम को रेवा ग्रेवाल ने कहा कि 7 माह के शिशु के दांत निकलने लगते हैं और पाचन क्रिया प्रबल होने लगती है। ऐसे में जैसा अन्न खाना वह प्रारंभ करता हैए उसी के अनुरुप उसका तन-मन बनता है। जब बच्चों के दांत निकलने शुरू होते हैं और वह पहली बार दूध के अलावा ठोस आहार लेता है तब यह संस्कार किया जाता है अर्थात पहली बार जब बच्चा शास्त्रोक्त तरीके से अन्न ग्रहण करता है उस संस्कार को अन्नप्राशन कहा जाता है। वही सेक्टर मेघनगर पर्यवेक्षक अर्चना सांकते ने कहा कि आहार स्वास्थ्यप्रद होने के साथ पवित्र, संस्कार युक्त हो इसके लिए भी अभिभावकों, परिजनों को जागरूक करना जरूरी होता है इसलिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर माताओं को समझाइश दी जाती है की बच्चे के सातवे महीने में प्रवेश करते ही इस संस्कार को करवाया जाता है माताओं को सही तरीके से बच्चो की देखरेख केसे की जाये समझाया गया। बच्चों को खीर खिलाकर उनको अन्नप्राशन करवाया गया तथा बच्चों को थाली, गिलास, कटोरी, चमच्च उपहार स्वरूप दिए। इस कार्यक्रम के अंत महिला सशक्तिकरण अधिकारी लीला परमार द्वारा स्वागत लक्षमी योजना के तहत प्रथम हुई बालिकाओं का सम्मान किया गया तथा उनका कुमकुम लगाकर पुष्पमाला से स्वागत किया गया वहीं माताओं को स्वल्पाहार दिया गया। इस कार्यक्रम में बच्चों की माताओं के अलावा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सायरा बानो, रेखा गामड, सपना सोलंकी, कीर्ति भाभोर, लक्ष्मी पंचाल, शशि कला, प्रेमलता बोरा, कमली, रोजलीया, अनीता मचार, बसंती, अनीता, सुनीता निनामा, माया परमार सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थी।

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