लोहित झामर, मेघनगर
सच्चे गुरू सदैव जीवन को सार्थक करते हुए आगे बढ़ने का मार्ग प्रषस्त करते है। गुरू के प्रति श्रद्धा आस्था और सम्मान के भाव को कभी कम नहीं करना चाहिए क्योंकि गुरू के बिना ज्ञान संभवन नहीं और ज्ञान के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं हैं। उक्त उद्गार राजेंद्र सिंह सोनगरा ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित आचार्य सम्मान समारोह में व्यक्त किए।
सरस्वती शिशु मंदिर में गुरू पूर्णिमा पर्व उत्सव की तरह मनाया गया। भैया-बहनों ने उत्साह-उल्लास के साथ रंभापुर रोड़ स्थित परिसर में हवन-पूजन किया। गुरूजनों की चरण वंदना कर उनसे आर्षिवाद लिया। इस अवसर पर प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में पढ़न पाठने कराने वाले आचार्यजनों, प्रधानाचार्य एवं सेवक-सेविकाओं का सम्मान समारोह आयोजित किया गया।
