शासन की बेशकीमती भूमि का तहसीलदार की मिलीभगत से गुपचुप तरीके से हुआ नामांतरण आपत्ति कर्ताओं को हवा भी नहीं लगने दी
भूपेंद्र बरमण्डलिया@मेघनगर
बेशकीमती मंडी नजूल की करोड़ों रुपए की जमीन पर भू माफियाओं की निगाह रही है नगर के 8 से 9 सर्वे नंबर मंडी नजूल ब्लॉक नजूल की भूमि है परंतु उक्त भूमि पर भू माफियाओं ने राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ कर सने सने नगर की कई बड़ी भूमि पर कब्जा कर लिया। वर्तमान में थोड़ी भूमि सर्वे नंबर 557 एवं 485 में दशहरा मैदान पर बची है । उस पर भी एक लंबे समय से गुप्ता परिवार के साथ मिलकर माफिया उक्त जमीन को हड़पने का प्रयास कर रहे हैं।प्रदेश में सरकार के बदलते ही अचानक नगर की बहुमूल्य कीमती सरकारी जमीन पर अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर षडयंत्र पूर्वक तहसील प्रशासन नामंत्रण करने का सिलसिला धड़ल्ले से प्रारंभ कर दिया। विगत कई वर्षों से नगर के चिंता और नगर विकास के लिए तत्पर रहने वाले गणमान्य लोगों ने नजूल भूमि को बचाने के लिए 1 लंबी लड़ाई लड़ी व शासकीय भूमि बचाई है परंतु भू माफियाओं के प्रलोभन में स्थानीय तहसीलदार राजेश सोरते द्वारा अपने क्षेत्राधिकार के विपरीत आपत्ति कर्ताओं को बिना कोई सूचना पत्र दिए गुपचुप सर्वे नंबर 557 के कुछ भूखंडों का नामांतरण कर दिया गया है। वहीं सूत्रों की मानें तो सर्वे नंबर 485 के नामांतरण भी कर दिया बताया जाता है कि यह काम एक मोटी रकम के आदान-प्रदान के साथ हुआ है।चर्चा यह है कि सरकार बदली है अब पैसे फेको काम करा लो अभियान धड़ल्ले से चलेगा।सर्वे नंबर 557 एवं 485 को लेकर पूर्व सरपंच पुरुषोत्तम प्रजापति एवं पूर्व सरपंच अभिभाषक स्वर्गीय मनोहर कावडीया ने लंबी लड़ाई लड़ी है जो आज भी जारी है भूमि माफिया के सरकार बदलने के साथ सक्रिय होना और प्रशासन के आचरण में भ्रष्ट परवर्ती आने से भय का वातावरण बना है।इस माहौल में समाजसेवी आप इस प्रकरण में आगे चुनौती देंगे यह विचारणीय प्रश्न है। ज्ञात हो कि नगर में स्थित सर्वे नंबर 557 एवं 485 के भूखंडों को लेकर बीते वर्ष सुरेश चंद्र पिता रमेश चंद्र गुप्ता परिवार द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय मेघनगर में मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 109 /110 के तहत नामांतरण आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिस पर कार्यालय ने विधिवत रूप से विज्ञप्ति प्रसारित कर आपत्ती प्रस्तुत करने की समय अवधि नियत की थी जिस पर नगर पूर्व सरपंच पुरुषोत्तम प्रजापति एवं पार्षद एवं पत्रकार और गणमान्य नागरिक द्वारा उक्त दोनों सर्वे नंबर पर नामंत्रण को लेकर आपत्ति प्रस्तुत की थी तथा नगर परिषद अध्यक्ष एवं प्रशासन मेघनगर द्वारा केवल एक मात्र सर्वे नंबर 485 दशहरा मैदान पर आपत्ती प्रस्तुत की जिस पर विधिवत सुनवाई के बाद अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा नामांतरण आवेदन क्षेत्राधिकार का ना होने की वजह से स्थानीय तहसील न्यायालय मैं स्थानांतरित किया गया। उक्त प्रकरण में भोपाली तहसीलदार द्वारा विधिवत आपर्तिकर्ताओं को बिना कोई सूचना पत्र दिए एवं बिना उनका पक्ष सुने गोपनीय रूप से पटवारी गिरदावर से मिलकर सर्वे नंबर 557 का नामांतरण स्वीकार किया गया, जिसकी खबर मिलते ही नगर के लोगों में जन आक्रोश दिखाई दे रहा है जिसको लेकर नगर के सारे पत्रकारों द्वारा नगर परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से प्रेस वार्ता कर जानकारी ली गई कि नगर के इन दो नंबर का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद भी 21 जनवरी 2019 को सर्वे नंबर 557 के भूखंडों का नामांतरण किया जा चुका है एवं संभवत दशहरा मैदान के भूखंडों का अभी नामांतरण हो सकता है जिस पर आप क्या कार्रवाई करेंगे तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा बताया गया है कि दशहरा मैदान के संबंध में हम केस लड़ रहा है और किसी भी हालत में ऐसे जाने नहीं देंगे जब पत्रकार द्वारा सर्वे नंबर 557 के बारे में पूछा गया है कि यह नंबर कहां पर है तो जवाब दिया गया कि इसकी जानकारी मुझे नहीं है इस संबंध में जाने से कोई डिक्री पारित हुए हो तो इसकी जानकारी दो मुझे नहीं है और इस संबंध में कोई रिकॉर्ड भी नगर परिषद के पास नहीं है कुछ समय पूर्व आपकी मुद्रा का गलत तरीके से इस्तेमाल किए जाने पर आपने क्या कार्रवाई की तो बताया गया कि हमने संबंधित व्यक्ति के खिलाफ थाने पर आवेदन दिया था जिस पर पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।)