शासकीय भूमि को निजी करने में जुटे जिम्मेदार, उद्घोषणा जारी होते ही शहरवासियों में रोष

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झाबुआ लाइव के लिए मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट-

मेघनगर के बीचोबीच दशहरा मैदान स्थित है, जो कि शासकीय भूमि है। यह भूमि वर्षों से खुले रूप में पड़ी हुई है जिसका उपयोग स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। वहीं इस भूमि पर नवरात्रि पर गरबा उत्सव व दशहरा पर रावण दहन भी इसी मैदान पर किया जाता रहा है, वही शहरवासी शादी-ब्याह के आयोजन भी इस मैदान पर किए जाते हैं, लेकिन कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मेघनगर ने 12 फरवरी 2018 को उद्घोषणा जारी नंबर 337, 385, 387 जिसमें 3600 वर्गफीट की भूमि को विक्रय करना बताया गया। उदघोषणा में लिखा कस्बा मेघनगर के पटवारी हल्का नंबर 45 स्थित भूमि सर्वे नंबर 485 भूमि में से प्लांट नंबर 104 में स्थित भूमि का आवेदक गुप्ता निवासी मेघनगर व अन्य 5 द्वारा 35/80 यानी 2000 वर्गफीट भूम विक्रय पत्र के माध्यम से क्रय की जाकर उक्त भूमि का नामांतरण किए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें उक्त भूमि का मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 110 के तहत नामांतरण किए जाने में किसी को कोई आपत्ति हो वे 28 फरवरी तक प्रस्तुत कर सकता है। बकायदा एसडीएम के इस पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस पत्र की प्रतिलिपि बकायदा तहसील के न्यायालय के सूचना बोर्ड, जनपद पंचायत के नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा कर दी गई है। वहीं नगर परिषद के नोटिस बोर्ड तथा एक प्रतिलिपि तामीली करवाई जाकर मय पंचनामा के वापस करने का भी उल्लेख किया गया है। दशहरा मैदान पर कई वर्षों से नगरवासी धार्मिक, सांस्कृतिक व राष्ट्रीय पर्व के कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं। प्रतिवर्ष नवरात्रि में हितेश पडियार मित्र मंडल द्वारा कई वर्षों से पूर्व सरपंच नटवर बामनिया एवं टीम द्वारा मनाया जा रहा है लेकिन नगर का दुर्भाग्य यह है कि अभी तक जो शासन के द्वारा उपयोग की जारी जगह आज अचानक राजस्व विभाग द्वारा एक विज्ञप्ति जारी की जाती है और जिसके नामांतरण के लिए परिषद कार्यालय एवं जनपद कार्यालय पर उनके साथ चस्पा करने के लिए भेजा जाता है। शहर में जनचर्चा में विषय बना हुआ है कि आखिर इस भूमि पर जो व्यक्ति अपना मालिकाना हक जता रहे है वह उसका मालिक है भी या फिर सांठगांठ कर शहर के बीचोबीच लाखों-करोड़ों रुपए की जमीन अपना बैजा कब्जा कर रातोरात व्यारे-न्यारे में जुट गया है।
इसके पूर्व भी रामदल अखाड़ा के नजदीक शासकीय भूमि है उस पर कुछ वर्षों पूर्व में एक व्यक्ति ने भवन का निर्माण शुरू कर दिया। जब इसकी शिकायत व जांच की गई तो वह शासकीय भूमि निकली और इसके बाद तत्कालीन तहसील ने उस भूमि पर अतिक्रमण मानते हुए पूरा निर्माण जेसीबी मशीन की मदद से तोड़ दिया गया।
इस संबंध में जब मेघनगर हल्का पटवारी कमलसिंह नायक से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि दशहरा मैदान की जमीन मंडी नजुल में आती है तो इस हिसाब से यह जमीन शासकीय है और एक निजी व्यक्ति ने 2000 वर्गफीट पर अपना हक जताते हुए बकायदा तहसीलदार कार्यालय से उदघोषणा निकलवा दी। यह उदघोषणा इस सांठगांठ से की गई तो यह कहना मुश्किल है लेकिन इसकी जांच की जाए तो दशहरा मैदान की जमीन जो कि वर्षों से खुले रूप में पड़ी है और शहरवासी अपने निजी आयोजन करते रहे हैं शासकीय भूमि के रूप में सामने आ सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वे शासकीय जमीन को निजी हाथ में न जाने दे, और जांच की जाए उसके बाद ही इस तरह की उदघोषणा शासकीय कार्यालय से निकले।
भूमाफिया की सांठगांठ चर्चा का विषय-
मेघनगर के वार्ड नंबर 9 में आने वाले दशहरा मैदान पर की 337, 385, 387 3600 वर्गफीट की भूमि में से 2000 वर्गफीट जमीन को सांठगांठ कर निजी विक्रय किया जा रहा है। इसके लिए बकायदा एसडीएम कार्यालय से विज्ञप्ति भी जारी हो चुकी है, जो नगर में चर्चा का विषय बनी हुई है। वर्षों से यह भूमि खाली अवस्था में पड़ी है तो नागरिकों का कहना है कि शासकीय भूमि पर निजी आधिपत्य कैसे हो सकता है। इसकी परते खोलने के लिए जिम्मेदार अफसरों को इसकी जांच करवाना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। जनचर्चा की माने तो कुछ भूमाफियाओं की इस जमीन पर कभी से नजर थी और उन्होंने ही शासन में बैठे आला अफसरों से सांठगांठ कर भूमि को निजी करने का खेल शुरू किया। अब शहर के बीचो-बीच यह भूमि है तो भूमाफिया रातोंरात करोड़ों में खेलने के मंसुबे बना रहे हैं। अब देखना है कि जिम्मेदार आला अधिकारी इस भूमि की जांच करवाते हैं या फिर पूरा खेला सेटिंग से होगा….?

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