लाइसेंस निरस्त के बाद भी मेघनगर में रात के अंधरे में चल रही नकली खाद की फैक्ट्रियां, जिम्मेदार मौन

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
मेघनगर। बीते दिनों किसान एवं नगर के समाजसेवियों द्वारा मेघनगर में नकली खाद बनाने वाले अवैध कारखानों की शिकायत झाबुआ विधानसभा चुनाव के पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव को की गई थी। शिकायत के बाद कृषि मंत्री सचिन यादव एक्शन में नजर आए और संबंधित विभाग के अधिकारियों का भोपालए इंदौर एवं धार के साथ झाबुआ का संयुक्त दल छापामार कार्रवाई के लिए मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र भेजा गया जहां पर ग्रोफॉस, बालाजी एग्रो, मोनी मिनरल सहित अन्य दो और फैक्ट्रियों के सैंपल लिए गए। सैंपल में जांच के दौरान पर भारी अनियमितता व बनने वाले खाद उर्वरक को में कई प्रकार की कमियां मिली। जिसको देखते हुए उर्वरक गुण नियंत्रण आदेश 1985 के तहत मेघनगर में नकली खाद बनाने वाली पांच कंपनियों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए जिसमें मैसेज मोनी मिनरल्स फेक्ट्री प्लॉट न 56ए मैसर्स बालाजी एग्रो ऑर्गेनिक एंड फर्टिलाइजर्स प्लॉट नंबर 12, मैसर्स एग्रो फोर्स इंडिया लिमिटेड प्लाट नबर 135 ए व 138 ए एवं अन्य दो फैक्ट्रियों को कार्यालय संयुक्त संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास इंदौर संभाग के उर्वरक पत्र क्रमांक 4247 में दिनांक 25 नवंबर 2019 तक 30 दिनों के अंदर शेष उर्वरक जो के स्टॉक में रखा है। उर्वरकों का विक्रय 25 नवम्बर से पहले सुनिश्चित करना था। साथ ही 31 अक्टूबर से निरस्त की गई लाइसेंस फैक्ट्रियों में किसी भी प्रकार का उत्पाद निर्माण ना होना था व दिनांक 25 नवंबर के पहले संबंधित कृषि अधिकारियों द्वारा फैक्ट्री में हो रही गतिविधियों का निरीक्षण करना था लेकिन उक्त पत्र क्रमांक को रद्दी की टोकरी में नकली खाद बनाने वाली फैक्ट्री मालिकों ने डाल दिया। बिना किसी नियमों की परवाह किए बगैर रात के अंधेरे में यह कारखाने धड़ल्ले से चल रही है। आज भी हजारों बोरियां बना नकली खाद माल इन फैक्ट्रियों में उपलब्ध है इतना ही नहीं जब इन कृषि अधिकारियों को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया जाता है तो कार्रवाई करने की बात कह कर सच्चाई पर पर्दा डाल दिया जाता है। अब मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार जो कि किसानों के दम पर जीत का सेहरा लिए घूम रही है व शुद्ध पर युद्ध का अभियान चला रही है लेकिन इसके विपरीत स्थानीय प्रशासन के नुमाइंदे कृषि मंत्री सचिन यादव एवं इंदौर संभाग के कृषि संयुक्त संचालक के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए नजर आ रहे हैं।आगामी दिनों में किसान की चिंता करने वाली कांग्रेस सरकार क्या ठोस कदम उठाती है और इन अवैध खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों पर उर्वरक गुण अधिनियम 1985 के तहत क्या कार्रवाई करती है यह तो अब शासन प्रशासन को देखना है।

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