प्रशासनिक मिलीभगत कर अपने ऊपर लगे आरोपों की खुद जांच अधिकारी बन बैठे खंड स्त्रोत समन्वयक

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
विगत दिनों स्कूलों में मध्यान्ह भोजन नही मिल रहा व समूह के सदस्य के नाम परिवर्तन के नाम पर 10 हजार रुपए रिश्वत मांगे जाने की खबरे समाचार पत्रों ने प्रकाशित की थी। मामला बड़ा घोसलिया के शासकीय उत्कृष्ट प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय का था जहां जय बजरंग समूह के द्वारा मध्यान्ह भोजन दिया जाना था किंतु मध्यान्ह भोजन 26 जनवरी से नहीं दिया जा रहा था। बाद में समूह के अन्य सदस्य मन्नू भूरिया ने मध्यान्ह भोजन देना शुरू किया। मगर जब खंड स्त्रोत समन्वयक जनपद शिक्षा केंद्र मेघनगर निर्मल त्रिपाठी द्वारा नाम परिवर्तन नाम के 10 हजार की मांग की गई थी, जो समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी। इसके बाद बीईओ बीएन शर्मा अपनी टीम के साथ जांच करने पहुंचे लेकिन जिसके खिलाफ आरोप लगे उसी को अपने साथ लेकर अपनी कार में बिठाकर ले गए और वही स्कूल के बन्द कमरे में जांच कर डाली। जिसके खिलाफ समूह सदस्य ने 10 हजार की मांग की आवाज उठाई, जिसने मीडिया को कैमरे के सामने खुला बयान दिया उसी मन्नू भूरिया को खुद निर्मल त्रिपाठी बीआरसी सवाल जवाब करने लगे। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जिसके खिलाफ आरोप लगे है उसे ही जांच सौंप दी जाए, प्रशासनिक अधिकारियों की जांचों में पारदर्शिता का पैमाना आसानी से समझा जा सकता है। वहीं दूध का दूध, पानी का पानी वाली कहावत को मेघनगर क्षेत्र के शिक्षा अमले ने पूरी तरह से झूठलता दी है। चौराहे पर चर्चा यह है कि बीआर सी निर्मल त्रिपाठी ने शिक्षकों को यह तक कह डाला कि अगर स्कूलों में पत्रकार आये तो उनको वही देख लो मामला मुझ तक आने मत दो। अब बीआरसी देख लेने की बात का मतलब अधिकारियों को किस तरह का समझा रहे हैं कम से कम मीडिया कर्मियों को जरूर समझ में आ रहा है।
जिम्मेदार बोल-
आज में जांच के लिए गया था । साथ बीआरसी निर्मल त्रिपाठी भी मेरे साथ थे रुपयों की मांग की बात सामने आई है मगर राशि दी नहीं है। -बीएन शर्मा, बीईओ मेघनगर
इस बारे में जब डीपीसी झाबुआ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में मुझे जानकारी मिली है, जो सच्चाई है सामने आएगी, मामला अभी जांच में चल रहा है। – एनएल प्रजापति, डीपीसी झाबुआ

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