दर्द है शहादत का मेरी कविता, प्यार का तराना नहीं है, देशभक्ति व शहीदों के नाम रहा विराट कवि सम्मेलन

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
पत्रकार संघ व ग्राम मित्र मंडल के तत्वावधान में रंभापुर में तृतीय अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में देश भक्ति-हास्य व्यंग्य व गीत गजलों की ऐसी गंगा बही की देर रात तक काव्य प्रेमी डटे रहे। कवि सम्मेलन संयोजन पंकज रांका, भूपेंद्र बरमंडलिया के मार्गदर्शन में हुआ तथा सरंक्षक मण्डल के भारतसिंह साकला, कमलेश दातला, डाक्टर बसन्तसिंह खतेडिया, नवलसिंह नायक आदि की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि समाजसेवी सुरेशचंद्र जैन, विशेष अतिथि सरस्वती रांका, प्रेमलता भट्ट, रोटरी क्लब मेघनगर के मंगीलाल नायक, भरत मिस्त्री, प्रमोद तोषनीवाल, तो वही वरिष्ठ पत्रकार सलीम शेरानी, मोहन संघवी, मनीष गिरधानी, नीलेश भानपुरिया,अनूप भण्डारी, रहीम शेरानी, यश झामर आदि थे ।

कैंडल जलाकर शहीदों को दी श्रद्धांजलि-
कवि सम्मेलन की शुरुआत में मां शारदे को दीप प्रज्जवलित कर पुलवामा में शहीद हुए रणबांकुरो को श्रद्धांजलि दी। साथ ही में दिवंगत ज्योति जोशी को भी श्रद्धांजलि दी। वही देश में हुए आतंकी हमले को देखते हुए कवियों ने और अतिथियों ने बिना पुष्पहार और स्मृति चिन्ह ग्रहण किए बिना कार्य्रकम को गरिमामय बनाया। कवि सम्मेलन की शुरुआत मेहर माही बांसवाड़ा ने सरस्वती वंदना कर की सुश्री मेहर ने अपनी गीत गजलो से युवाओं को लुभाया मेहर की पंक्तिया ‘ तेरा नजदीक ना होना मुझे कितना सताया है, तेरी यादों की बारिश में मेरा मन भीग जाता है वो देखो सल्तनत को छोडक़र दिनके उजाले की ए फक्त एक चांद से मिलने को सूरज डू जाता है।’ क्षेत्रीय कवि सरफराज भारती ने रगों में जोश भर दे, गूंजा दे घोष आसमानों में हमारी तो जान बस्ती है शहीदो के तरानों में अपनी देशभक्ति का परिचय दिया। वहीं कुमार संभव खरगोनने ें मार्मिक रचना कर्ण पढक़र कवि सम्मेलन को ऊंचाइयां दी। रंभापुर की माटी में जन्में देश के राष्ट्रीय कवि निसार रंभापुरी ने कहा हम वेलेंटाइन डे मनाते रहे देते रहे गुलाब, वहां के जवान शहीद बन गए आफताब, व दर्द है शहादत का मेरी कविता प्यार का तराना नहीं है दर्द है देश का इश्क का अफसाना नहीं है से कवि सम्मेलन को राष्ट्रीयता प्रदान की। हास्य कवि चेतन चर्चित मुम्बई ने गुद गुदाया व प्रताप गढ़ से पधारे पैरोडीकार शैलेन्द्र शैलू ने फिल्मी अंदाज में सभी को खूब हंसाया व भोपाल से पधारी श्रंगार रस की कवियत्री नम्रता श्रीवास्तव ने तुमसे नजर मिली नजर प्यार हो गई, दो आंखे दो से चार हो गई, शहीद जब होता है पहला-पहला प्यार कविता से युवाओं को बहुत लुभाया। कुमार सम्भव की नम्रता से नोंक-झोंक का भी काव्य प्रेमियो ंने जम कर आनंद लिया। कवि सम्मेलन के शिखर कलश रहे संचालक सतीश सागर ने श्रद्धा सुमन देश के रणवीरो को अर्पित है जो हए सरहदों पर शहीद ये कविता उन्हें समर्पित है से देर रात 3 बजे कवि सम्मेलन का समापन किया आभार अभय जैन ने माना। कवि सम्मेलन को सफल बनाने में हितेश खतेडिया, दशरथ क_ा, ब्रजेश हाड़ा, राकेश हाड़ा, हार्दिक पंचाल, हरपाल खतेडिया, दीपक जैन, प्रहलाद घोती, रायसिंह सहलोत आदि का सहयोग सरहनोय रहा।
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