छठे दिवस भक्ति और शक्ति स्वरूपा मां कात्यानी की पूजा, राजशाही पगड़ी पहन शंकर मंदिर उत्सव पंडाल में बालिकाओं बांधा भक्तिमय समां

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। माता का यह स्वरूप बहुत ही करुणामयी है। माता ने यह स्वरूप अपने भक्त की तपस्या को सफल बनाने के लिए धारण किया था। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। अपने दिए वरदान के कारण देवी ने कात्यायन के यहां जन्म लिया और देवी कात्यायनी कहलायीं। मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार इनकी उपासना करने वाले को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। श्रीमद देवीभागवत पुराण के अनुसार मां कात्यायनी का रंग स्वर्ण की भांति चमकीला है और इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं ओर के ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में खड्ग अर्थात तलवार लिए हुए माता हैं और नीचेवाले हाथ में कमल का फूल है। इनका वाहन सिंह है। मां के रूप का वर्णन शास्त्रों में कुछ इस प्रकार मिलता। मेघनगर उत्सव समिति एवं भारतीय पत्रकार संघ ऑल इंडिया जनर्लिस्ट के संयुक्त तत्वाधान में गरबा प्रतिदिन नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। छठे दिवस मां कात्यानी की भक्ति आराधना में रात्रि 8 बजे मां कात्यानी का सोलह सिंगार वरिष्ठ पत्रकार विमल जैन के परिवार द्वारा लिया गया। 108 दीपक की महा आरती राजेश भंडारी एवं सुमित मुथा के परिवार द्वारा ली गई।भक्ति की इस ज्योत रंग में छोटी नन्ही मुन्नी बालिका अपनी थाल सजाकर प्रतिदिन मां की भक्ति में जुटती है। जिन्हें डॉक्टर लक्ष्मीकांत सोनी परिवार की तरफ से कई पारितोषिक वितरण दिए जाते हैं। गरबे के आयोजन में कई लोगों को उत्सव समिति द्वारा एक से बढक़र एक नव स्टाइल में गरबा खेलने पर उत्सव समिति द्वारा उत्साह वर्धन करने हेतु पारितोषिक वितरण किया गया। डांडिया रास देर रात तक गरबा चलता रहा। श्रद्धालु मां की भक्ति में झूमते नजर आए।

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