आदिवासी समाज में कुरीतियां-फिजुलखर्ची करें बंद

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झाबुआ लाइव के लिए मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट-
आदिवासी समाज में व्याप्त कुप्रथाओ कुरीतियों खर्चीली शादियों दहेज दापा प्रथा को समाप्त करने व आदिवासी समाज को एक सूत्रधारा में लाकर आदिवासी संस्कृति की रक्षा को लेकर आदिवासी जन जाग्रति मंच के बैनर तले स्वयभू माता मन्दिर देवीगढ़ पर आदिवासी समाज का एक महासम्मेलन हुआ। इस दौरान पटेल-तड़वी, सरपंच सहित समाज के वरिष्ठजनों मौजूद रहे सम्मेलन का उद्देश्य सामाजिक एकता को बनाये रखना साथ है, समाज में व्याप्त कुरतियों को जड़ से खत्म करना। आदिवासी समाज ने प्रचलित कुरतियों नशा प्रथा, दहेज दापा प्रथा, बाल विवाह, खर्चीली शादियों पर अंकुश लगाना है। समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के उद्देश्य से जिले के बुद्धिजीवियों तथा समाजजन का महासम्मेलन आयोजित कर सुझाव तथा प्रस्ताव भी विचार किया गया। इसके अलावा सर्व सहमति से समाज हित में सामाजिक नियम बनाये तथा उस पर अपनी मुहर लगाई। इस महा सम्मेलन में मंच के सरक्षक श्यामा ताहेड ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने रीति रिवाज तथा परम्परा बनाई थी इस परम्पराओ से हम परे हो गए, जिसके कारण हमारा आदिवासी समाज शने शने डूब रहा है। दहेज प्रथा दापा प्रथा और शादी के खर्च ने हमारी कमर तोड़ रखी है, शादी करने वाला परिवार निरंतर कर्ज में डूबता जा रहा है, नोतरे-मामेरे के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को कर्ज में डूबा रहा है। एक और डीजे के चलन ने इस कर्ज को और बड़ा दिया है, दारू प्रथा, गाडियों की लम्बी लम्बी कतार, बीडी सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू सब शादी की फिजुलखर्ची के साथ कर्ज है, अब इसे समाज से दूर किया जाए। इसी के साथ भूरसिंह भूरिया ने कहा कि शराबखोरी, मांस से समाज दूर रहे हैं। इस दौरान दिलीप कटारा, बंटी डामोर ने भांजगडिय़ों, दलालों से दूर किया जाए इस जैसी कप्रथाओं से समाज को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है इसे भी समाज को बचाना अब उनका लक्ष्य है। इस दौरान मकनसिंह डामोर, रमेश भाबर, गौरसिंह भूरिया, मीठू कतीजा, केशव डामोर, राजू डामोर ने उपस्थित जनों ने हाथ उठाकर दहेज नही लेने देने व देने का संकल्प दिलवाया। इस अवसर पर संजय मेडा, रादू वकील, सोवन, दलसिंह, थावरिया दाहमा सहित सैकड़ों समाजजन मौजूद थे।

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