महिला ने मरणोपरांत किया नेत्रदान, कार्निया निकालकर इंदौर भेजे, अब दो जिंदगी होगी रोशन

May

जितेंद्र वर्मा, जोबट

नेत्रदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि इस दान से दो जिंदगिया रोशन होती है। जिंदगी भर जिस शख्श ने कभी दुनिया नही देखी और केवल अंधेरे में ही जिया, उनकी आखों में रोशनी आ जाए तो इससे खुशी की बात और क्या हो सकती है। धीरे धीरे ही सही लेकिन समाज नेत्रदान के प्रति जागरूक हो रहा है। लोग चाहते है कि मृत्यु पश्चात भी लोगों का भला करें। इसलिए मरणोपरात नेत्रदान की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ऐसा ही एक पुण्य का कार्य जोबट के वाणी परिवार ने क्या है । वाणी परिवार द्वारा वरिष्ठ मातृशक्ति गीता बाई गब्बू लाल वाणी 67 वर्ष की आयु में मृत्यु उपरांत परिवार ने नेत्रदान करने की इच्छा जताई।

नेत्र संकलन जोबट को मिला 100वां नेत्रदान

जोबट नगर के वाणी समाज की वरिष्ठ मातृशक्ति गीता बाई वाणी 67 वर्ष के मृत्यु उपरांत परिवार ने नेत्रदान  करने की इच्छा जताई। गायत्री शक्तिपीठ नेत्र संकलन केंद्र के  प्रमुख डॉ शिवनारायण सक्सेना को सूचना दी गई। परिवार को नेत्रदान के लिए  अशोक वाणी एवं कपिल राठौर द्वारा  प्रेरित किया गया। नेत्र संकलन केंद्र के टेक्नीशियन अजमेर सिंह डावर एवं नेत्रदान के प्रमुख अश्विन नागर स्वर्गीय  गीता बाई वाणी के निवास स्थान पं. श्रीराम शर्मा अचार्य मार्ग पहुंचे और दोनों नेत्रों के कार्निया निकाले। संकलित कार्निया को एमके इंटरनेशनल आई बैंक इंदौर भेजा गया। जिससे दो दृष्टिहीन जरूरतमंदों को प्रत्यारोपित किया जा सके। शक्तिपीठ के ट्रस्टी शिवराम वर्मा ने बताया की यह नेत्र संकलन केंद्र का 100 नेत्रदान है। केंद्र के प्रयास और मृतकों के परिजनों के सहयोग से कई दृष्टि बाधितों की आंखे रोशन हो चुकी है। दिवंगत के लिए गायत्री मंत्र एवं महामृत्युंजय मंत्र  से श्रद्धांजलि अर्पित की गई।