जनजाति नायकों का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पर कार्यशाला

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जितेंद्र वर्मा, जोबट

शासकीय महाविद्यालय जोबट में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती के अवसर पर पूरे वर्ष 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है जिसके अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान विषय पर परिचर्चा का  आयोजन किया गया इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री राजेश डूडवे जनजाति विकास मंच जिलाध्यक्ष व प्रेस क्लब अध्यक्ष  ने मां सरस्वती एवं भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर पूजा अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की। मुख्य अतिथि राजेश डुडवे ने जनजाति गौरव दिवस के उद्देश्य तथा जनजाति नायकों के माध्यम से जनजाति संस्कृति के महत्व से विद्यार्थियों का अवगत करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायको द्वारा अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध चलाए गए अभियान की रोचक तथ्य बताएं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं जनजातीय प्रकोष्ठ संयोजक डॉ दीपक कुमार डाबर  ने मुख्य अतिथि का स्वागत एवं अभिनंदन किया तत्पश्चात  प्रारंभ में विद्यार्थियों ने जनजाति नायको पर परिचर्चा मैं अपने विचार व्यक्त किया  जिसमें  एम. ए. चतुर्थ सेम. के छात्र हुसैन तोमर ने भगवान बिरसा मुंडा के राष्ट्रीय संघर्षों पर प्रकाश डाला तत्पश्चात  बी. ए. प्रथम वर्ष की छात्रा मुस्कान बंसल ने राणा पूंजा भील के हल्दीघाटी में महत्वपूर्ण योगदान को  याद दिलाया। महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ कविता गुप्ता ने क्रांति सूर्य टंट्या भील के गरीबो  व शोषितो के प्रति समर्पण भाव से परिचित करवाया। प्रोफेसर उर्मिला भाभर द्वारा भगवान बिरसा मुंडा के मुंडा विद्रोह  के बारे में विद्यार्थियों को बताया।  प्रोफेसर विशाल यादव द्वारा प्रेरणादायक गीत प्रस्तुत कर विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन  किया गया रासेयो कार्यक्रम अधिकारी प्रो. प्रदीपसिंह डावर ने अपने उद्बोधन में बताया स्वतंत्रता संग्राम में अनेक जनजाति नायकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए अपने आप को देश के लिए न्यौछावर कर दिया किंतु आज भी उनके योगदान को भारतीय इतिहास में सही स्थान नहीं मिला है, प्रो . डावर ने छात्रों से अपील की कि वह अपने जननायकों के बारे में जाने और अनुसंधान के माध्यम से उनके योगदान और बलिदान के इतिहास को लिपिबद्ध कर महत्वपूर्ण  स्थान दिलाने का प्रयास करे। प्राचार्य ने अपने अध्यक्षीय  भाषण में प्राचीन काल में एकलव्य, मध्य काल राणा पूंजा भील आधुनिक काल में बिरसा मुंडा, टंट्या बिल, झलकारी बाई, कमला देवी आदि जनजाति नायकों के योगदान पर अपना प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में डॉ. जी एल. चौहान द्वारा मुख्य अतिथि, संस्था के प्राचार्य, का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. महेंद्र वर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. आकाश एसके , डॉ राजेंद्र चौधरी, डॉ. गुमान सिंह मुजाल्दा, डॉ. अलंकृता गंगेले, डॉ. मंजू डावर,  डॉ. पूजा पाचुरेकर और प्रो लोकेंद्र मंडलोई भी उपस्थित रहे।

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