भगवान को हमने नहीं देखा लेकिन गौ माता संसार में साक्षात भगवान की सुंदर संरचना है : मुनिराज श्री चंद्र विजय जी 

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झाबुआ डेस्क। गौपाष्टमी के पावन पर्व पर देवझरी स्थित श्री कृष्णा गौ सेवा सदन का दिव्य अंतरण परम पूज्य आचार्य श्री ऋषभ चंद्र सूर्यजी महाराज साहब के आज्ञा अनुवर्ती परम पूज्य मुनिराजश्री चंद्र यश विजय जी महाराज साहब एवं परम पूज्य मुनिराज जिनभद्र विजय जी महाराज साहब की पवन मिश्रा ग्राम चारोली पाड़ा में संपन्न हुआ। इस अवसर पर  गोपूजन आचार्य गणेश प्रसाद जी उपाध्याय के द्वारा यजमान कन्हैयालाल राठौर तथा प्रत्यय शाह की उपस्थिति में पूर्ण किया गया । 

मुनिराज जिन भद्र विजयजी महाराज साहब ने अपने व्याख्यान में स्वयं को  भक्ति गुरु आचार्य श्री ऋषभ चंद्र सूर्य जी महाराज का शिष्य होकर गौ माता का वर्णन करते हुए वर्तमान युवाओं को आधार बनाकर उन्हें धर्म की ओर लौटने की शिक्षा दी वर्तमान पीढ़ी जो आडंबर एवं पश्चात संस्कृत में डूब कर न केवल अपने पतन का मार्ग निश्चित कर रही है वर्णन आगे की पीढ़ी को क्या जवाब देंगे इस और उनका ध्यान आकर्षित करते हुए सोचनेके लिए अनुरोध किया और अपनी वाणी को विराम दिया । 

परम पूज्य मुनिराज श्री चंद्र विजय जी महाराज साहब ने  धर्म की जय घोष से अपना उदबोधन आरंभ करते हुए कविवर नीरज की पंक्तियों को सुनाते हुए बताया कि अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को इंसान बनाया जावे अर्थात उन्होंने बताया कि भगवान को हमने नहीं देखा लेकिन गौ माता संसार में साक्षात भगवान की सुंदर संरचना है भगवान का प्रतिरूप होना निरूपित करते हुए उनमें 33 कोटि देवता का वास होना बताया उन्होंने सनातन धर्म एवं जैन धर्म की समानता का वर्णन करते हुए जैन धर्म को हिंदू संस्कृति का अंश होना बताया। आपने कहा की उपासना पद्धति अलग-अलग हो सकती है लेकिन दोनों का उद्देश्य या लक्ष्य केवल और केवल मोक्ष की प्राप्ति है सनातन धर्म को जीवन की रक्षा का मूल मान गया है यदि जीवों की रक्षा हम नहीं कर पाए तो हमारा जीवन कष्टप्रद ही होगा संसार में भगवान ने समस्त जीवों की रक्षा का भार मनुष्य को सोफा है लेकिन मनुष्य उन्मुख पक्षियों ,पशुओं का भक्षण  करने लगा है जो उचित नहीं है उन्होंने गौ माता की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रत्येक जीव ही शिव है यदि हम प्रतिमा में शिव को देखें और दीव में शिव को ना देखें तो हमारा मनुष्य जन्म निस प्राण ही है हम वृक्ष की पत्तियां फूल और फल को तोड़ लें तो वह फिर आ जाएंगे लेकिन यदि वृक्ष की जड़ ही काट देंगे तो दोबारा हमें फल फूल और पत्तियां प्राप्त नहीं होगी वर्तमान में सारा समाज जड़ काटने में ही लगा हुआ है जिसके कारण वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो गई है। आज विदेश में भूकंप क्यों आ रहे हैं इसका कारण है जीवों का विनाश मुख्य जीवन को बहरी से मार देना पाप है उनकी चीत्कार एवं खून से सृष्टि भरी पड़ी है उनकी चीत्कार के कारण ही प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है जिसके परिणाम हमें नजर आने लगे हैं। गौ माता हमें न केवल दूध ही नहींदेती है वरन् उनके व्दारा त्यागा गया गोबर व गोमुत्र भी इधन एवं ओषधि के रूप में आज काम में लिया जा रहा है। मृत्यु उपरांत भी उसके शरीर के कई अंग का उपयोग होता है तथा समाज के कई वर्ग उनके अंगों से विविध सामग्री बनाकर अपना जीव को उपार्जन करते हैं अतः युवा पीढ़ी से आह्वान करूंगा कि प्रत्येक सनातनी एवं जैन परिवार एक गाय के रखरखाव का जीवन पर्यंत उत्तरदायित्व ले लेता है तो गोहत्या  अपने आप ही समाप्त हो जावेगी उनके उद्गार से प्रभावित होकर  उपस्थित भक्तों ने गौशाला में उपलब्ध 13 गायों के संरक्षण का उत्तरदायित्व अपने कंधों पर लिया। पूज्य मुनि श्रीने गौशाला में पानी के लिए एक बोरिंग स्वयं के द्वारा किए जाने की भी घोषणा की तथा कार्यक्रम को महा मांगलिक सुनाकर अपनी वाणी को विराम दिया । 

कार्यक्रम के दौरान नगर के हरीश शाह ,रितेश शाह ,कन्हैयालाल राठौर ,दयानंद पाटीदार, छोगालाल भाई मालवी, रमेश मालवी ,महेश कोठारी ,सुरेश कोठारी ,किशोर बोरसे ,विमल वर्मा , प्रदीप पंड्या, प्रदीप अरोड़ा  प्रकाश त्रिवेदी इत्यादि उपस्थित रहे ।  गुरुदेव ने पूर्ण गौशाला का भ्रमण कर सभी भक्तों को सफल होने का आशीर्वाद दिया। 

कार्यक्रम का सफल संचालन गो सेवक राधेश्याम परमार व्दारा किया गया ।उक्त अवसर पर रितेश शाह ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं आप सभी के मन में गौमाता के प्रति सेवा भाव अभूतपूर्व है आप सभी के तन मन धन के सहयोग से आज हम हम सभी सेवा के इस मुकाम पर पहुँच पाए हैं। मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ और आशा करता हूँ भविष्य में भी हम सभी सेवा के नित नये अध्याय को लिखते रहेंगे।

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