झाबुआ जिले में BJP संगठन ओर जिला प्रशासन के बीच भारत – पाकिस्तान जैसा तनाव, देखिए प्रशाशनिक हलचल

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बीजेपी जिलाध्यक्ष की फेसबुक पोस्ट – सरकार को‌ डुबा देगा प्रशासन

मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार में अफसरशाही के हावी होने के आरोप खुद बीजेपी नेताओं की ओर से लगते रहते हैं लेकिन अलीराजपुर ओर झाबुआ में तो यह आरोप खुलकर लगाए जा रहे हैं अलीराजपुर में बीजेपी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अफसरों की हठधर्मिता का आरोप लगाकर धरना बुलाया.. यह बात अलग है बाद में अपरिहार्य कारणों से धरना नहीं दिया ..इधर झाबुआ में भी बीजेपी जिलाध्यक्ष भानु भुरिया का गुस्सा जिला प्रशासन पर फट पड़ा .. उन्होंने फेसबुक पर सीधा लिखा कि जिला प्रशासन पुरी ताकत और जोश के साथ सरकार को डुबोने में लगा है .. हालांकि कुछ देर बाद भानु भुरिया ने यह पोस्ट डिलीट भी कर दी .. हमारे प्रशाशनिक ओर राजनीतिक सुत्रो की मानें तो कई ऐसे विषय है जिस पर बीजेपी जिलाध्यक्ष भानु भुरिया की नाराज़गी है ..उनमें से एक हालिया मुद्दा यह है कि ग्रामीण इलाकों में परीक्षाएं एंव शादियां चरम पर है और कई गांवों की बिजली बिल ना भरने पर काट दी गयी..अब जिन गांवों को बिल‌ भरे 5-5 दिन हो गए लेकिन बिजली नहीं जोडी गयी..बताते हैं कि भानु भुरिया ने एक बड़े अफसर से हस्तक्षेप को कहा तो जवाब मिला – क्या मैं जोडने जाऊं ?

BJP राज मे BJP नेताओं को ठेंगा

मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार है बीते दिनों दो नियुक्तियों से भाजपाई प्रशाशन से बेहद नाराज़ हैं ..पहली नियुक्ति आयशा कुरैशी को BEO बनाने को लेकर जुड़ी है भाजपाई उन्हें पहले जिले से बाहर तबादला करवा चुके थे लेकिन वे फिर से झाबुआ के रामा में पदस्थ हो गयी ..अब जब उन्हें बीईओ बनाया गया तो भाजपाइयों को यह बात नागवार गुजरी .. बात जब अफसरों से की गयी तो बीजेपी नेताओं को कहा गया..कि इतनी छोटी छोटी बातों में ना बोला करे ..

वही कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया के ग्राम मोरडूंडिया मे वार्डन की नियुक्ति में भी बीजेपी नेताओं की नहीं सुनी गयी जिससे बीजेपी पदाधिकारियों में नाराजगी है .. चुनावी साल में झाबुआ में भाजपाई नेताओं को अब प्रशाशन की मनमानी से हार का खतरा मंडराता दिख रहा है लेकिन ऊपर सरकार सुन नहीं रही है एक फिल्टर लगा दिया गया है ।

क्यों रद्द हुई DPC आफिस की फर्नीचर खरीदी

झाबुआ में मार्च खत्म होने को है और डीपीसी ( सर्व शिक्षा अभियान ) ने प्रक्रिया शुरू करने के बाद निरस्त कर दी है निरस्त करने की जो वजह तैयार की गयी है वह अलग है लेकिन हकीकत कुछ और है .. दरअसल बीजेपी जिलाध्यक्ष भानु भुरिया ने खरीदी प्रक्रिया के दस्तावेज मांगे तो जिला पंचायत से कहा गया कि RTI लगाए .. लेकिन जब भानु भुरिया ने तीखे तेवर दिखाए तो अफसरों को लगा कि मामला विवादों मे पढ़ सकता है इसलिए तरीके से प्रक्रिया निरस्त करना ही जरूरी समझा गया

165 की अनुमति के लिए प्राइवेट ठेके की चर्चा

झाबुआ शहर में इन दिनों चर्चाएं गर्म है कि फंलाना बाबू के बेटे से संपर्क करो..वह ठिकाना अफसरों के करीब है वह धारा 165 की अनुमति जल्दी दिलवा देगा .. अब इन चर्चाओं मे कितना दम है या यह अफवाह है इसका परीक्षण कलेक्टर साहिबा को जरूर करना चाहिए

साहब क्यों पहुंच गये दफ्तर ?
झाबुआ जिले के एक बड़े अधिकारी को एक दूसरे विभाग में सप्लाई में इतनी अधिक रूचि है कि वह साहब उस विभाग पहुंच गये ओर दबाव बनाकर डिमांड लेटर बनवा ही लिया ..अब यह बात अलग है कि उस विभाग के प्रमुख मौखिक रूप से कह रहे हैं कि उन्हें अमुख मशीन की जरूरत ही नहीं है .. लेकिन बड़े साहब है कि सप्लाई देने पर तुले हैं .. अगर आप समझना चाहें तो इतना समझिए कि यह साहब पहले भी एक डिप्टी कलेक्टर को बिना माल देखें वैरीफाई करने के लिए दबाव बनाने का काल कर चुके हैं ।

सत्र बीता लेकिन नहीं दे पाए गणवेश

सुशासन दिवस ..गुड गवर्नेंस.. स्वर्णिम मध्यप्रदेश .. राज्य स्तर से निगरानी.. इन जुमलों के बीच आपको बता दें कि 15 मार्च की डेडलाइन निकल गयी.. चालू शिक्षा सत्र भी समाप्त होने को है लेकिन आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में गणवेश वितरण अभी तक जिम्मेदार अफसर नहीं कर सके हैं .. बुरहानपुर स्थित पावरलूम से कपड़ा तो खरीद लिया गया लेकिन गणवेश सिलवाई कहां जाएं यह सवाल खड़ा हुआ है हमने कई स्वयं सहायता समूहों से बात की लेकिन सभी ने बताया कि उन्हें सिलाई का काम नहीं मिला है .. अब देखना यह है कि किसी अफसर की इस लापरवाही पर जवाबदेही तय होगी या हमेशा की तरह लीपा पोती हो जायेगी ।

कांग्रेस MLA की टांसफार्मर तत्काल , BJP नेताओं की अनुशंसा वालो पर टेंडर होंगें !!

बीजेपी के आला नेता झाबुआ जिला प्रशासन से इसलिए भी नाराज़ हैं कि प्रभारी मंत्री ने लाखों रूपये सेंशन करवाकर दिए ताकि बीजेपी सरपंचों की बहुलता वाले गांवो में टांसफार्मर ( DP ) लग जाए .. लेकिन खबर है कि इसके लिए अफसरों ने टेंडर की अनिवार्यता बता दी है ..अब बीजेपी नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस के MLA विधायक निधि से बिना टेंडर टांसफार्मर दे रहे हैं ओर उनके लिए फिल्टर लगाया जा रहा है .. बताते हैं कि भाजपा ने इस बात की शिकायत प्रदेश अध्यक्ष से कर दी है ।

अंत में … कलेक्ट्रेट का बगीचा किसके लिए है ?

झाबुआ में नीरज मंडलोई साहब के कलेक्टर रहते कलेक्ट्रेट का बगीचा तैयार हुआ था और जिले भर से आने वाले ग्रामीणों के उपयोग के लिए खोल दिया गया था .. लोग अपने काम से कलेक्ट्रेट आते थे और काम की प्रतीक्षा में बग़ीचे में ही बैठते थे .. राजा जैसे एटीट्यूड वाला रोहित सिंह की कलेक्टरी काल में भी यह बगीचा आम लोगों के लिए ओपन था .. लेकिन अब यह बगीचा आम लोगों के लिए बंद है .. यहां ताला डाल दिया गया है ..अब आम लोग जो जिले के दुर दराज के इलाकों से आते हैं वह गर्मी में इधर उधर छांव तलाशते हैं भटकते हैं .. बड़ा सवाल यह है कि अगर अफसरों को यहां लगे फुल – पौधों की चिंता है तो उन्हें चौकीदार लगाना चाहिए या CCTV .. आम जनता को परेशान कर बग़ीचे पर मोहित रहना समझ से परे है

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