EXCLUSIVE: न्याय दो या मौत की इजाजत; “पेटलावद के किसान ने मांगी कमिश्नर” से इच्छा मृत्यु

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live..

अब तक किसान फांसी लगाकर, जहर पीकर या कहीं से कूदकर मौत को गले लगा लेते थे और उसकी जानकारी तब लगती थी जब मीडिया में इसकी खबर आती थी। हालांकि कई बार किसानो की मौत की खबर भी किसी को नही लगती थी। अब किसान ने इच्छा मृत्यु की मांग करके सबको हैरान कर दिया है। राज्य सरकार किसानो को कम पानी में अच्छी खेती करने के तरीके सिखाने के लिए करोड़ो रूपए खर्च कर विदेश भेज रही है, जिसे किसान अपनी जमीन पर कम लागत में अच्छी पैदावार ले सके। वहीं जब जमीनी स्तर पर यह सब दावे हवा-हवाई हो जाते है। जिससे किसान परेशान होकर आत्महत्या तक करने का मन बना लेते है।

ऐसा ही एक चौैंकाने वाला मामला झाबुआ जिले के पेटलावद विकासखण्ड में सामने आया है। जहां एक किसान ने दबंगो द्वारा किए जा रहे उनकी जमीन पर कब्जे पर प्रशासन द्वारा ढिलपोल करकर उक्त प्रकरण में जो निर्णय लिया वह उल्टा उसी किसान के खिलाफ आ गया। सब जगह से थक-हारकर इस मामले में उक्त किसान ने कमिश्रर इंदौर को आवेदन देकर आत्महत्या की स्वीकृति की मांग कर ली।

दरअसल, पेटलावद के ग्राम करड़ावद में महेशचंद्र पिता हरिशंकर व्यास निवासी पेटलावद की कृषि भूमि सर्वें नंबर 1692 पर दर्ज है। इन्ही के खेत से लगती पड़ोसी योगेंद्र पिता रामनारायण मण्डलोई निवासी करड़ावद की सर्वे नंबर 1693 सर्वे नंबर वाली भूमि पर नया कुआं खोदने का कार्य किया जा रहा है। जो उनकी मेड़ को तोडक़र खोदा जा रहा है। इस कार्य में उक्त पड़ोसी किसान उनकी कृषि भूमि को हड़पना चाहता है।

आवेदन में पीड़ित किसान इस मामले तहसीलदार पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि उन्होने विगत 28 मार्च को तहसीलदार को एक आवेदन देकर इसे रोकने की मांग की गई थी, लेकिन हुआ कुछ यूं कि 18 अप्रैल को तहसीलदार ने सुनवाई करते हुए सर्वे नंबर 1703 की कृषि भूमि को योगेंद्र के नाम से बताकर कुआ खुदाई का काम रोकने के लिए स्थगन आदेश जारी किए थे, जबकि यह भूमि अन्य किसी किसान के नाम से पटवारी रिकार्ड में दर्ज है। तहसीलदार ने गलत सेर्व नंबर डालकर आदेश जारी कर दिया। जिसके बाद उक्त अतिक्रमणकारी ने 15 से 20 फीट खुदाई तक कर डाली।

पटवारी रिपोर्ट मे पाई गई पीडि़त की भूमि में नुकसानी-

यहीं नही 23 अप्रैल को जब हल्का पटवारी ने मौके पर जाकर जांच रिपोर्ट बनाई, तो उसमें स्पष्ट रूप से दर्शाया गया था कि योगेंद्र के द्वारा स्वं की भूमि सर्वे नंबर 1693 और पीडि़त की सर्वे नंबर 1692 वाली भूमि के बीच स्थित मेड पर कुआ खुदाई में आंशिक रूप से प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में बताया गया था कि भूमि का राजस्व निरीक्षक द्वारा सीमांकन करावाया जाने के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। हल्का पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बात बताई कि कुएं खुदाई में पास में फलदार ईमली के वर्षो पुराने वृक्ष भी चपेट में आया है। जिसके कारण उसके गिरने की संभावना हर समय बनी रहेगी। अब यह समझ से परे है कि आखिर कौन सी रिपोर्ट देखकर तहसीलदार द्वारा स्थगन आदेश निरस्त कर दिया गया। तहसीलदार द्वारा जारी किए गए इस तुगलकी आदेश के बाद प्रशासन की कार्रवाई पर सवालिया निशान उठने लग गए है।

या तो की जाए दोबारा जांच या दी जाए आत्महत्या की स्वीकृति-

पीडि़त किसान ने इंदौर कमिश्नर (राजस्व) आकश त्रिपाठी से मांग की है कि भविष्य में मेरी कृषि भूमि पर कोई बड़ी दुर्घटना न हो और पास ही स्थित मेरे कुएं का जलस्तर इस नवीन कुएं से प्रभावित होगा और मेरी भूमि हड़प ली जाएगी, जिससे उनकी खेती प्रभावित होगी। मुझ किसान के साथ हो रहे अन्याय को देखते हुए या तो इस प्रकरण की पुन: जांच करवाई जाकर खोदे गए कुएं को समतलीकरण किा जाए या फिर उन्हें आत्महत्या की स्वीकृति दी जाए। अगर इस ओर जल्द ही ध्यान नही दिया गया तो शासन-प्रशासन की मुश्किलें बढ़ सकती है।

दोनो पक्ष करा ले सीमांकन, जिसकी भूमि में आएगा कुआं उसे दिया जाएगा-
इस मामले में हमने तहसीलदार मुकेश काशिव से चर्चा की तो उन्होनेे बताया कि दोनो पक्ष अपनी-अपनी कृषि भूमि का सीमांकन करा ले। सीमांकन में जिसकी भी भूमि मे कुआं आएगा उसे दे दिया जाएगा। रही बात इस मामले में जांच की, तो पटवारी का प्रतिवेदन के आधार पर यह तथ्य निकलकर सामने आया कि जो कुआं खोदा जा रहा है वह दोनो की भूमि की मेड़ में खोदा जा रहा है। जांच में हमने किसी भी प्रकार का पक्षपात नही किया है।

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