सलमान शैख@ झाबुआ Live
कोरोना संक्रमण को लेकर जहां पूरा देश लॉकडाउन है वहीं किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट और गहरा हो गया है। किसानों की फसल चौपट होने के बाद सभी काम धंधे बंद हो गए हैं। दूध के सहारे अपने जीवन यापन के लिए चार पैसे जोड़ने वाले किसान के माथे पर दूध को लेकर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं।
दरअसल, मामला कुछ यूं है कि झाबुआ जिले के पेटलावद में डेयरी में किसानों से दूध नहीं लिया जा रहा है और गुजरात से दूध मंगाया जा रहा है। ऐसे में यहां के किसानों को अपना दूध विक्रय करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जो दुग्ध समितियां है वो किसी भी सदस्य का दूध नहीं ले रही है। सभी किसानों का कहना है कि जब मध्य प्रदेश सरकार का ब्रांड सांची है तो उसे बंद कर गुजरात का दूध जो 2 लाख लीटर डेली गुजरात से एमपी में आता है उसे क्यों नहीं रोका जा रहा है।
किसानों का आरोप है कि झाबुआ जिले में सांची दुग्ध संघ झाबुआ के अध्यक्ष द्वारा हर 3 दिन में 1 बार गांवों में जो डेयरी समितियां है उसको खोलने को कहा गया है। जो कि गलत है।
यही नहीं जो प्रायवेट डेयरी है उनका दूध बाजार में बन्द होने से वो सभी डेयरी दुग्ध संघ समितियों को पहुंचा रही है, जिसके कारण किसानों का दूध समितियां बन्द करके रोका जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन ने इस मामले को गम्भीरता से लिया है, क्युकी एक ओर इं दिनों लाकडाउन के कारण किसानों को सब्जियां फेकना पड़ रही है और दूध विक्रय जो अब उनकी आमदनी का एकमात्र साधन है उसे बन्द किया जा रहा है तो किसानों को दोहरी मार पड़ना निश्चित है। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष महेंद्र हाम ड और जिला महामंत्री जितेंद्र पाटीदार ने मुख्यमंत्री शिवरासिंह चौहान को पत्र के साथ ट्वीट के माध्यम से मांग की है कि इन सभी दुग्ध समितियों को चालू रहने दिया जाए और किसानों का दूध प्रतिदिन यह समितियां ले ताकि किसानों को दोहरा नुकसान न उठाना पड़े।
उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी डेयरी बिजनेस से जुड़े किसानों के लिए बुरा संकट लेकर आई है। कोरोना लॉकडाउन के चलते कहीं भी दूध का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। अब सरकारी डेयरी कंपनियां किसानों का साथ देने के बजाए उन्हीं का शोषण करने में जुट गई है, इससे पशुपालकों और डेयरी किसानों में जबरदस्त नाराजगी है।