1883 में संप सभा के गठन से शुरू हुआ आंदोलन जिसमें 1500 भील शहीद हुए, वह भारत की आजादी के लिए ही देशभक्ति आंदोलन था – श्री अर्जुन राम मेघवाल
नवनीत त्रिवेदी@झाबुआ
स्वातंत्र्य योद्धा वीर बलिदानियों की भूमि मानगढ़ पर्वत को राष्ट्रीय स्मारक तथा आजादी के प्रयास में जीवन की आहुति देनेवाले वीरों की यशोगाथा को नई पीढ़ी में पूर्वजों की कहानिया पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने के प्रयास में एकत्रित भील स्वाभिमान यात्री। मानगढ़ स्वाभिमान यात्रा में 350 गाओं से 200 चार पाहिया वाहन लेकर आये सभी तीन हजार भील माता, बहन, भाई आलीराजपुर और झाबुआ से 7 मई को पहुँचे और 8 मई को वहाँ से वापस आये।
