एक नजर में-
– 19 जून से अभी तक 2500 पौधो रोप चुके है
– सभी पौधे है अभी तक जीवित अवस्था में
– प्रतिदिन हर पाईंट पर पहुंचकर दिया जा रहा है पानी
– बालोद्यान में लगाए 50 टैंपल ट्री
– पर्यावरण की इस मुहिम से हर कोई ले रहा प्रेरणा
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Salman Shaikh@ Jhabua Live
पेटलावद। कोई भी चीज अच्छी या बुरी नहीं होती। हम उसका उपयोग किस प्रकार करते हैं यह व्यक्ति पर निर्भर करता है। फेसबुक, वाट्सएप या यूं कहें सोशल मीडिया आज हर किसी की जरूरत है, हममे से ज्यादातर लोग सोशल मीडिया से जुड़े है। सोशल मीडिया के जरिए जुडऩे में कोई खराबी नही है। आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में एक ऐसी चीज जुड़ चुकी हैै, जिसके बिना रह पानी काफी मुश्किल है। इसके किसी न किसी माध्यम से आज हर वर्ग के लोग जुड़े है। संचार क्रांति के इस दौर में यह काफी जरूरी भी है, लेकिन दुनियाभर में सोशल मीडिया का अभी तक दुरूपयोग होता आया है। आजकल सोशल मीडिया पर झूठ परोसने काम काफी तेजी से बढ़ रहा है।
आमतौर पर सोशल मीडिया के सद्उपयोग की खबर कम ही देखने को मिलती है, लेकिन झाबुआ जिले के पेटलावद से एक ऐसी ही सुकून भरी खबर आई है, जिसमें सोशल मीडिया के सदुपयोग का अनूठा उदाहरण यहां के युवाओ ने प्रस्तुत किया है। इसी सोशल मीडिया ने वह कर दिखाया है, जो नामुमकीन था या कह सकते है कि जो किसी ने सोचा ही नही था वह काम करकर दिखाया है।
जी हां, हम बात कर रहे है विगत दो माह पहले यानि 19 जून को शुरू हुई सोशल मीडिया फेसबुक पर एक ऐसी मुहिम की जिसने आज एक मिशन का रूप ले लिया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए सोशल मीडिया पर चलाई गई मुहिम पूरे नगर में रंग लाई और नगर के हर कौने में आज कहीं न कहीं पौधे लहलाते दिख रहे है।
बालोद्यान में लगाए 50 टेंपल ट्री-
ग्रीन पेटलावद मिशन नाम से शुरू हुई मुहिम ने अब बड़ा रूप ले लिया है। इसी कड़ी में ग्रीन पेटलावद संस्था और तेरापंथ युवक परिषद सहित स्व. भूपेंद्र भंडारी की स्मृति में एक वृहद और ऐतिहासिक वृक्षारोपण का आयोजन किया। यहां खास बात यह रही कि नगर के सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाए व गणमान्य नागरिको सहित नगर के युवावर्ग शामिल हुए। सभी ने यहां एक-एक टैंपल ट्री लगाकर उसे बड़ा करने के साथ उसकी सुरक्षा का संकल्प लिया। उल्लैखनीय है कि ग्रीन पेटलावद संस्था द्वारा यहां लगाने के लिए 50 टैंपल ट्री मंगाए गए थे। इस तरह का आयोजन अभी तक पेटलावद के इतिहास में नही हुआ, इसलिए इस आयोजन को ऐतिहासिक आयोजन का नाम दिया गया।
ग्रीन पेटलावद मिशन टीशर्ट बने आकर्षण का केंद्र-
अपना ग्रीन पेटलावद संस्था ने इस वृहद वृक्षारोपण समारोह के लिए ग्रीन टीशर्ट भी बनवाए थे, जो सभी युवाओ को वितरीत किए गए। यह सभी के आकर्षण का केंद्र बने। हर किसी आने-जाने वाले को यह रंग और यह टीशर्ट अपनी ओर आकर्षित कर रहा था और यह प्रेरणा दे रहा था कि आओ एक कदम बढ़ाए पर्यावरण की ओर, यह कदम हमारे लिए और हमारी आने वाली पीढिय़ो के लिए यादगार रहेगा।
यह रहे विशेष रूप से मौजूद-
वृक्षारोपण के इस कार्य में अपना ग्रीन पेटलावद संस्था, तेरापंथ युवक परिषद, फिटलाईन क्लब, क्षत्रिय सिर्वी समाज, लायंस क्लब पेटलावद सेंट्रल, किसान यूनियन, गौतम ग्रुप, जैन सोशल ग्रुप, आजाद ब्लड ग्रुप, मुस्लिम नवयुवक मण्डल, एमराल्ड जूनियर कॉलेज, आदर्श पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल, सफलता हायर सेकेंण्डरी स्कूल, कल्पतरु इंटरनेशनल एकेडमी, संस्कार वेली पब्लिक स्कूल सहित नगर के गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि और युवावर्ग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
अहम भूमिका-
इस मुहिम की शुरूआत करने वाले अनिल चौधरी कहते है कि यह मुहिम बिना सोशल मीडिया के रंग नही ला सकती थी, इसमें सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही। हमनें पहले एक मैसेज फेसबुक पर पोस्ट किया, जिसमें पर्यावरण को बचाने के लिए नगर में पौधे लगाने के साथ उन्हें बड़ा करने का संकल्प लेने की अपील की थी और सभी युवाओ सहित नागरिको से अपने-अपने नंबर कमेंट बाक्स में देने की मांग की, इसके बाद कई कमेंट प्राप्त हुई, जिसमें कुछ इस मुहिम के शुरू होने से पहले ही इसके पूरे नही होने की बात कर रहे थे, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो पर्यावरण को बचाने के लिए अपना जी-जान लगाने को तैयार थे, बस हमने उनके नंबर लिए और वाट्सएप पर अपना ग्रीन पेटलावद के नाम से एक ग्रुप बनाया, जिनमें इन सदस्यो को जोड़ा गया। इसके बाद सभी ने अपनी-अपनी तरफ से राशि सहयोग रूप से दी और इस राशि से पहले छोटे-छोटे पौधे लाए गए और मिशन की शुरूआत की और ग्रुप के सदस्यो से पहले उनके चयनित स्थानो पर पौधो को लगाने की अपील की गई। इसके बाद कारवां बढ़ता गया और एक समय ऐसा आया कि हमारे पास पौधे खत्म हो गए। इसकी बड़ी वजह यह भी रही कि उनकी इस भावना से जो लोग जुड़े थे वह इस संदेश को आगे साझा कर रहे थे।
सहभागिता-
कितनी बड़ी टीम है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन पेटलावद संस्था का चेहरा बनकर इस कार्य को अंजाम दे रही है?
अनिल बताते है कि हमारी टीम में एक भी व्यक्ति नही था, हमारे पूरे अभियान का सबसे अच्छा पहलू यह रहा कि हम सोशल मीडिया के जरिए हर समाज और हर वर्ग के लोगो को अपने साथ जोडऩे में कामयाब रहे। सोशल मीडिया के जरिए हमारे विचार उन तक पहले ही पहुंच चुके थे और जब हमारी टीम उनके दरवाजो पर पहुंची, तो उन्हें हमारे दावो और हम में सच्चाई नजर आई और आज इस अभियान में हमारा कारवां बढ़ता ही जा रहा है।
छोटी टीम, बड़ा काम-
अपनी टीम के बारे में अनिल बताते है कि हमारे सभी साथी या तो अपना कोई धंधा चला रहे है या फिर किसान है। इतनी व्यस्तता और भागदौड़ भरी जिंदगी में पर्यावरण के लिए समय देना हर किसी के बस की बात नही है, लेकिन फिर भी हमारे इन साथियो ने तन-मन और धन लगाकर इस मुहिम को आगे बढ़ाया। अनिल कहते है कि हम सबको एक विचार में यकीन था हम बदलाव चाहते थे और आखिर में हमारी एक छोटी सी टीम ने इतना बड़ा काम करकर दिखा दिया।
निश्चित ही सोशल मीडिया द्वारा किये गए इस सकारात्मक कार्य से हर कोई प्रेरणा लेगा और सीखेगा कि किस तरह हम इसका सदुपयोग कर सकते है।