सैकड़ों बसे होने के बाद भी ट्रकों में प्रवासी मजदूरों को किया जा रहा रवाना, हादसे के बाद किसकी होगी जिम्मेदारी….?

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भूपेन्द्रसिंह नायक, पिटोल


आज हमारे देश में कोविड-19 के 86 हजार 500 लोग इस महामारी वाली बीमारी से संक्रमित हो गए हैं। देश की केंद्र सरकार एवं देश के समस्त राज्यों की सरकारें इस महामारी से लोगों का जीवन बचाने के लिए में लगी है देश की पुलिस- डॉक्टर, सफाई कर्मी और देश के सामाजिक संगठन के लोग दिन रात मेहनत कर मानव जीवन बचाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित अपने घर ले जाने के लिए करो रुपया खर्च कर पिटोल बॉर्डर पर उनके लिए समुचित व्यवस्था बनाई गई परंतु थोड़े दिनों के लिए तो व्यवस्था व्यवस्थित तरीके से चल रही थी परंतु विगत 4 दिनों से पेट्रोल बॉर्डर पर अब अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है ,जहां आरटीओ परिसर में चारों तरफ गंदी अंबार हो गया है । वही प्रवासी मजदूर अपने गंतव्य तक जाने के लिए प्रशासनिक अव्यवस्था का शिकार होकर जान जोखिम में डालने को मजबूर है।

प्रशासनिक अमले में सामंजस्य नहीं होने से व्यवस्था हो रही चौपट-

झाबुआ जिले के उच्च अधिकारियों की देखरेख में जिसमें पुलिस कप्तान एवं जिला कलेक्टर के निर्देशन में 15 दिन पूर्व इन प्रवासी मजदूरों को गुजरात से आने के बाद मध्य प्रदेश के सभी जिलों में बसों द्वारा ले जाने के लिए सैकड़ों की संख्या में पिटोल चेक पोस्ट पर बसें संग्रह की गई। वही झाबुआ जिले के मजदूरों को भेजने के लिए तूफान जीप गाड़ी की व्यवस्थाएं की गई परंतु हमारे झाबुआ के मजदूर बहुत ही कम संख्या में आए परंतु भिंड, मुरैना, सीधी, रीवा, सतना, शहडोल, सिंगरौली आदि दूरस्थ जिलों की प्रवासी मजदूर हजारों की संख्या में आए और उन्हें उनके गृह जिले तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा करो करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं परंतु विगत 4 दिनों से शाम 4रू बजे के बाद बसों की बजाय ट्रकों में भेजा जा रहा है जो अधिकारी इस पूरी कार्ययोजना के जिम्मेदार हैं। वहीं ट्रक ड्राइवर को धौंस दपट और डंडे के दम पर सवारियां ट्रक बिठा कर भेज रहे हैं जबकि आरटीओ चेक पोस्ट पर हमेशा सैकड़ों बसें खड़ी होती है जो सवारिया बसों में बैठ जाती है, उन्हीं सवारी को उतारकर जबरदस्ती ट्रकों में भेजे जाने के प्रयास किए जाते हैं। ऐसे में कई महिलाएं गर्भवती होती है छोटे-छोटे बच्चों के साथ बुजुर्गों की परेशानी आसानी सेे समझी जा सकती है। क्या प्रशासन उनके जान माल की जिम्मेदारी लेगा कोई घटना होती है तो हम रोजाना देख रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रिंट माध्यम से की जो प्रवासी मजदूर महाराष्ट्र-गुजरात प्रदेश के अन्य जिलों से यूपी-बिहार जा रहे हैं कहीं न कहीं दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं और उनकी अकाल मृत्यु हो रही है। बीती रात्रि में औरैया में दो ट्रकों की दुर्घटना होने से 24 यात्रियों की मौत हो गई। वहीं मध्य प्रदेश के सागर जिले में सड़क दुर्घटना में 5 मजदूरों की मौत हो गई। यह सभी मौजूद ट्रक में बैठकर यूपी और बिहार जा रहे थे। वही पिटोल बॉर्डर पर बसों का ऑपरेटरों की बेईमानी का धंधा भी चालू है बस ऑपरेटर बेईमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं यहां पर बड़े ऑपरेटरों को प्राथमिकता दी जाती है और छोटे बस मालिकों के साथ भेदभाव किया जाता है। ईस पीडि़त मानवता की घड़ी में भी बेईमानी कर रहे ह। रोजाना मध्य प्रदेश के दूरस्थ जिलों के लिए बसों को रवाना सवारी बैठाकर रवाना किया जाता है परंतु एक ही रूट की 3 बसें होती पेट्रोल-डीजल डीजल भरवाने के बाद कुछ किलोमीटर आगे जाकर तीन बसों की सवारियां दो बसों में शिफ्ट कर एक बस वापस कुछ समय बाद बॉर्डर पर आ जाती है। कल दोपहर एक बार एमपी 11 पी 20 20 पिटोल बॉर्डर से सीधी जिले के लिए भरी भी उसमें ड्राइवर ने डीजल भरा कर ड्राइवर ने सभी सवारी को पेट्रोल पंप पर खाली करा दिया जिसे जिस पर प्रशासनिक अमले द्वारा कार्रवाई की जा रही है। पूर्व में गुजरात से आने वाली बसों द्वारा भी इन प्रवासी मजदूरों का शोषण किया गया। परमिट कहां का बना होता है और पिटोल बॉर्डर खाली करके चले जाते हैं जिस पर भी पिटोल बॉर्डर पर कार्रवाई की गई परंतु सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा इतना खर्च करने के बावजूद भी चाहे लोग ट्रकों में जाएंगे और अपनी जान जोखिम में डालेंगे।

प्रवासी मजदूरों के साथ हादसा हुआ तो शिवराज सरकार कटघरे में-
पिटोल बॉर्डर पर रोजाना प्रवासी मजदूरों को ले जाने के लिए लाखों रुपए खर्च यह जा रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब इतना खर्च हो रहा है उसके बावजूद इन प्रवासी मजदूरों को क्यों ट्रक में बिठाया जा रहा है। अगर कहीं हादसा या दुर्घटना हुई तो इन मजदूरों की जान जाएगी जान की एवज में मुआवजे की घोषणा हो जाएगी पर उनके परिवार का क्या होगा जबकि सरकार द्वारा बसों की व्यवस्था है तो भी ट्रकों में क्यों बिठाया जा रहा है बहुत बड़ा प्रश्न है।

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