सरकारी जमीन पर खेती करने को लेकर ग्रामीणों में हुआ खूनी संघर्ष

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जिला अस्पताल में घायल।
जिला अस्पताल में घायल।
इस भूमि को लेकर हुआ विवाद।
इस भूमि को लेकर हुआ विवाद।
तड़वी अपने साथियों के साथ पहाड़ी पर।
तड़वी अपने साथियों के साथ पहाड़ी पर।
गावं की महिलाएं अपनी आपबीती बताती हुई।
गावं की महिलाएं अपनी आपबीती बताती हुई।

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घरों पर पत्थर फेंके ।
घरों पर पत्थर फेंके ।

झाबुआ लाइव के लिए पिटोल से भूपेन्द्रसिंह नायक की रिपोर्ट-
पिटोल से 5 किमी दूर ग्राम घाटिया में कल दिनभर से ही गांवों के लोग सरकारी जमीन कब्जे को लेकर झगड़ते रहे शाम तक स्थिति इतनी विकराल हो गई की आपस में तीर-कमान एवं गोफन से पत्थरबाजी चलने लगी, जिसमें दोनों पक्षों के लोगों को चोट लगी, जिसके बाद घायलों को जिला अस्पताल में शाम को भर्ती कराया गया। गांव में अभी भी तनाव की स्थिति बनी है दोनों गुटों के लोग आपस में एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
इसलिए हुआ खूनी संघर्ष
ग्राम घाटिया में कुल 46 बीघा सरकारी जमीन है जिसमें गांव के सभी लोग मवेशी चराते थे परन्तु दो-तीन साल पूर्व में इस भूमि पर गांव के तीन परिवारों द्वारा आपस में बंटवारा कर लिया गया एवं आपसी सहमति से उस पर खेती करने लगे। इस वर्ष इन्हीं परिवार में धारजी पिता कालू बिलवाल, अम्मा पिता चमना तीसरे परिवार अपने बंटवारे को जमीन पर ज्वार एवं तीसरे परिवार भीला पिता आलु गांव के तड़वी ने सोयाबीन बोया वह कल खाद डाल रहे थे उस वक्त उन दो परिवार वालों ने आलू तडवी के उपर हमला कर दिया जिससे झगड़ा बढ़ गया एवं आमने सामने पत्थर एवं तीरों से हमला किया जिसमे धारजी एवं अम्मा के परिवार के 200 लोग थे वही बीला तड़वी के पास 25-30 लोग थे। बीला तडवी ने बताया के परिवार की महिलाएं एवं घरों की छतों पर भी धारजी एवं अम्मा के परिवार वाले ने पत्थर मारे एवं घरों के कवेलू फोड़ दिए। वही बालू तड़वी के परिवार का एक विकलांग तोला को भी मारने की कोशिश की इस सब घटना में पुलिस भी मौके पर पहुंचकर मामला शांत कराया। जब पुलिस मौके पर से वापस आई, तो दोनों में फिर से संघर्ष शुरू हो गया।
महिलाएं भी डरी –
बालू तड़वी के परिवार की महिलाएं भी घर पर डरी हुई थी जब हमारे घरों के कवेलू पत्थरों से तोड़ दिए गए और अब हम पर हमला हो सकता है अगर समय रहते प्रशासन इस मसले पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो हम तीनों समूह एक ही परिवार के है आपस में लड़ाई कर मारे जाएंगे। इसलिए सरकारी अमले को गांव के इस विवाद को आकर सुलझाना चाहिए।
दोनों गुटों में अभी भी लड़ाई की संभावना –
जहां धारजी पिता बालू, अम्मा पिता चमना अपने ग्रुप से अलग रणनीति पर है वही इनके साथ 200 लोग है वही विला पिता आलू तड़वी अपने ग्रुप के साथ गांव में एक पहाडी पर अपने 25 से 30 साथियों एवं बच्चों के साथ वही है। इस झगड़ों की वजह से दोनो ग्रुपों के बच्चे आज स्कूल नहीं गए। वही धारजी एवं अम्मा के ग्रुप ने आरोप लगाया कि हमने जो जमीन तड़वी बिल्ला को दी थी वह उसमें संतुष्ट नहीं था और हमसे जमीन मांग रहा था। इसलिए यह विवाद उसने उत्पन्न किया। समय रहते यह मामला शांत नहीं हुआ तो आगे भी खूनी संघर्ष होगा।
यह हुए घायल
कल सुबह से हुई लड़ाई मेंजहां विला पिता आलु गु्रप के दीवान को पत्थर एवं तीर लगा। वही दूसरे ग्रुप धारजी एवं अम्मा के मनसु पत्थर से बदिया, शैतान, जाबू कोभी चोट आई जिसमें धारजी अम्मा के परिवार के लोग पुलिस चौकी पर रिपोर्ट लिखवाने आए। वही तड़वी विला अपने गु्रप के साथ पहाड़ी पर है, उसका आरोप है यह लोग उन्हें गांव में नहीं रहने देते हम हमारे मवेशी भी साथ लाए हैं।
कई बार हो चुके हैं सरकारी जमीन के लिए खूनी संघर्ष-
तीन साल पूर्व गांव बावडीछोटी की सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर हुए संघर्ष में एक मौत हो गई थी वही कई लोग घायल हो गए थे, जिसमे एक परिवार आज भी गांव बावड़ी से विस्थापित है। वही ग्राम नागनखेड़ी में सरकारी जमीन को लेकर आए दिन खूनी संघर्ष होता है नागनखेडी मे तो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक कृष्णावेणी देसावतु ने जब नागनखेड़ी में सार्वजनिक बैठक ली, तब यह मुददा ग्राम नागनखेड़ी के ग्रामीणों द्वारा उठाया गया था तब इस विवाद के लिए राजस्व विभाग के कर्मचारियों के कारण विवाद होना बताया। वहीं पिटोल एवं आसपास के कई ग्रामों मे सरकारी जमीन के कब्जे के लिए विवाद होते रहे हैं।
राजस्व विभाग की लापरवाही बनी झगड़े का कारण-
जब जिस गांव के पटवारियों को इस मामले की जानकारी होती है परन्तु वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मोका मुआयना तो करते परन्तु कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते अगर राजस्व विभाग सही मायनों में सराकरी जमीन पर प्रशासन मदद से ठोस कार्रवाई करे तो यह नौबत नहीं आएगी।

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