श्री दुर्गा सप्तशती पाठ महोत्सव 15 एवं 16 जून को, श्री रामचरितमानस पाठ, कलश यात्रा के साथ नौ कुंडीय महायज्ञ होगा

May

झाबुआ। श्री दुर्गा सप्तशती पाठ महोत्सव समिति द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी श्री दुर्गा सप्तशती पाठ की पूर्णाहूति पर दो दिवसीय भव्य आयोजन 15 एवं 16 जून को किए जा रहे है। जानकारी देते हुए समिति के दिलीप पालीवाल एवं नरेंद्र राठौरिया ने बताया कि उक्त कार्यक्रम में सानिध्य प्रदान करने हेतु अमृतसर, पंजाब से पपू गुरुदेव ब्रह्मचारी सत्यानंद ‘योगऋषिजी’ झाबुआ पधारे है। 

आपका ट्रेन से अमृतसर से मेघनगर रेलवे स्टेशन पर 13 जून गुरुवार दोपहर करीब 3.30 बजे आगमन हुआ। यहां से श्री दुर्गा पाठ महोत्सव समिति द्वारा आपकी अगवानी करते हुए झाबुआ करीब शाम 4 बजे पहुंचे, यहां समिति सदस्य दिलीप पालीवाल के मेघनगर नाका स्थित निवास पर स्वागत-सत्कार पश्चात् कॉलेज मार्ग स्थित शिव वाटिका पर विश्राम किया। यहां समिति से जुड़े सभी सदस्यों, मातृ शक्तियों एवं युवाओं ने भी पहुंचकर गुरुदेव के दर्शन लाभ प्राप्त किए। आप मां दुर्गाजी के परम उपासक होकर प्रज्ञा-ध्यान के प्रणेता और चतुर्विध योग आश्रम अमृतसर के संस्थापक भी है। आपके सानिध्य में हीं देशभर में जगह-जगह श्री अष्टांग योग प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से श्री दुर्गा सप्तशती पाठ समिति गठित होकर प्रति सप्ताह में एक बार माता भक्तों के निवास पर ‘श्री दुर्गा सप्तशती पाठ’ किया जाता है। शहर में भी दुर्गा पाठ समिति द्वारा पिछले लंबे समय से प्रति रविवार माताजी के विशेष दिवस पर भक्तजनों के यहां ‘श्री दुर्गा सप्तशतीजी’ का विशेष पाठ किया जा रहा है। आज छोटे-छोटे कार्यों की पूर्ति के लिए लोग बना रहे गुरु – 14 जून, शुक्रवार दोपहर 12 बजे से शिव वाटिका पर आयोजित पत्रकारवार्ता में गुरुदेव श्री सत्यानंद ‘योग ऋषिजी’ ने बताया कि गुरु ही ईश्वर तक पहुंचने का सशक्त माध्यम है। 

आज कई लोग गुरु इसलिए बनाते है कि उन्हें छोटे-छोटे कार्यों की पूर्ति करना  है। वह ईश्वर से गाड़ी, बंगला, पैसा पद-प्रतिष्ठा मांगते हैं इसकी बजाय सुख, शांति और संतोष की अपेक्षा करना चाहिए। भौतिक संसाधन, तो मोह माया है, जो आते और जाते रहते है, लेकिन सुख शांति और संतोष एक ऐसा‌ गहना है, जो हमेशा मनुष्य के व्यक्तित्व को सोने की की तरह निखारता है और बड़ी-बड़ी विपदाओं तथा समस्याओं में भी रास्ता निकालने की ताकत रखता है। मनुष्य जीवन में सुख शांति और संतोष ही सबसे बड़ा सुख का साधन है, जो ईश्वर को भी अत्यंत प्रिय है। हमें जीवन में खुश रहने की आदत डालने के साथ श्रेष्ठ धर्म और श्रेष्ठ कर्म को महत्व देना‌ चाहिए। गुरुदेव ने मां दुर्गा अर्थात शक्ति की भक्ति और आराधना का महत्व बताया कि यह संसार की सबसे बड़ी ताकत है। जिसने मां की भक्ति की, उसकी सारी बाधाएं और समस्याएं माता द्वारा समाप्त करने के साथ असीम सुख-शांति प्रदान की जाती है। 

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व भी माता की आराधना करने का माध्यम है। योग और ध्यान जीवन का महत्वपूर्ण अंग – आपने योग एवं ध्यान को जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बताया। साथ ही मौन-साधना के बारे में भी जानकारी दी। महीने में यह एक या दो दिन पूरी तरह मौन रहने से हमारा मन और दिमाग पूरी तरह शांत होकर बॉडी रिचार्ज होने के साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ज्ञातव्य रहे कि गुरुदेव के सानिध्य में झाबुआ में श्री दुर्गा पाठ महोत्सव समिति द्वारा पिछले 14 वर्षों से विभिन्न कार्यक्रम सतत् किया जा रहे है। वर्ष में एक बार दो दिवसीय भव्य आयोजन होता है, जिसमें निश्रा प्रदान करने हेतु श्री सत्यानंद ‘योग ऋषिजी’ विशेष रूप से पधारते है। यह होंगे दो दिवसीय कार्यक्रम – समिति के जगदीश जोशी एवं हेमेंद्र भानपुरिया ने बताया कि इसी क्रम में 15 एवं 16 जून को विशेष कार्यक्रम रखे गए है। 

15 जून, शनिवार को नेहरू मार्ग स्थित प्राचीन श्री दक्षिणमुखी महाकालिका माता मंदिर पर सुबह 8 बजे से श्री रामचरितमानस का अखंड पाठ आरंभ होगा। इसी प्रकार 16 जून, रविवार सुबह 8 बजे से विवेकानंद कॉलोनी स्थित श्री उमापति महादेव मंदिर से दक्षिणमुखी कालिका माता मंदिर तक कलश यात्रा निकाली जाएगी। 9.45 बजे से कालिका माता मंदिर परिसर में गुरुदेव का आशीर्वाद एवं अतिथि सम्मान कार्यक्रम होगा। 10.15 बजे से श्री दुर्गा सप्तशती पाठ आरंभ होगा। 11 बजे से नौ-कुंडीय महायज्ञ तथा श्री रामचरितमानस पाठ की पूर्णाहुति पर विशेष आरती होगी। तत्पश्चात् दोपहर 1 बजे से कन्या भोज एवं महाप्रसादी (भंडारा) रखा गया है। समिति के हरीश यादव एवं डॉ. एलएस जादौन ने बताया कि आयोजन की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। आमंत्रण-पत्रिकाओं का वितरण कार्य हो चुका है। शहर के समस्त भक्तजनों से 2 दिवसीय आयोजन को सफल बनाने की समिति से जुड़े प्रवीण कालानी, रविंद्र पांचाल, सतीश जादौन, कुंवरसिंह, कमलेश त्रिपाठी, युवा स्वीट गोस्वामी दौलत गोलानी, ऋषभ राठौरिया, महिलाओं में श्रीमती चंदा राठौरिया, संगीता मजदाले, हेमलता भनपुरिया, सपना पांचाल, मंजू कलानी, प्रियंका एवं प्रेरणा पालीवाल, गुंजन त्रिपाठी मानसी और विशा भनपुरिया, रिया एवं सिया राठौरिया आदि ने की है।