श्रीमद भागवत कथा में बोले शेरे आर्यभूमि पंडित कमलकिशोरजी नागर : पानी में डूबने पर उसे निकाला जा सकता है लेकिन प्याली में डूबे को गोताखोर भी नहीं निकाल सकते
अर्पित चोपड़ा, खवासा
सरल स्वभावी, विनम्र और झुककर रहने वाला भवसागर से निकल जाता है । यह संसार पराया है इसका कोई भरोसा नहीं है। संसार झूठा है द्वारकाधीश ही सच्चा साथी है। इसलिए सभी को छोड़कर भगवान के द्वार पर माथा टिकाना चाहिए। क्योंकि संसार के द्वार बन्द हो जाते है किंतु भगवान का द्वार सदैव खुला रहता है। पूँजी साथ नहीं जाती किन्तु यदि पूँजी का पुण्य बना लिया जाए तो वो जरूर साथ जाता है। इसलिए पूँजी का सदुपयोग कर लेना चाहिए। हम मकान पसंद कर सकते है किंतु मसाण पसंद नहीं कर सकते है । मकान सबके अलग-अलग है किंतु मसाण सभी का एक ही है। संसार में हम सभी के लिए अलग – अलग व्यवस्था है किंतु हम सभी का ठिकाना एक ही है । उक्त उद्गार “शेर-ए-आर्यभूमि” मालव माटी के संत, माँ सरस्वती के वरद पुत्र, प्रसिद्ध कथाकार संतश्री पंडित कमल किशोरजी नागर ने श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन व्यक्त किए। संतश्री ने कथा सुनाते हुए कहा कि पानी में डूबने वाला ही मरता है किंतु प्याली में डूबने वाला घर-परिवार को भी डुबो जाता है । पानी मे डूबने वाले को गोताखोर निकाल लेते है किंतु प्याली में डूबे हुए को गोताखोर भी नहीं निकाल सकते है । संतश्री ने शराब छोड़ने का आव्हान करते हुए कहा कि जिसने सोने की लंका को नहीं छोड़ा वह आपको-हमको क्या छोड़ेगी ? प्याली दिखने में छोटी-सी होती है किंतु इसमे कई जागीरदार, राजे-रजवाड़े डूब गए है । संतश्री ने कहा कि धन को नपुंसक कहा गया है। धन कायर होता है जो इसको दबाकर दबोचकर रख लेता है ये उसी के पास रह जाता है । जिसने धन का सदुपयोग और मन से भजन कर लिया उसी ने बाजी मारी है बाकी सभी तो दुखी है । जिसको खाने में हाथ झूठे हो जाए उसको कमाने में हाथ कितने झूठे हुए होंगे ये विचारणीय है । खाने में झूठे हुए हाथों को पानी से धोया जा सकता है किंतु कमाने में झूठे हुए हाथों को केवल सत्संग से ही धोया जा सकता है ।
ऐतिहासिक आयोजन का समापन
“शेर-ए-आर्यभूमि”, पंडित कमल किशोरजी नागर के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत महापुराण की सप्तदिवसिय धर्मगंगा का समापन हुआ। श्रीमद्भागवत कथा के यजमान परिवार द्वारा संतश्री को अभिनंदन-पत्र भेट किया गया। जिसका वाचन हेमंत चोपड़ा ने किया । यजमान परिवार ने कड़ी मेहनत कर आयोजन को सफल बनाने वाले सभी समितियों का अभिनंदन किया। कथा आयोजन के लिए बनाई गई ग्राम के वरिष्ठजनों की केंद्रीय समिति ने यजमान परिवार के सदस्यों, यजमान दंपति चंदा-पूरण चौहान और नेहा चौहान का शाल ओढ़कर अभिनंदन किया गया। संचालन मनीष चौहान ने किया। क्षेत्रवासियों ने भी चौहान परिवार को इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
…और अश्रुधारा फूटी
कथा के समापन पर शेर-ए-आर्यभूमि ने हजारों श्रोताओं के सामने अपनी पगड़ी उतार कर सभी के प्रति आभार प्रकट किया । जैसे ही संतश्री ने अपनी पगड़ी उतार सभी से इन सात दिनों में जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमायाचना की सैकड़ों श्रोताओं के आँख से अश्रुधारा फुट पड़ी । सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से संतश्री को बिदाई दी। यजमान दंपति ने भी मंच से संतश्री के समक्ष सभी आगंतुकों से भूल, असुविधा के लिए क्षमायाचना की।
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