शिक्षा न्यास उत्थान की राष्ट्रीय कार्यशाला में बुद्धिजीवियों ने दिया मार्गदर्शन

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विपुल पंचाल, झाबुआ

शिक्षा न्यास उत्थान की राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन विभिन्न राज्यों से आये शिक्षाविदों द्वारा कई गहन विषयों पर चर्चा की गई। उत्कृष्ट उ.मा. विद्यालय उज्जैन से आये  भरत व्यास द्वारा विज्ञानमय कोश की व्याख्या को सारगर्भित ढंग में बताया।विज्ञानमय कोश को विश्लेषण में जानना आवश्यक है।यह बुद्धि से जुड़ा कोष होता है ।वही जयेन्द्र जाधव (गुजरात) ने विज्ञानमय  कोष को समझाते हुए कहा कि वि से विश्लेषण +ज्ञ से ज्ञान अर्थात विश्लेषण ज्ञान को जानना ही विज्ञान है। अन्नमय कोश को समझाते हुए चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर के मनोहर भंडारी ने बताया कि शरीर विज्ञान के सूक्ष्म अंगों व उनके रखरखाव के तरीके एवं खान पान की पद्धति कैसी होनी चाहिए जिससे हमारे शरीर को स्फूर्ति मिल सके।प्राणमय कोश पर बबिता सिंह ने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि योग में मन व शरीर का समन्वय जरूरी है हमारा शरीर का सम्बंध आत्मा से जुड़ा होता है इसलिए जब तक शरीर मे आत्मा है तब तक शरीर चलता है आत्मा शरीर से निकलते ही इंसान मृत अवस्था में आ जाता है।मनोनयन कोश पर शिक्षापद आलेख को मध्य क्षेत्र के संयोजक अशोक कड़ेल ने अपने विचार रखते हुए बताया कि मन चित्त की एक कृति है जो शरीर को नियंत्रित करती है ।कोई भी बात को मानने के लिए मन को मनाना आवश्यक है।विभिन्न सत्रों में चल रही कार्यशाला का लाभ लेने हेतु बाहर से आये शोधार्थी, शिक्षाविद हरियाणा, केरल ,आंध्रप्रदेश ,दिल्ली,पंजाब आदि प्रान्तों से आये है ।पंचकोशिय अवधारणा पर आधारित चरित्र निर्माण व व्यकितत्व विकास विषय पर केंद्रित उक्त कार्यशाला में पधारे शिक्षा विदों ने शारदा ग्रुप की शिक्षण संस्थानों में चल रही विभिन्न शिक्षा गतिविधियों का अवलोकन भी किया व विद्यार्थियों से रूबरू भी हुए इस कार्यशाला में आदिवासी संस्कृति का भगोरिया नृत्य विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसे देख अतिथि बहुत उत्सुक व खुश नजर आए और खुद भी नृत्य कर झूमने लगे । इस अवसर पर प्रान्त संयोजक  ओम शर्मा,किरण शर्मा, मकरंद आचार्य ,रविंद्र नायक ,नरेन्द्र पंवार ,रितेश शर्मा आदि का सहयोग रहा।

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