विश्व हिन्दू परिषद की कावड यात्रा निकाली

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झाबुआ। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी विश्व हिन्दू परिषद धर्म प्रसार मालवा प्रांत के बैनर तले हजारों की संख्या में मे सिर पर कलश धारण करके महिलाएं एवं कांधे पर कावंड उठाकर पुरूषो, युवाओं बच्चों की भव्य कावड यात्रा प्रात: 11 बजे तीर्थस्थल देवझिरी से पवित्र नम्रदा का जल भरकर नगर में पहुंची। कावड यात्रा का नेतृत्व आदिवासी संत खुमसिंह महाराज, नागरिया महाराज संजीवसिंह, महतं कमलगिरीआदि कर रहे थे। नगर में राजगढ़ नाके पर भव्य कावड यात्रा का विधायक शांतिलाल बिलवाल के नेतृत्व में स्वागत किया गया। कावड यात्रा के स्वागत के समय दौलत भावसार जिलाध्यक्ष भाजपा झाबुआ, दिलीप कुशवाह महामंत्री समेत भाजपाई पदाधिकारी मौजूद थे।
पाकिस्तान रहेगा न बांग्लादेश-
धर्मसभा में अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुमचन्द्र सांवला ने कहा कि जिस दिन आदिवासी अपना हाथ उठाएगा उस दिन तो पाकिस्तान रहेगा और न ही बंगला देश बचेगा। आदिवासियों को कावड लेकर आते देख कर सच्चे शिवभक्तों का मुझे साकार आभास हुआ। कांधे पर कांवड लेकर चलते आदिवासी की कावड के बीच जो लाठी है वह शत्रुओं के खिलाफ चल सकती है पार्वती के रूप में महिलाओं को सिर पर कलश धारणप कर शिवाभिषेक की अनुभूति हुई है। जल संरक्षण करना हम सभी की प्राथिमकता होना चाहिए कांवड यात्रा के माध्यम से भगवान शिवजी से प्रार्थना करे कि आप पर्याप्त जल बरसाओं हम उसका सरंक्षण करने का संकल्प लेते है। सांवला ने आगे कहा कि भगवान परशुराम न कावड मे गंगा जल सेे जिस प्रकार भगवान शिवजी का अभिषेक किया, श्रवण कुमार ने कावड से मातापिता को यात्राएं करवाई, श्रीराम ने रामेश्वरम मे जलाभिषेक किया इसी तरह मे भी अपने जल से भगवान की श्रद्धाभावना के साथ जलाभिषेक करे ताकि शिवकृपा प्राप्त हो। उन्होने आगे कहा कि शहरों में तो लोग किराये की कावड लेकर जलाभिषेक करने जाते है किन्तु यहां का वनवासी स्वयं कावंड बनाता है उसे किराये की कावंड की जरूरत नही है ऐसे मे शिव का आशीष मिलना तय है।
अलगाववादियों के खिलाफ गोफन उठाए
सांवला ने आगे कहा कि पाकिस्तान प्रतिदिन आतंकियों के माध्यम से देश में कश्मीर में अलगाववादी कदम उठा रहा है बम बारी करता है। वहां के नौजवानों को गुमराह कर पत्थरबाजी करवा रहा है, मेरा तो मत हैै कि झाबुआ जिले के आदिवासी के आदिवासी अपनी गोफन से अचूक निशाना लगाकर इन पत्थरबाजों को मुहतोड जवाब दे सकते है। गोफन से निकला पत्थर एक 45 से भी ज्यादा मार करके इन लोगों को ठिकाने लगा सकता है । सरकार को ऐसे आदिवासी युवाओं को फौज में भरती करके जो भी काश्मीर मे छोकरे पत्थरबाजी करें उन्हे इसका जवाब दे सकते है क्योकि ऐसे पत्थरबाज यहां की गौफन से परिचित नही है कि एक ही पत्थर से वे ढेर हो सकते है। सांवला ने कहा कि जागरूक समाज समर्पण भाव से जलाभिषेक कावड यात्रा निकालता है। अतित में यहां वनवासियों का ही राज्य था इसलिये वे भी राजपुत्र ही है । कुशलगढ, झाबुआ, बांसवाडा, कोटा, भीलवाडा, डूंगरपुर के अतित में शासक भील ही रहे है और उनके ही नाम पर इन शहरों के नाम बने है। भील भी ठाकुर है जिन्होने महाराणा प्रताप, शिवाजी की सेना में मदद करके विजयश्री हांसील की थी। उन्होने आगे कहा कि हम पुरूषार्थी है, भगवान ने हमे बुद्धि दी है हम मेहनतकश है भीख नही मांगते है। इन्ही मेहनतकश आदिवासियों के श्रम से शहरों की बडी बडी बिल्डिगें, सडके कुओं आदि का निर्माण हुआ है। मंदिर भी इनकी मेहनत से बने है।

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